...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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सहज-अनुभूति!
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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चाचा ग़ालिब के जन्मदिन पर उनके भतीजो को पूरा हक है ... इसलिए इस नज़्म के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteभाई जी , हम तो आपकी दीवानगी के कायल हो गए !
ReplyDeleteवरना शायर बनने की शर्तें सुन ,तो घायल हो गए ||
बधाई आपको!
शबाब पर शे'र लिख दिए , गोदियाल जी १/३ शायर तो आप बन ही गए । :)
ReplyDeleteअब ग़ालिब की तो क्या कहें पर आपका खूबसूरत प्रयास है ।
दीवानगी की आपके तनिक भी सुराग मिलते
ReplyDeleteहम बेबाक अपनी टिप्पणी यहां जड़ देते :)
वाह वाह हर शेर खुबसूरत शेर दाद को मुहताज नहीं , बहुत खूब
ReplyDeleteअसली ग़ालिब का तखल्लुस तो लगाया ही जा सकता है. जैसे चोटीवाला रेस्टोरेंट और फिर असली चोटीवाला रेस्टोरेंट...
ReplyDelete:) गिरती न कभी ओंस यकीं पे बदगुमानी की,
ReplyDeleteअगर तुम भी हमारी बात पे इत्तेफाक होते।
वाह क्या बात है ...
गौदियाल साहब .. आज ग़ालिब साहब जो होते तो दाद दिए बिना न रहते इस पर ... मज़ा आ गया ...
ReplyDeleteआपको नव वर्ष २०१२ की मंगल कामनाएं ...
प्रेम की तपिश में जलने का मज़ा वो ही जाने,
ReplyDeleteजिस के दिल में ये चिंगारी हरपल सुलगती है |
बढ़िया प्रस्तुति
टिप्स हिंदी में
गिरती न कभी ओंस यकीं पे बदगुमानी की,
ReplyDeleteअगर तुम भी हमारी बात पे इत्तेफाक होते।
behtarin prastuti..tuti futi nahi hai jaandaar hai sadar badhayee aaur amantran ke sath
अन्दाज ए शायराना है,
ReplyDeleteमर्ज यह पुराना है..
bahut khoobsurat shayari ban padi hai..
ReplyDeletebahut umda prastuti..
aapko Navvarsh kee managal kamanayen..