...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Wednesday, December 4, 2013
Tuesday, December 3, 2013
जाग मुसाफिर जाग !
यूं अनुत्तरित रहने न दो तुम, आम जनता के सवालों को,
अब और न करने दो वतन फ़रोख़त, सत्ता के दलालों को।
खुदगर्जी, स्व-हित के खातिर रहोगे आँख मूंदे कबतलक,
सिखा ही दो देशभक्तों,अबके सबक इन नमकहलालों को।
तक़सीम करते ये दिलों को, गाकर कलह की कब्बालियां,
उखाड़ फेंकों ऐ अकीतदमंदो, इन नफरत के कब्बालों को।
आघात किसी अबला की अस्मिता ते-हल्का हो या भारी,
असह्य है सर्वथा, हे अधम तरुण, समझा दो तेजपालों को।
लुभाने को बिछाते फिरते हरतरफ, जाल ये प्रलोभनो का,
विफल कर ही दो 'परचेत' अबके,शैतानी इनकी चालों को।
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सहज-अनुभूति!
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