tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post1060297567032246196..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : सर्द अहसास !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-70403400321542565862013-01-07T20:01:49.320+05:302013-01-07T20:01:49.320+05:30वाह वाह ! क्या बात है ! वाह वाह ! क्या बात है ! डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-67148529679972090832013-01-07T14:50:14.752+05:302013-01-07T14:50:14.752+05:30बहुत सुंदर, बेहतरीन। बहुत सुंदर, बेहतरीन। nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-90474282610420262672013-01-07T14:40:25.548+05:302013-01-07T14:40:25.548+05:30भाई जी ! नमस्कार , सब के सवालों के जवाब भी दे डाले...भाई जी ! नमस्कार , सब के सवालों के जवाब भी दे डाले आपने इन सर्द अहसासों में ...,,<br />सवालों के जबाब देते-देते,<br />यहाँ जिन्दगी<br />खुद इक सवाल बनकर रह गई ,<br />फर्क बस इतना है,<br />जवानी में वालिद<br />जीवन का मकसद पूछते थे,<br />अब औलाद<br />जीने का मकसद पूछती है।अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-9693951176514877602013-01-07T14:18:23.102+05:302013-01-07T14:18:23.102+05:30आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के चर्चा मंच पर ... आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर ।। रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-31893560945089506932013-01-07T14:15:47.585+05:302013-01-07T14:15:47.585+05:30बहुत अच्छी !!बहुत अच्छी !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-39902488661234296972013-01-07T12:53:51.440+05:302013-01-07T12:53:51.440+05:30जीवन की इस डगर में
अब हमारे लिए
बाकी बची न कोई उलझ...जीवन की इस डगर में<br />अब हमारे लिए<br />बाकी बची न कोई उलझन है,<br />क्योंकि<br />जिस चाहत के खातिर<br />मोल ली थी तमाम उलझने,<br />वही अब हमारी दुल्हन है ...<br /><br />हा हा ... मुझे तो लगता है उलझनों की शुरुआत है ये ... बहुत खूब गौदियाल जी ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-69701195863911024632013-01-07T12:26:55.030+05:302013-01-07T12:26:55.030+05:30लड़कियों को बचपन से ही आत्मरक्षा की ट्रेनिंग अनिवा...लड़कियों को बचपन से ही आत्मरक्षा की ट्रेनिंग अनिवार्य रूप से दी जाये। हर जगह पुलिस का पहरा नहीं लगाया जा सकता .<br /><br />badhiya soch.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-77122550883637003582013-01-07T11:40:24.274+05:302013-01-07T11:40:24.274+05:30उद्द्वेलित करती रचना ||
जीना बन देता चढ़ा, दस मंजि...उद्द्वेलित करती रचना ||<br /><br />जीना बन देता चढ़ा, दस मंजिल मजबूत |<br />है जीना किस हेतु तब, प्रश्न पूछता पूत |<br />प्रश्न पूछता पूत, पिता जी मकसद भूला |<br />भूल गया वह सीख, आज हूँ लंगडा लूला |<br />बढ़ी विश्व रफ़्तार, जाय दुत्कार सही ना |<br />अंधड़ गया उजाड़, कठिन है ऐसे जीना || <br />जीना= सीढ़ीरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-15263500051029388542013-01-07T10:54:43.232+05:302013-01-07T10:54:43.232+05:30प्रश्नों की परिधि से बाहर आना चाहा पर प्रश्नों की ...प्रश्नों की परिधि से बाहर आना चाहा पर प्रश्नों की रोकता ने बाहर आने ही नहीं दिया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com