tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post2603499261587749919..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : 'नारी' की चिंता में दुबले कुछ ब्लॉगर मित्र !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-32327890320340623332009-12-21T12:45:20.340+05:302009-12-21T12:45:20.340+05:30आप ने नाम नहीं लिया सही कह रहे हैं पर सन्दर्भ मेरा...आप ने नाम नहीं लिया सही कह रहे हैं पर सन्दर्भ मेरा ही हैं सो उसको जवाब देना जरुरी हैं । और आज कल फैशन होगया हैं हिंदी ब्लॉग जगत मे नारी पर सब लिख रहे हैं । पढ़ाने कि पैरवी करते हैं और पढ़ी लिखी ब्लॉगर को अपशब्द , यौनिक गलियाँ और मानसिक रोगी इत्यादि से नवाजते हैं । अब ये hypocracy सम्मानित वरिष्ट और सीनियर सिटिज़न ब्लॉगर छोड़ दे तो बड़ा भला हो गा । बहुत समस्या हैं समाज मे नारी के उत्थान के अलावा क्युकी ब्लॉग पर नारी का उत्थान नहीं हो सकता { ये आप लोग ही कहते हैं } सो क्यों अच्छे बनाने के लिये झूठे आलेख और पोस्ट डालते हैं । और रही बात" इस ब्लॉग जगत की सुर्ख़ियों में लाने के लिए आपका हार्दिक शुक्रिया," नारी ब्लॉग कि संरचना पढे लिखे समाज कि hypocracy को सामने लाने के लिये ही हुई हैं । लोग कहते हैं समाज मे सुधार करो नारियो ब्लॉग पर नहीं , सो उनकी जानकारी के लिये बता दूँ कि ये हिंदी ब्लॉग मे समाज ही आ कर बैठ गया हैं वही गंदगी नारी के प्रति जो हमे सडको पर दिखाई देती हैं मे उसी को ऊपर लाती हूँ और करती रहूगी ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-22736172273905098532009-12-21T10:05:49.435+05:302009-12-21T10:05:49.435+05:30Nari ko dekhne ka apna-apna alag nazariya hota hai...Nari ko dekhne ka apna-apna alag nazariya hota hai. koi nari ko sammaan deta hai aur koi nari ko pana chahta hai. But this is truth that woman is definitely weak compare to man. Every man is free to decide the attitute towards women and every women is free to fix the strong position in society.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/15925582544236332409noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-92105221758759634272009-12-21T09:59:09.267+05:302009-12-21T09:59:09.267+05:30आदरणीय रचना जी,
सर्वप्रथम तो यह कहना चाहूँगा कि मे...आदरणीय रचना जी,<br />सर्वप्रथम तो यह कहना चाहूँगा कि मेरी वजह से आपको किसी भी तरह की जो तकलीफ पहुंची हो उसके लिए माफी मांगता हूँ ! जैसा कि आपने कहा कि आपको इस मुद्दे पर मेरे अगले लेख का इन्तजार रहेगा तो यही कहूँगा कि मेरा इस मुद्दे पर आगे कुछ भी कहने की कोई मंशा नहीं है ! मेरी किसी को व्यक्तिगत ठेस पहुंचाने का कोई भे इरादा नहीं ! आप इस बात को तो ऐप्रिसियेट करोगी कि एक ब्लोगर चिट्ठाजगत पर हर किसी ब्लोगर की सारी टिप्पणिया और लेख तो नहीं पढ़ सकता ! दूसरा मैंने अपने लेख में किसी का नाम तो नहीं लिया, तीसरा मुद्दा यह नहीं था कि किसने क्या टिप्पणी की, मुद्दा मेरा लिखने का सिर्फ यह था कि हम लोग(तथाकथित साहित्यकार ) इस ब्लॉग जगर पर जरा-ज़रा सी बातो पर बहुत लम्बी-लाबी बहस कर लेते है लेकिन जनता का एक प्रतिनिधि देश की सर्वोच्च संस्था राज्यसभा में खड़े होकर महिलाओं(कृपया नोट करे कि इन महिलाओं के अंतर्गत मेरी माँ, मेरी बहिन, मेरे दोस्त और मेरे रिश्तेदार भी आते है ) के बारे में इस तरह का बयान देता है तो बजाय यहाँ पर इन बेफालतू की टिप्पणियों और लेखो पर अनावाश्य्क बहस करने के हम सारे चिट्ठेकार इन मुद्दों पर अपना एक स्वर प्रखर करे, और अपना विरोध दर्ज करे कि who the hell this naayak is एंड at what capacity he is giving this kind of social certificate to women? प्रसाद जी की जिस टिप्पणी का उल्लेख आपने किया मैंने नहीं पढी थी, नहीं मालूम कि उन्होंने किस विषय पर इस तरह की टिप्पणी दी लेकिन उनकी टिप्पणी अगर किसे पूर्वाग्रह से ग्रषित थी तो मैं उसकी भी निंदा करता हूँ ! इस पर अपना पक्ष खुद सी एम् प्रासाद जी स्पष्ठ करे तो ज्यादा बेहतर रहेगा ! मेरे समक्ष जो टिपण्णी आयी और मैंने पढी, उन्हें एक सीनियर सिटिजन का पूर्ण सम्मान देते हुए, मैंने अपना मत व्यक्त किया, खैर, बेहतर यही है कि हम इस मुद्दे को यही समाप्त समझे !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-43782458598921101732009-12-21T09:37:42.077+05:302009-12-21T09:37:42.077+05:30This comment has been removed by the author.पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-15223990918696572052009-12-20T21:52:19.551+05:302009-12-20T21:52:19.551+05:30इसे कहते हैं रंग में भंग। कहाँ की बात कहाँ चली गयी...इसे कहते हैं रंग में भंग। कहाँ की बात कहाँ चली गयी। वैसे आपने लिखा अच्छा है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-7289626950240878972009-12-20T20:56:37.349+05:302009-12-20T20:56:37.349+05:30कुल सही मुद्दा और उचित तर्क।
कुछ जिद्दी मानसिकता...कुल सही मुद्दा और उचित तर्क। <br /><br />कुछ जिद्दी मानसिकता के लोग बहुत दूर तक पीछा करते हैं। ये हमारे समाज के अपरिहार्य अंग हैं। लेकिन इनसे रोचकता बनी रहती है। <br /><br />सार्थक बातों के लिए शुक्रिया।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-11681976971856118002009-12-20T17:38:41.278+05:302009-12-20T17:38:41.278+05:30काम की बहस लग रही है
मौन धारण कर विद्वानों की बात...काम की बहस लग रही है <br />मौन धारण कर विद्वानों की बात पढ़नी चाहिए..!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-72755876203434551162009-12-20T16:08:42.032+05:302009-12-20T16:08:42.032+05:30आपका चिंतन और क्षोब दोनो ही वाजिब हैं ......... अभ...आपका चिंतन और क्षोब दोनो ही वाजिब हैं ......... अभी बहुत दूरजाना है हमें अपनी सोच बदलने के लिए ........मेरा मानना है की शिक्षा ही इसका एकमात्र उपाय है ..........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-37414645549736915372009-12-20T13:35:10.335+05:302009-12-20T13:35:10.335+05:30रचना जी से कहूंगा कि आप मेरी बातो को व्यक्तिगत तौर...रचना जी से कहूंगा कि आप मेरी बातो को व्यक्तिगत तौर पर विल्कुल भी न ले, <br /><br />नहीं लेंमना चाहती हूँ पर आप को फिर अपनी गलती भी मान लेनी चाहिये कि आप को सन्दर्भ नहीं पता था और आप को अपनी पोस्ट से वो पाराग्राफ हटाना चाहिये जिसमे आप नए कहा हैं "निराशाजनक टिप्पणी के बारे मे " उम्र बड़ी होने से क्या मानसिकता सही होती हैं । नारी को शिक्षित करने कि बात करते हैं और ब्लॉग जगत कि सबसे शिक्षित ब्लॉगर सुजाता कि सोच को पर ना केवल ऊँगली उठाते हैं सो मैने क्या गलत कहा कि अगर नारी को शिक्षित करोगे तो फीस उसकी सोचने कि ताकत के लिये भी तैयार रहो<br />आप आज पोस्ट लिखे या कल पर मानसिकता सही रखे और उन मुद्दों पर लिखे जिन को आप मन से सही मानते हैं ।<br /><br />आप कि अगली पोस्ट का इंतज़ार हैं , इस बार मुझे भी देखना हैं ब्लॉग जगत के वरिष्ठ और सम्मानित ब्लॉगर कितना दुसरो के सम्मान के प्रति सचेत हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-39919116574833508002009-12-20T11:44:00.536+05:302009-12-20T11:44:00.536+05:30इस विषय पर आप लोगो ने जो अपने खुलकर विचार रखे, उसक...इस विषय पर आप लोगो ने जो अपने खुलकर विचार रखे, उसके लिए आप सभी का हार्दिक शुक्रिया ! इस बात से बहुत खुसी मिली कि लगभग सभी वरिष्ट ब्लोगरो ने अपने स्स्र्थक विचार प्रस्तुत किये ! रचना जी से कहूंगा कि आप मेरी बातो को व्यक्तिगत तौर पर विल्कुल भी न ले, लेकिन कुछ बाते है जिन पर मनन आवश्यक है !<br />आज घर पर किसी ख़ास कार्य की वजह से व्यस्त हूँ, जरुरत पडी तो इस पर कल अपने विचार रखूंगा ! आप लोगो का पुन : हार्दिक शुक्रिया !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-45838674788349349862009-12-20T11:06:12.361+05:302009-12-20T11:06:12.361+05:30गोदियाल जी, आपका चिंतन जायज है. और इसे ही हम सार्थ...गोदियाल जी, आपका चिंतन जायज है. और इसे ही हम सार्थक ब्लोगरी कहेंगे.<br />टिप्पणियों में सुधि ब्लोगरों ने विस्तारित पक्ष रखा है और कुछ कहने की जरुरत नहीं है.<br /><br />सडको पर या सार्वजनिक स्थानों पर कुछ घृणित घटनाएं घटती है तो अक्सर होता ये है कि दोषियों को उचित सजा मिले या न मिले हम इतिहास और वर्तमान का पोस्टमार्टम करने लग जाते हैं. अपने देश या समाज में यही दुखद है. बाकी किसी भी पुरुष के मन में नारी के प्रति सम्मान होना उनके पौरुष गुण का अंग है और होना चाहिए. यही बात किसी भी नारी के लिए ग्राह्य है.<br /><br />- सुलभSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-45748037414323649472009-12-20T10:24:54.502+05:302009-12-20T10:24:54.502+05:30आपके इस सार्थक लेखन से पुर्णरुपेण सहमति व्यक्त करत...आपके इस सार्थक लेखन से पुर्णरुपेण सहमति व्यक्त करता हूं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-85571474045891743952009-12-20T10:22:23.630+05:302009-12-20T10:22:23.630+05:30साथ ही कुछ महिला ब्लोगर किसी ब्लोगर की सार्थक पहल ...साथ ही कुछ महिला ब्लोगर किसी ब्लोगर की सार्थक पहल को भी महज एक ढकोस्लाबाजी कहकर कई बार अप्रिय शब्दावली इस्तेमाल करती है! अभी हाल का एक उदहारण मैं इस तरह से देता हूँ कि इस ब्लॉग जगत के हमारे एक वरिष्ठ और सम्मानित ब्लॉगर श्री सी.एम् प्रसाद जी ने एक लेख लिखा था, 'महिला सुशिक्षित और सशक्त हो', उस लेख की कड़ी में एक महिला ब्लोगर की टिपण्णी निराशाजनक लगी ! <br /><br />आप को मेरी टिप्पणी निराशा जंक लगी कोई बात नहीं क्युकी एक वरिष्ठ और सम्मानित ब्लॉगर श्री सी।एम् प्रसाद जी कि एक टिप्पणी शाद आप नए नहीं पढ़ी जो एक महिला ब्लॉगर के लिये थी { हो सकता हैं महिला ब्लॉगर थी इस लिये वो सम्मानित नहीं थी } चलिये आप इस लिंक को देखिये<br />http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2008/12/blog-post_29.html<br /><br />और इस लिंक को भी देखिये <br />http://chitthacharcha.blogspot.com/2008/12/blog-post_29.html<br />फिर बताइये कि क्या गलत था मेरी टिप्पणी मे । आप लोग उम्र को ले कर क्यूँ इतना बाय्बबला मचाते हैं । क्या वरिष्ठ नागरिक हो जाने से ही कोई समानित ब्लॉगर हो जाता हैं । श्री सी।एम् प्रसाद अच्छे हैं या बुरे नहीं जानती और ना व्यक्तिगत रूप से जानने चाहती हूँ हां उनके एक नहीं अनेक कमेन्ट हैं जिन मे शिक्षित महिला को "निरंतर " गलत साबित किया गया हैं । तो इस पोस्ट मे शिक्षा का प्रसार महिला के लिये हो कर वो क्या साबित करना चाहते हैं ???<br /><br />और आप से पूछती हूँ क्या एक दूसरी पोस्ट मे आप मेरी प्रति जो गलत जानकारी आप नए यहाँ दी हैं उसका खंडन करेगे क्युकी मेरे कमेन्ट का सन्दर्भ बिना जाने आप ने उसको "निराशाजनक"कहा है क्या इतनी उम्मीद आप से कर सकती हूँ क्युकी आप भी वरिष्ठ और समानित ब्लॉगर माने जाते हैं । और महिला ब्लॉगर के सम्मान का क्या उसको कहा सम्मान कि जरुरत होती हैं । वो चाहे ३० कि हो ५० कि सदा ही "सीख पाने के लिये बनी हैं "<br />अफ़सोस हुआ आप कि ये पोस्ट पढ़ कर ये नहीं कहूँगी क्युकी इस से भी ज्यादा अफ़सोस जनक पहले पढ़ा हैं । हां देखना ये हैं कि आप कि अगली पोस्ट मे आप अफ़सोस जाहिर करते हैं या नहींAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-66687828363589270952009-12-20T01:17:07.456+05:302009-12-20T01:17:07.456+05:30बहुत महत्वपूर्ण मुददा उठाया है आपने ।
इतना ही कह...बहुत महत्वपूर्ण मुददा उठाया है आपने । <br />इतना ही कहना चाहता हूं कि "किसी भी देश और व्यक्ति के चरित्र का पता इस बात से चलता है कि उस देश के लोगो वहां की महिलाओं और वृद्धों के साथ कैसा बर्ताव करते है ।" जाहिर है कि भले ही हम महान संस्कृति का गौरव गान करते रहें लेकिन व्यवहार में देखने पर हमें कोई गौरवपूर्ण बात नहीं मालूम पडती बल्कि शर्मसार होने के मौके ज्यादा होते हैं । <br /><br />ब्लॉग जगत में भी कई बार अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया जाता है । लोग सामान्य शिष्टाचार भी भूल जाते हैं । आखिर नेता भी तो समाज से ही आते हैं । <br /><br />नारी के प्रति सम्मान का भाव अभी भी हमारे समाज में पैदा नहीं हो सका है । यही समाज के पतन का सबसे बडा कारण है ।अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-2608123762334067572009-12-19T22:42:42.139+05:302009-12-19T22:42:42.139+05:30आपके विचार पढ़े। ब्लाग जगत अपने समाज जैसा ही होगा। ...आपके विचार पढ़े। ब्लाग जगत अपने समाज जैसा ही होगा। लोग असहज बातें करने से बचते हैं। अपने खिलाफ़ कोई बात सुनना नहीं चाहते।<br /><br />महिलाओं के बारे में समाज में जो होता है अपने ब्लाग जगत में कुछ न कुछ वैसा ही अक्सर दिख जाता है। महिलाओं के बारे में द्विअर्थी संवाद आम बात हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-45517880477207578912009-12-19T22:33:07.595+05:302009-12-19T22:33:07.595+05:30पूर्ण सहमति !पूर्ण सहमति !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-7122930975042237102009-12-19T22:26:49.650+05:302009-12-19T22:26:49.650+05:30भाई गोदियाल जी को धन्यवाद कि उन्होंने मेरे लेखन को...भाई गोदियाल जी को धन्यवाद कि उन्होंने मेरे लेखन को सराहा और यहां उसका उल्लेख किया। भारत की यह सभ्यता रही है कि बालिका को भी माँ कह कर सम्बोधित किया जाता है। जब हम अपने संस्कार और संस्कृति से मुंह मोडेंगे तो गोआ जैसे मुद्दे सामने आएंगे। आशा है कि इस मंथन से कुछ अच्छे विचार सामने आएंगे और अमृत कभी न कभी तो छलकेगा।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-4105360068259458812009-12-19T21:14:00.329+05:302009-12-19T21:14:00.329+05:30सादर वन्दे
विद्वानों कि इस चर्चा में मै यही कह सकत...सादर वन्दे<br />विद्वानों कि इस चर्चा में मै यही कह सकता हूँ कि<br />नारी बेटी है, बहन है, पत्नी है, माँ है और इसके आलावा पुरुष कि सार्थकता किसमे होगी कि यह सभी रूप उनको जीवन का संबल प्रदान करते हैं, अतः हम चाहे पुरुष हो या नारी दोनों एक दूसरे के पूरक है और अगर एक ने भी दूसरे के भोग कि ही बात सोची तो असंतुलन तय है. अतः उत्तम विचार ही सर्वोपरि है <br />रत्नेश त्रिपाठीaaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-85584376654453314382009-12-19T20:06:14.411+05:302009-12-19T20:06:14.411+05:30गोदियालजी,
हम चर्चा अक्सर ऐसे ही मुद्दों पर करते ...गोदियालजी,<br /><br />हम चर्चा अक्सर ऐसे ही मुद्दों पर करते हैं जहाँ कन्फ्यूज़न होता है । स्त्री और पुरुष के बीच के संबंध इतने स्वाभाविक किंतु जटिल होते हैं कि उनसे कोई भी सरलीकृत अवधारणा गढना असँभव है..इसलिए बार-बार अनेक कोणों से इनकी व्याख्या करते रहते हैं । स्त्री-पुरुष संबंध पृथ्वी ग्रह् पर मानवता की उपस्थिति के नियामक हैं... इसलिए शक्ति की प्रतीक स्त्री हमारे लिए प्रत्येक रूप में वन्दनीय है । अवधिया जी और अदा जी के विचार विषय को व्यापक विस्तार देते हैं.....कुछ ब्लागरों की चिंता अगर हमें हृदय मंथन का सकारात्मक अवसर दे रही है तो..बुरा क्या है ।DIVINEPREACHINGShttps://www.blogger.com/profile/03244839554643566764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-85557256482908744172009-12-19T19:43:13.849+05:302009-12-19T19:43:13.849+05:30आपकी बातों से शत-प्रतिशत सहमत हूँ...आशा है लोग पढ़ ...आपकी बातों से शत-प्रतिशत सहमत हूँ...आशा है लोग पढ़ रहे होंगे और समझ भी रहे होंगे...साथ ही इसे कार्यान्वित भी करेंगे...<br />आपके इस लिख क्र लिए आपको बधाई...<br /><br />sanjay bhaskarसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-77695697558052931402009-12-19T19:18:51.630+05:302009-12-19T19:18:51.630+05:30गोदियाल जी, नारीमुक्ति, नारी सशक्तिकरण वगैरह वगैरह...गोदियाल जी, नारीमुक्ति, नारी सशक्तिकरण वगैरह वगैरह ये मुद्दे सिर्फ अपने अन्दर के नेतागिरी के कीडे को पोषित करने का जरिया भर है । <br />हमारा तो ये मानना है कि केवल नर या केवल नारी को मुद्दा न बनाकर हमें दोनों को एक दृ्ष्टि से देखते हुए दोनों की घर-परिवार और समाज मे सहभागिता की बात करनी चाहिए...ओर जहाँ कमी दिखाइ दे उस कमी को दूर करने के बारे में विचार करना चाहिए ।Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-52701163187560650722009-12-19T19:07:48.151+05:302009-12-19T19:07:48.151+05:30नारी पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं । अच्छे समाज के लि...नारी पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं । अच्छे समाज के लिये दोनों की प्रगति जरूरी है । दोनों अगर अलग अलग प्रगति करना चाहेंगे तो समाज के लिये ठीक नही होगा ।कोई कम है कोई ज्यादा ,इस प्रश्न में उलझकर हम अपने समाज का ही अहित करेंगेअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-16530510632397906362009-12-19T19:04:11.196+05:302009-12-19T19:04:11.196+05:30'अदा' जी और अवधिया जी ने काफी कुछ कह ही दि...'अदा' जी और अवधिया जी ने काफी कुछ कह ही दिया है<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-23948363487575671682009-12-19T18:49:49.452+05:302009-12-19T18:49:49.452+05:30अदा जी के विचारों से पूरी तरह सहमत...पुरुष हो या न...अदा जी के विचारों से पूरी तरह सहमत...पुरुष हो या नारी.. दोनों सही मायने में इंसान बने रहे, कोई कम नहीं, कोई ज़्यादा नहीं...बस यही फ़लसफ़ा दुनिया को रहने के लिए बेहतर जगह बना सकता है...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-50234087328005514142009-12-19T18:41:40.937+05:302009-12-19T18:41:40.937+05:30सार्थक चिन्तन किया है आपने. आपसे पूर्णतः सहमत हूँ....सार्थक चिन्तन किया है आपने. आपसे पूर्णतः सहमत हूँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com