tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post316089210653429071..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : दरिया-ऐ-इश्कपी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-6789434142654232812013-01-18T12:36:20.651+05:302013-01-18T12:36:20.651+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. बहुत सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. Madan Mohan Saxenahttps://www.blogger.com/profile/02335093546654008236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-37232697516108026552013-01-12T13:47:22.684+05:302013-01-12T13:47:22.684+05:30रावत जी, ये आपका बड़प्पन है भैजी! आपके इस स्नेह क...रावत जी, ये आपका बड़प्पन है भैजी! आपके इस स्नेह के लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ ! पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-24583430819900016472013-01-12T10:57:41.095+05:302013-01-12T10:57:41.095+05:30भरी महफ़िल में छलकते नयन, तेरी पहचान उजागर न कर दे...भरी महफ़िल में छलकते नयन, तेरी पहचान उजागर न कर दे,<br />प्रेम की मंडी में जज्बातों की नुमाइश मुझे अच्छी नहीं लगती।<br /><br />बहुत खूबसूरत गज़लसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-65689689119106905722013-01-12T08:55:40.872+05:302013-01-12T08:55:40.872+05:30वाह, गजब अन्दाज..वाह, गजब अन्दाज..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-75767094242920238062013-01-12T00:08:15.203+05:302013-01-12T00:08:15.203+05:30पैमाने में भरकर अलसाये दर्द को, इस तरह न छलकाया कर...पैमाने में भरकर अलसाये दर्द को, इस तरह न छलकाया करो, तेरी सुर्ख आँखों से बेमौसम की बारिश मुझे अच्छी नहीं लगती। <br /><br />वाहवाह,लाजबाब गजल,,बधाई पी.सी.गोदियाल जी <br /><br />recent post <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/01/blog-post_9.html#links" rel="nofollow">: जन-जन का सहयोग चाहिए...</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-2750663219819699382013-01-11T19:07:11.190+05:302013-01-11T19:07:11.190+05:30जिन्दगी की आपाधापी में व्यस्तता के कारण आपके ब्लॉग...जिन्दगी की आपाधापी में व्यस्तता के कारण आपके ब्लॉग पर काफी दिनों बाद आया। <br />माफी चाहूंगा।<br />हिन्दी-उर्दू मिश्रित इस उत्कृष्ट रचना के लिये आभार!!<br />शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-5043234429253546402013-01-11T16:01:25.603+05:302013-01-11T16:01:25.603+05:30तेरी सुर्ख आँखों से बेमौसम की बारिश मुझे अच्छी नही...तेरी सुर्ख आँखों से बेमौसम की बारिश मुझे अच्छी नहीं लगती....क्या खूबसूरत बात कही है आपनेरश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-63751777131327407122013-01-11T15:24:29.021+05:302013-01-11T15:24:29.021+05:30खूबसूरत अंदाज़ खूबसूरत अंदाज़ Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-44968981689670690782013-01-11T11:47:45.052+05:302013-01-11T11:47:45.052+05:30अंतर्मन में ऐक्य है, तनातनी तन माय |
प्यारी सी यह ...अंतर्मन में ऐक्य है, तनातनी तन माय |<br />प्यारी सी यह गजल दे, फिर से आग लगाय |<br />फिर से आग लगाय, बुलाना नहीं गवारा |<br />रहा खुद-ब-खुद धाय, छोड़ के धंधा सारा |<br />आँखों में इनकार, मगर सुरसुरी बदन में |<br />रविकर कर बर्दाश्त, आज जो अंतर्मन में ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-58910498762192732602013-01-11T11:44:07.695+05:302013-01-11T11:44:07.695+05:30जबरदस्त है भाई साहब |
धमकाने वाला अंदाज दिख रहा है...जबरदस्त है भाई साहब |<br />धमकाने वाला अंदाज दिख रहा है-<br />सादर ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com