tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post7710582270812944685..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : व्यथा !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-40408374425538792512012-09-14T22:46:50.710+05:302012-09-14T22:46:50.710+05:30अब तो धरती मैया का सहारा है बस.....
:)
अनु अब तो धरती मैया का सहारा है बस.....<br />:)<br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-13434665807106008402012-09-14T15:13:08.927+05:302012-09-14T15:13:08.927+05:30दरी बेचारी क्या गुमराह होगी ..... वो तो गुम हो चुक...दरी बेचारी क्या गुमराह होगी ..... वो तो गुम हो चुकी है ... संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-15794971261758935312012-09-14T13:42:25.169+05:302012-09-14T13:42:25.169+05:30मैं जानता हूँ दरी
तुम गुम हो गयीं ..
शायद मेरे से...मैं जानता हूँ दरी<br />तुम गुम हो गयीं ..<br /><br />शायद मेरे से ज्यादा <br />उन्हें जरूरत थी तेरी <br />जिनका सब कुछ छीन लिया था <br />व्यवस्था के ठेकेदारों ने ..<br /><br />तुझे ढूंढ लूँगा उन सभी के घर <br />जो शिकार हो चुके हैं <br />सांसों के फेर से आज़ाद हो चुके हैं ..<br />दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-6485929666669843002012-09-14T12:41:07.594+05:302012-09-14T12:41:07.594+05:30गहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति गहन भाव लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-35837930854077221122012-09-14T09:44:44.338+05:302012-09-14T09:44:44.338+05:30दरी-चादर की जगह आजकल सोफों-कालीनो ने ले लिए हैं......दरी-चादर की जगह आजकल सोफों-कालीनो ने ले लिए हैं....<br />Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-13497474068952296452012-09-14T07:28:30.688+05:302012-09-14T07:28:30.688+05:30उतनी भी गुमराह नहीं है...खोजो प्लीज़..मुझे भी इन्त...उतनी भी गुमराह नहीं है...खोजो प्लीज़..मुझे भी इन्तजार है!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-22210722115906145472012-09-13T23:27:27.858+05:302012-09-13T23:27:27.858+05:30दरी को माध्यम बनाकर एक ठोस अभिव्यक्ति.दरी को माध्यम बनाकर एक ठोस अभिव्यक्ति.शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-65731582741035868102012-09-13T22:02:54.889+05:302012-09-13T22:02:54.889+05:30बेचारी दरी! अब तक मनुष्य गुमराह होते थे अब दरी भी!...बेचारी दरी! अब तक मनुष्य गुमराह होते थे अब दरी भी!<br /><br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-50561612635144101272012-09-13T21:51:22.525+05:302012-09-13T21:51:22.525+05:30बहुत सार्थक!बहुत सार्थक!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-16408188338028708732012-09-13T21:30:06.515+05:302012-09-13T21:30:06.515+05:30@ देवेन्द्र पाण्डेय जी और राजेश कुमारी जी :)@ देवेन्द्र पाण्डेय जी और राजेश कुमारी जी :)पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-39413644473667004692012-09-13T20:26:03.340+05:302012-09-13T20:26:03.340+05:30कुछ ज्यादा ही परवाह करना या परवाह बिलकुल न करना दो...कुछ ज्यादा ही परवाह करना या परवाह बिलकुल न करना दोनों परिस्थितियाँ गुमराही का कारण बन सकती हैं अब आपकी दरी के पीछे तो मुझे पहलेवाला कारण ही लगता है कंही आपकी बाहों में उसका दम तो नहीं घुटने लगा था Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-35772767438478937152012-09-13T20:06:56.050+05:302012-09-13T20:06:56.050+05:30अब तो सोफे में बैठने लगे हैं।अब तो सोफे में बैठने लगे हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-3989702865616082802012-09-13T20:03:23.823+05:302012-09-13T20:03:23.823+05:30सुन दरी !
बिछोने का इक तू ही तो
अकेला सहारा थी म...सुन दरी !<br />बिछोने का इक तू ही तो <br />अकेला सहारा थी मेरी,<br />बाजुओं में दबाये <br />लिए फिरता था मैं तुझे <br />सुबह से शाम,<br />इस पार से उस पार,<br />इस राह से उस राह ! <br />बेचैन हूँ तबसे बड़ा, <br />जबसे तू अचानक <br />गुम राह हुई !! <br /><br />बढ़िया प्रस्तुति है .<br /><br />व्यंग्य थोड़ा मैं भी करूँ -<br /><br />दरी को भी कुछ न कुछ तो गर्म बिस्तर चाहिए ,<br />इक साफ़ चादर चाहिए ..<br />ram ram bhai<br />बृहस्पतिवार, 13 सितम्बर 2012<br />आलमी होचुकी है रहीमा की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी किश्त )<br /><br />http://veerubhai1947.blogspot.com/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-55776657850259663422012-09-13T19:29:01.325+05:302012-09-13T19:29:01.325+05:30पता नहीं आपने क्या सोच कर लिखा लेकिन नाराज न हों म...पता नहीं आपने क्या सोच कर लिखा लेकिन नाराज न हों मैं इस पर थोड़ा विनोद करना चाहता हूँ...<br /><br />सुन दरी!<br />अच्छा किया जो गुम हुई! <br />तुम्हारे मालिक को<br />तुम्हारी नहीं<br />बिस्तर की चिंता थी<br />तुम <br />बचाती थी हमेशा उन्हें सीत से<br />वरना बिस्तर की अकेले क्या औकात?<br /><br />सुन दरी!<br />यह तो पूछ अपने मालिक से<br />कि मैं जब सहारा थी सिर्फ बिस्तर की<br />तो आपके पेट में इतना दर्द क्यों हो रहा है?<br /><br />सुन दरी!<br />यह भी कह दे<br />कि जब नहीं थी मैं तेरी कोई<br />तो क्या फर्क पड़ता है<br />कि मैं हम बिस्तर रहूँ<br />किसी के भी।<br />:)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com