tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post8394638983421639559..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : 'ॐ' हिग्ग्स-बोसोन भी कहे - कण-कण में भगवान् !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-5076914887243074222012-07-12T16:00:16.354+05:302012-07-12T16:00:16.354+05:30स्वागत , डा० साहब !स्वागत , डा० साहब !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-55976592346146042072012-07-10T15:23:22.686+05:302012-07-10T15:23:22.686+05:30गोदियाल जी.. नमस्कार... बहुत दिनों के बाद... आया ह...गोदियाल जी.. नमस्कार... बहुत दिनों के बाद... आया हूँ... कैसे हैं आप? एक वादा कर रहा हूँ कि अब आता रहूँगा..डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-29901694086483913182012-07-06T07:43:18.419+05:302012-07-06T07:43:18.419+05:30अच्छा विश्लेषण.अच्छा विश्लेषण.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-50475816343746160732012-07-05T20:01:00.248+05:302012-07-05T20:01:00.248+05:30आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है...<a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/07/blog-post_05.html" rel="nofollow">आपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद ! </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-79162561959247775562012-07-05T16:29:31.865+05:302012-07-05T16:29:31.865+05:30बहुत सुन्दर!
शेअर करने के लिए आभार!बहुत सुन्दर!<br />शेअर करने के लिए आभार!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-24880892320092755592012-07-05T15:32:38.019+05:302012-07-05T15:32:38.019+05:30बहुत बढ़िया .बहुत बढ़िया .कमल कुमार सिंह (नारद )https://www.blogger.com/profile/16086466001361632845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-5461988895537583132012-07-05T12:43:17.714+05:302012-07-05T12:43:17.714+05:30बेहतरीन प्रस्तुति ...बेहतरीन प्रस्तुति ...सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-22267471133807736562012-07-05T11:46:14.600+05:302012-07-05T11:46:14.600+05:30हा हा ... आप क्या कह रहे हैं ... जिस बात की खोज मे...हा हा ... आप क्या कह रहे हैं ... जिस बात की खोज में एक पैसा भी खर्च न हो वो कैसे कोई मान ले ... हम तो अब मानेंगे भगवान होता है ... करोड़ों खरबों रूपये खर्च करके विदेशी वैज्ञानिकों ने साबित की है ये बात ... भारतीये चाहे हजारों साल से कहें पर मानता कौन है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-46945264842896487372012-07-05T10:12:03.404+05:302012-07-05T10:12:03.404+05:30गोदियाल जी,
हमारी भारतीय मीडिया ही नही, अंतराष्ट...गोदियाल जी, <br /><br />हमारी भारतीय मीडिया ही नही, अंतराष्ट्रीय मीडिया को बात का बंतगड़ बनाना अच्छे से आता है। उनकी रोजी रोटी ही सनसनी से चलती है। एक अच्छी खासी महत्वपूर्ण खोज जो कि सदियो तक याद रखी जायेगी, उस खोज की पूरी ऐसी तैसी कर दी मीडिया ने।<br />इस खोज का ईश्वर से कोई संबध ही नही है इसीलिए मैने अपनी पोष्ट की शुरुवात मे लिखा था<br /> <br /><b><i>समाचार पत्रो की सुर्खियों मे सामान्यतः राजनीति और फिल्मी गासीप के लिये ही जगह होती है, विज्ञान के लिये कम और कण भौतिकी के लिये तो कभी नही। लेकिन हिग्स बोसान इसका अपवाद है, लेकिन शायद यह भी इसके विवादास्पद उपनाम “ईश्वर कण” के कारण है।</i></b><br /><br />बहरहाल स्वस्थ बहस अच्छी होती है और चलते रहना चाहीये।<br />धन्यवाद!Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-51124314173166912852012-07-05T09:54:49.971+05:302012-07-05T09:54:49.971+05:30आदरणीय वीरुभाईजी और आशीष श्रीवास्तवजी ! सर्वप्रथम ...आदरणीय वीरुभाईजी और आशीष श्रीवास्तवजी ! सर्वप्रथम आपका आभार व्यक्त करना चाहूँगा कि आपने अपना समय निकाल मेरे उदगार पर अपनी महत्वपूर्ण टिपण्णी दी ! और यकीन मानिए मुझे आपकी टिपण्णी से किसी भी तरह से बुरा नहीं लगा, अपितु यह कहूंगा कि आपने एक जो वैज्ञानिक पक्ष है उसे खूबसूरती से रखा ! मैं इस पर ख़ास लम्बी बात भी नाहे कहूंगा क्योंकि मैं भी बहुत ज्यादा आस्तिक नहीं हूँ , लेकिन मुझे कहीं लगता है ( और जिसका मुझे डर था और इसी लिए उस आलेख के अंत में नोट भी लिखा था ) कि आप मैं जो कहना चाहता था उसे ठीक से पकड़ नहीं पाए ! प्रयोग आविष्कार का मूल होता है ! यदि प्रयोग ही नहीं होंगे तो आविष्कार कहाँ से होंगे ? और न जाने आगे चलकर यह जो अरबों खरबों रूपये का प्रयोग है मानव के किस हित के काम आ जाए कोई नहीं जानता ! मेरी खीज तो सिर्फ मीडिया से थी भाई साहब कि यदि हमें १३ साल के प्रयोग के बाद यही सुनना था कि कोई हिग्स बोसों जैसा कण है जो मास एकत्रित करने में सक्षम है ! यानि कि भगवान् के जैसा पावरफुल है तो यह बात जो ये इतने प्रयोग करके अरों खर्च करके कह रहे है हमारे ऋषि-मुनियों ने सिर्फ आत्मानुभूति से ही जान लिया था और जिसके गवाह और प्रमाण हमारे पुराण और गीता है !बस, <br /><br />मैंने यह नोट भी लिखा था ;<br /> "<br />नोट: उपरोक्त आलेख सिर्फ इस बिंदु को ध्यान में रखकर लिखा गया है कि जैसा कि हमारे कुछ प्रचार माध्यम प्रचारित कर रहे है, कि भगवान् की खोज हो गई है, तो यदि भगवान् है तो यह बात ऋषि-मुनियों ने हमारे धर्म- ग्रंथों में बहुत पहले ही कह दी थी, इसमें नया क्या है ? बहुत सीमित विज्ञान की जानकारी रखता हूँ, अत : जाने अनजाने कुछ गलत परिभाषित किया हो तो उसके लिए अग्रिम क्षमा ! "पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-65762702914907348212012-07-05T09:17:17.195+05:302012-07-05T09:17:17.195+05:30सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं बोसॉन्स, पता नह...सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं बोसॉन्स, पता नहीं हिग्स कौन सा अलग गुण लेकर आयेंगे और कौन सा भेद उत्पन्न करेंगे?प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-69809902857688486742012-07-05T07:32:15.810+05:302012-07-05T07:32:15.810+05:30एक और टिप्पणी:
पिटर हिग्गस नास्तिक है, वह ईश्वर/गा...एक और टिप्पणी:<br />पिटर हिग्गस नास्तिक है, वह ईश्वर/गाड पर विश्वास नही करते है।<br /><br />सत्येन्द्रनाथ बोस को भूलने का प्रश्न ही नही उठता! ’बोसा’ नाम ही उनके सम्मान मे है। <br />विज्ञान समुदाय(भारत का भी और अंतरराष्ट्रीय भी) उनका अहसानमंद है।<br />लेकिन मीडीया की गारंटी लेना असंभव है कि वो क्या दिखा दें।Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-4022548582794393292012-07-05T07:26:56.207+05:302012-07-05T07:26:56.207+05:30आप मेरे इस ब्लाग पर जाकर इस कण के संबंध मे जानकारी...आप मेरे इस ब्लाग पर जाकर इस कण के संबंध मे जानकारी प्राप्त कर सकते है : https://vigyan.wordpress.com/Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-32317319666135438092012-07-05T07:24:29.552+05:302012-07-05T07:24:29.552+05:30आपको बुरा लगेगा उसके लिए क्षमाप्रार्थी !
हिग्स बो...आपको बुरा लगेगा उसके लिए क्षमाप्रार्थी !<br /><br />हिग्स बोसान का ईश्वर से दूर दूर तक कोई संबध नही है। आपका लेख और अधिकतर टिप्प्णीयां इस विषय को गलत तरीके से समझने के कारण है।<br /><br />हिग्स बोसान को कुछ लोगो ने ’ईश्वर कण’ इसलिये कह दिया क्योंकि उसे खोज पाना मुश्किल होते जा रहा था। १९७० मे इसके होने की संभावना जतायी गयी थी और पूरे ४३ वर्ष लग गये इसे ढुंढने मे।<br /><br />और रहा अरबो रूपये खर्च करने का, आप भूल रहे है कि जिस इंटरनेट का आप प्रयोग अपने विचारो के प्रसार के लिये कर रहे है वह अमरीका के रक्षा विभाग ने अरबो खरबो रूपये खर्च के बनाया था, आज जन जन के काम आ रहा है। आपका मोबाईल/घर का फोन भी अरबो खर्च कर के ही बना था।Ashish Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02400609284791502799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-69384458880484709672012-07-05T05:42:27.432+05:302012-07-05T05:42:27.432+05:30एकदम सटीक विवेचन ...इससे ज्यादा क्या कहें कि ...जि...एकदम सटीक विवेचन ...इससे ज्यादा क्या कहें कि ...जिन निष्कर्षों पर पहुचने का नाटक ये आज कर रहे है, उन निष्कर्षों को तो हमारे पौराणिक ग्रंथ कब के बता चुके... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-85527057886669670632012-07-05T02:03:55.928+05:302012-07-05T02:03:55.928+05:30चैनलियों के सन्दर्भ में आपके उदगार और गीता प्रवचन ...चैनलियों के सन्दर्भ में आपके उदगार और गीता प्रवचन समीचीन है इन अज्ञानियों अल्प -ज्ञानियों शोशेबाज़ों का काम ही है उत्तेजना फैलाना ,कभी इन्हें हनुमान का लंगोट मिलता है कभी भीम की गदा लेकिन यही बात हिग्स बोसोन पर लागू नहीं हो सकेगी .यही वह कण है जो शेष सब कणों में द्व्यमान क्यों है इसकी व्याख्या करता है .<br />यह दंभ भी अब सुहाता नहीं है कि हमारे ऋषि मुनियों ने सब जान लिया था .सारा ज्ञान वेदों में सुरक्षित है "ज्ञान भी क्या कोई जड़ कोष है जो थिर है"? .जहां ज़नाब की दखल हो वहीँ पैर पसारें वरना अर्थ का अनर्थ ही निकलेगा .गीता के सार का कोई तो सन्दर्भ हो .अप्रासंगिक बात बे -सिर पैर की ही लगती है .<br /><br />ठीक है जो जड़ में है वही चेतन में भी है लेकिन इससे पश्चिम की उस दृष्टि को दोष कैसे दीजिएगा जो embryo और fetus में फर्क करती है .हम पूरब वासी एक ही शब्द भ्रूण से काम चला लेतें हैं .पश्चिम के अनुसार जब कोशिका विभाजन चंद दिनों का ही होता है तब गर्भस्थ एम्ब्रियो और बाद इसके भ्रूण कहलाता है .<br /><br />कैसी कहिएगा कि विभेदित(differentiated cells) और अ -भेदित (un -diiffrentiated cells)यानी स्टेम सेल्स में अंतर नहीं होता जबकि स्टेम सेल्स इस दौर की सभी बीमारियों का हल प्रस्तुत करने की हामी भरती है . अंगों की मानव अंगों की फार्मिंग प्रत्यारोपण के वास्ते कर सकतीं हैं अब यह मत कहिएगा हमारे ऋषि मुनियों ने यह भेद पहले ही जान लिया था .<br />veerubhai ,Silverwood DR,Canton ,MI,48,188virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-32165944577050427362012-07-04T21:59:19.089+05:302012-07-04T21:59:19.089+05:30बहुत अच्छा लेख हमारे देश के निरक्षर लोग भी ये जानत...बहुत अच्छा लेख हमारे देश के निरक्षर लोग भी ये जानते है की कोई अदृश्य शक्ति है जो हमें नियंत्रित करती है क्यों की हमें अपने भगवन पर विस्वास है, ये पश्चिम के लोगो को क्या कहा जाय---------?सूबेदारhttps://www.blogger.com/profile/15985123712684138142noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-2519443781182414792012-07-04T19:45:32.299+05:302012-07-04T19:45:32.299+05:30हमारे ग्रन्थों से ही तो खोज कर रहे हैं .... बढ़िया...हमारे ग्रन्थों से ही तो खोज कर रहे हैं .... बढ़िया लेखसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-66054636032595021532012-07-04T19:41:43.991+05:302012-07-04T19:41:43.991+05:30बड़े तेज निकले आप तो!
ताजी खबर पर इतनी बढ़िया पोस्...बड़े तेज निकले आप तो!<br />ताजी खबर पर इतनी बढ़िया पोस्ट लिख दी!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-64599409998674717272012-07-04T19:32:53.544+05:302012-07-04T19:32:53.544+05:30सार्थक लेख भाई गोदियाल जी. .... चौथी शताब्दी में आ...सार्थक लेख भाई गोदियाल जी. .... चौथी शताब्दी में आर्य भट्ट ने बांस की दूरबीन से सूरज, चाँद, सितारों के बारे में जो बताया, दूरी की जो गणना की करोड़ों अरबों की दूरबीन भी तो वही बता रही है।.शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-27469811960857404032012-07-04T19:32:02.616+05:302012-07-04T19:32:02.616+05:30कण-कण में भगवान् वाली बात तो हमारे हिन्दू धर्मग्रथ...कण-कण में भगवान् वाली बात तो हमारे हिन्दू धर्मग्रथों और मान्यताओं में सदियों से चला आ रहा है आज हिग्ग्स-बोसोन भी कहता है तो यह हमारे धर्मग्रथों की ही व्याख्या भर होगी..<br />बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति ..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-86552951577189258232012-07-04T18:58:56.185+05:302012-07-04T18:58:56.185+05:30सार्थक लेख...
आपकी बात से सहमत होने को जी करता है....सार्थक लेख...<br />आपकी बात से सहमत होने को जी करता है...<br /><br />सादर<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com