tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post8537566813518019063..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : एक भावी गजल-चल तुझे भी झेल लेंगे !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-4423146400649657382013-07-07T19:43:06.111+05:302013-07-07T19:43:06.111+05:30क्या बात
बहुत सुंदरक्या बात<br />बहुत सुंदरमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-56289458794493874232013-07-07T17:57:14.821+05:302013-07-07T17:57:14.821+05:30झेलने, ठेलने एवं खेलने के सिवाय हमने किया क्या, ...झेलने, ठेलने एवं खेलने के सिवाय हमने किया क्या, <br />'इज्ज़त पापड' ही बेले है अबतक, कुछ और बेल लेंगे। <br /> बिलकुल झेल लेंगे ... जीना पड़ेगा तो जी लेंगे ... अभी भी तो जी रहे हैं ...<br />बहुत उम्दा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-7999822279336469762013-07-07T07:31:15.769+05:302013-07-07T07:31:15.769+05:30नहीं झेलेंगे तब भी ये झिल जायेंगे , और चारा भी क्य...नहीं झेलेंगे तब भी ये झिल जायेंगे , और चारा भी क्या है !!<br />बेहतरीन ग़ज़ल !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-82544871039180843742013-07-07T06:34:44.606+05:302013-07-07T06:34:44.606+05:30मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम ...मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!<br />--<br />पूर्व के कमेंट में सुधार!<br />आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।<br />सूचनार्थ...!<br />--डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-44763307951320945412013-07-06T23:38:52.243+05:302013-07-06T23:38:52.243+05:30वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब गजल ,,,
RECENT POST: गु...<b>वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब गजल ,,,</b><br /><br /><b>RECENT POST</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html#links" rel="nofollow">: गुजारिश,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-60247888491153362622013-07-06T22:16:15.728+05:302013-07-06T22:16:15.728+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!<br />आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी!<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-80803310464385821952013-07-06T21:29:08.608+05:302013-07-06T21:29:08.608+05:30झेल ही रहे है भाई जी ...और भी झेल लेंगें ...
जब तक...झेल ही रहे है भाई जी ...और भी झेल लेंगें ...<br />जब तक ठीलेगा.....ठेल लेंगे ?<br />बहुत सही कहा....अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-63265799739654831242013-07-06T18:59:49.476+05:302013-07-06T18:59:49.476+05:30झुक कर रहना, तीर चल रहे,
सीना ताने वीर चल रहे,
प्य...झुक कर रहना, तीर चल रहे,<br />सीना ताने वीर चल रहे,<br />प्यादे भी अब सहमे सहमे,<br />दोनों ओर वजीर चल रहे।<br />प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-34540063874040110642013-07-06T15:12:03.318+05:302013-07-06T15:12:03.318+05:30सही और सटीक कहा, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.सही और सटीक कहा, बहुत शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-88204470763710799442013-07-06T15:02:42.166+05:302013-07-06T15:02:42.166+05:30सब किस्सा है कुर्सी का , हमारा क्या है ,
झेलने के ...सब किस्सा है कुर्सी का , हमारा क्या है ,<br />झेलने के सिवाय और भला , चारा क्या है ! <br /><br />बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है, गोदियाल जी। डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-60041150093677653212013-07-06T14:51:07.230+05:302013-07-06T14:51:07.230+05:30वाकई क्षद्मनिर्पेक्ष बन कर इन्होंने राष्ट्र को लू...वाकई क्षद्मनिर्पेक्ष बन कर इन्होंने राष्ट्र को लूट खाया हैHarihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.com