tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post9007679179450803731..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : तेरा ही लिखा कोई अफ़साना लगा !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-68044133021867085162009-11-03T17:34:50.502+05:302009-11-03T17:34:50.502+05:30कुछ लम्हा ठहरे तो गैरों के दर पे थे,
जाने क्यों अप...कुछ लम्हा ठहरे तो गैरों के दर पे थे,<br />जाने क्यों अपना ही ठिकाना लगा !!<br /><br /><br />-वाह!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-57265179152238701202009-11-03T17:33:40.207+05:302009-11-03T17:33:40.207+05:30अरे गोदियाल साहब
क्या खूब रचा है. हम तो एक साथ दो...अरे गोदियाल साहब<br /><br />क्या खूब रचा है. हम तो एक साथ दो बार बाँच गये:<br /><br />सोचता था अब तक कि इस जहां मे,<br />अकेला मैं ही दर्द-ए-गम का मारा हूं !<br />जिसे समझता था मै किसी गम की दवा,<br />वह खुद ही गमों का खजाना लगा !!<br /><br />-सच के कितना करीब...सुन्दरता से भाव उभारे हैं, बधाई. और रचनाएँ लाईये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-48003633196983764372009-11-03T01:34:04.188+05:302009-11-03T01:34:04.188+05:30कुछ लम्हा ठहरे तो गैरों के दर पे थे,
जाने क्यों अप...कुछ लम्हा ठहरे तो गैरों के दर पे थे,<br />जाने क्यों अपना ही ठिकाना लगा !!<br /><br />...सच मे..जिंदगी भी तो कुछ ऐसी ही है..है न !!..उदासी के धुँए मे लिपटी एक खूबसूरत पंक्तियाँ..खासकर आखिरी वाली तो बेहद दिलफ़रेब हैं..और उस पर यह चित्र.....अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-87845144597308972142009-11-02T21:20:39.678+05:302009-11-02T21:20:39.678+05:30यूं तो गम की दवा पीकर ही गुजार दी,
हमने भी यहां अप...यूं तो गम की दवा पीकर ही गुजार दी,<br />हमने भी यहां अपनी तमाम जिन्दगी !<br />सुरूर जो साकी के परोसे हुए जाम मे था,<br />हमें ऐसा न कोई मयखाना लगा !!<br /><br />हर लाइन जोरदार..उम्दा रचना...बधाई!!विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-77884733834998867242009-11-02T18:07:01.237+05:302009-11-02T18:07:01.237+05:30बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत सुन्दर रचना!बधाई!बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत सुन्दर रचना!बधाई!ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-41301809649231853982009-11-02T15:34:30.702+05:302009-11-02T15:34:30.702+05:30shukriya..shukriya..Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-47347227800969929822009-11-02T15:24:26.737+05:302009-11-02T15:24:26.737+05:30बहुत ही उम्दा कविता...........
दिल के आस पास से ...बहुत ही उम्दा कविता...........<br /><br />दिल के आस पास से गुज़रती हुई कविता,,,,,,,,<br /><br />कविता की कोमलता और सौन्दर्य लिए हुए<br /><br />एक नवेली कविता........<br /><br />________अच्छी लगी आपकी कविता<br />बधाई !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-44085787794500033142009-11-02T14:56:43.862+05:302009-11-02T14:56:43.862+05:30बहुत सुन्दर रचना है।
हुआ जब रुखसत तु उनकी महफिल स...बहुत सुन्दर रचना है।<br /><br />हुआ जब रुखसत तु उनकी महफिल से,<br />कुछ पल ठहरने के बाद ’गोदियाल’ !<br />छ्लका जो दर्द उनकी आंखो से था वो,<br />तेरा ही लिखा कोई अफ़साना लगा !! <br /><br />बहुत खूब !!परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-51083211453973830752009-11-02T14:02:33.986+05:302009-11-02T14:02:33.986+05:30अजय जी, सच में आपकी टिपण्णी पाकर मैं गदगद हूँ कि आ...अजय जी, सच में आपकी टिपण्णी पाकर मैं गदगद हूँ कि आप लोगो ने इस नाचीज की रचना को इतने गौर से पढा ! आपका सुझाव सर आँखों पर और मैंने वह गलती भी सुधार की है, देखा जाए तो इन्सान ऐसे ही तो सीखता है और गलतियां सुधारता है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-15869839315556965112009-11-02T13:57:04.760+05:302009-11-02T13:57:04.760+05:30बहुत खूब गोदियाल साहब..आपकी दोनो अदा पसंद आयी..पोस...बहुत खूब गोदियाल साहब..आपकी दोनो अदा पसंद आयी..पोस्ट वाली भी और टीप वाली भी .....चलिये मैं भी चलते चलते एक मजाक..नहीं नहीं जी गंभीरतापूर्वक.. कह देता हूं...आपने सुरूर को शायद शुरूर लिखा है..जब साकी ठीक करें तो इसे भी..<br />आपका ये अंदाज खूब भाया..आगे प्रतीक्षा रहेगी..अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-53688736997537404902009-11-02T13:45:58.978+05:302009-11-02T13:45:58.978+05:30अम्बरीश जी सर्वप्रथम आपके नाम को गलत पढने के लिए क...अम्बरीश जी सर्वप्रथम आपके नाम को गलत पढने के लिए क्षमा ! पहले मैं आपकी बात का मतलब ठीक से नहीं समझ पाया था, मैं समझा कि आप 'सखी' शब्द इस्तेमाल करने को कह रहे है ! आप बिलकुल सही है सही शब्द "साकी"(पिलाने वाली) होना चाहिए न कि "शाकी" (शिकायत करने वाली) , लेकिन अक्सर लोग इन दो शब्दों में इतना भेद नहीं करते और वही गलती मैंने की ! आपके सजेशन के लिए आपका हार्दिक शुक्रिया और मैंने गलती सुधार ली है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-13708439792520628972009-11-02T13:24:09.431+05:302009-11-02T13:24:09.431+05:30पी.सी.गोदियाल said...
अमरीश जी बहुत सुन्दर, ब्लॉग्...पी.सी.गोदियाल said...<br />अमरीश जी बहुत सुन्दर, ब्लॉग्गिंग की यह नई स्टाइल भी पसंद आई ! मेरे ब्लॉग पर अगर आपने मजाक न किया हो तो आपको बतान उचित समझता हूँ कि साकी का मतलब है जो मधुबाला मयखाने में शराब परोसती है !और अगर मजाक किया हो please अन्यथा न लेना !<br /><br />maaf kijiyega sir, mera naam ambarish hai....<br />majak nahi kiya tha sir... maine wahi meaning samajh kar "saki" kaha tha... agar "shaki" ka koi aur meaning ho to kripya samjhaane ka kasht karein..Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-86195783053479675792009-11-02T12:44:17.293+05:302009-11-02T12:44:17.293+05:30यूं तो गम की दवा पीकर ही गुजार दी,
हमने भी यहां अप...यूं तो गम की दवा पीकर ही गुजार दी,<br />हमने भी यहां अपनी तमाम जिन्दगी !<br />शुरुर जो शाकी के परोसे हुए जाम मे था,<br />हमें ऐसा न कोई मयखाना लगा !!<br />bahut sundar...<br />waise shaki ki jagah saki hona chahiye...Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-1376540101252776972009-11-02T11:46:02.147+05:302009-11-02T11:46:02.147+05:30pooree racanaa bahut sundar hai shubhakamanayenpooree racanaa bahut sundar hai shubhakamanayenनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-15026388561065333302009-11-02T10:45:11.943+05:302009-11-02T10:45:11.943+05:30तेरा ही लिखा कोई अफ़साना लगा !
वही- शमा पे निसार प...तेरा ही लिखा कोई अफ़साना लगा !<br />वही- शमा पे निसार परवाना लगा :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-31187251557131908562009-11-02T10:40:23.969+05:302009-11-02T10:40:23.969+05:30कुछ लम्हा ठहरे तो गैरों के दर पे थे,
जाने क्यों अप...कुछ लम्हा ठहरे तो गैरों के दर पे थे,<br />जाने क्यों अपना ही ठिकाना लगा !!<br />गौर से देखिये वह दर गैर का नहीं होगा. <br />बहुत सुन्दरM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-89372749049337082602009-11-02T10:33:51.363+05:302009-11-02T10:33:51.363+05:30जग सारा अपना लगे अच्छा लगा विचार।
बेहतर रचना बन पड...जग सारा अपना लगे अच्छा लगा विचार।<br />बेहतर रचना बन पड़ी लिखा खूब सरकार।।<br /><br />सादर<br />श्यामल सुमन<br />09955373288<br />www.manoramsuman.blogspot.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-76268125033629956422009-11-02T10:14:23.288+05:302009-11-02T10:14:23.288+05:30सुन्दर सा वह उनका आशियाना लगा,
जग सारा ही अपना घरा...सुन्दर सा वह उनका आशियाना लगा,<br />जग सारा ही अपना घराना लगा !<br />कुछ लम्हा ठहरे तो गैरों के दर पे थे,<br />जाने क्यों अपना ही ठिकाना लगा !!<br /><br /><br />wah! pahli pankti ne hi dil chhoo liya....<br /><br />हुआ जब रुखसत तु उनकी महफिल से,<br />कुछ पल ठहरने के बाद ’गोदियाल’ !<br />छ्लका जो दर्द उनकी आंखो से था वो,<br />तेरा ही लिखा कोई अफ़साना लगा !!<br /><br />bahut hi khoobsoorat.......डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.com