चारधाम कपाट खुलते ही उत्तराखण्ड मे एक तरफ जहां श्रद्धालुओं का अपार हुजूम उमड पडा है,वहीं दूसरी तरफ उसका नतीजा यह है कि चारों धामों और आसपास के क्षेत्रों में अफरातफरी का माहौल है। और इस सब का खामियाजा उन स्थानीय लोगों को भुगतना पड रहा है जिन्हें अपने किसी भी निजी कार्यवश उत्तराखंड के अंदर किसी एक स्थान से दूसरे स्थान को ट्रैवल करना पड रहा है। आवागमन के लिए वैसे ही सीमित मात्रा मे वाहनों की उपलब्धता थी और इस यात्रा रस ने आग मे घी का काम कर डाला।
उत्तराखंड सरकार जी, राज्य की इकोनॉमी से आगे भी स्थानीय लोगों की कुछ महत्वपूर्ण जरूरतें हैं, कृपया उसका भी ध्यान रखा जाए। ऐसा न हो कि आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी मिली न पूरी पावे।
बजाओ तूती बजाओ
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