tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post5124776173982870450..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : साठ साल मे अक्ल न आई.....!पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-2598132877484792622010-03-29T17:08:46.532+05:302010-03-29T17:08:46.532+05:30बहुत बढ़िया रचना आज यहीं तो सब हो रहा है . कविता क...बहुत बढ़िया रचना आज यहीं तो सब हो रहा है . कविता के माध्यम से बढ़िया प्रस्तुति के लिए आभार .संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-4775442402942332052010-03-23T17:17:29.450+05:302010-03-23T17:17:29.450+05:30बहुत खूब ...दिल से निकली रचनाबहुत खूब ...दिल से निकली रचनाsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-67637336070538253132010-03-23T16:09:41.986+05:302010-03-23T16:09:41.986+05:30काश कि
तुम्हारे नयनों की तरह,
मेरा ये नादां दिल ...काश कि<br /><br />तुम्हारे नयनों की तरह,<br /><br />मेरा ये नादां दिल भी<br /><br />समझदार होता ।<br /><br />आते चाहे कितने ही<br /><br />आंधी-तूफ़ान,<br /><br />जज्बातों के अंधड,<br /><br />मगर यह अपना<br /><br />आपा न खोता ॥<br />बहुत सुन्दर भावनाएं.......उतने ही सुन्दर शब्द अदायगी भीPawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-68923471533068597002010-03-22T09:37:47.743+05:302010-03-22T09:37:47.743+05:30बहुत बढ़िया रचना आज यहीं तो सब हो रहा है . कविता क...बहुत बढ़िया रचना आज यहीं तो सब हो रहा है . कविता के माध्यम से बढ़िया प्रस्तुति के लिए आभार .समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-65275996680162520322010-03-21T19:51:12.416+05:302010-03-21T19:51:12.416+05:30साठ साल मे अक्ल न आई,अपने इन भिखमंगों को ।
चुन-चुन...साठ साल मे अक्ल न आई,अपने इन भिखमंगों को ।<br />चुन-चुनकर संसद भेज रहे, लुच्चे और लफ़ंगो को ॥......yhee shee hai,bdhai achhee rchna ke liye.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-75654456394007852912010-03-21T17:58:45.825+05:302010-03-21T17:58:45.825+05:30असलियत उजागर करने का इससे बढ़िया तरीका नहीं हो सकत...असलियत उजागर करने का इससे बढ़िया तरीका नहीं हो सकता<br />बधाईAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02964602014678479457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-75629055227028857242010-03-21T17:33:13.778+05:302010-03-21T17:33:13.778+05:30साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ।
चुन-चुन...साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ।<br />चुन-चुन कर सदन भेज रहे, लुच्चे और लफ़ंगो को ॥<br /><br />मजा नही आया!<br /><br />साठ साल मे अकल न आई, <br />अपने इन भिखमंगों को ।<br />चुन संसद में भेज रहे हैं, <br />लुच्चे और लफ़ंगो को ॥<br /><br />अब ठीक है ना!<br /><br />चलिए आपका टिप्पणीबॉक्स तो खुला!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-5556027829272592852010-03-21T14:42:42.306+05:302010-03-21T14:42:42.306+05:30इस कविता में आपका तेवर देखते ही बनता है।
चमन उजाड...इस कविता में आपका तेवर देखते ही बनता है।<br />चमन उजाडने वाला, बन बैठा बाग का माली है ।<br />भ्रष्ठाचार के फूल खिले हैं, बगिया मे बदहाली है ॥<br />धन-कुबेर की चाबी सौंप दी, राह के भिखमंगो को । <br />साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ॥<br /><br />एक शे’र पेश करने से नहीं रोक पा रहा हूँ<br />मुहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है,<br />सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है।<br />हुकूमत मुंहभराई के हुनर से खूब वाकिफ है,<br />ये हर कुत्ते के आगे शाही टुकड़ा डाल देती है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-77035352782289484992010-03-21T14:39:07.218+05:302010-03-21T14:39:07.218+05:30साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ।
चुन-चुन...साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ।<br />चुन-चुन कर सदन भेज रहे, लुच्चे और लफ़ंगो को ॥<br /> आगे आगे देखिये अगले साठ साल के लिये फ़िर से इन्हे ही चुनने की नीयत है......<br />बहुत सुंदर जीराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-63039524435935713642010-03-21T14:36:02.089+05:302010-03-21T14:36:02.089+05:30साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ।
चुन-चुन...साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ।<br />चुन-चुन कर सदन भेज रहे, लुच्चे और लफ़ंगो को ॥<br />अभी तो यही पंक्तियां पढी है। पर इतना सुंदर है कि आगे पढने से पहले आपका आभार प्रकट करने के आवेग को रोक नहीं पाया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-33822251768274990772010-03-21T13:23:54.206+05:302010-03-21T13:23:54.206+05:30कहावत है न....
साठा में पाठा....
यानि कि साठ साल म...कहावत है न....<br />साठा में पाठा....<br />यानि कि साठ साल में भी बच्चा....<br />लड्डू बोलता है...<br />http://laddoospeaks.blogspot.comकृष्ण मुरारी प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/00230450232864627081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-73845095993265818182010-03-21T12:21:01.757+05:302010-03-21T12:21:01.757+05:30साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ।
चुन-चुन...साठ साल मे अकल न आई, देश के भूखे-नंगो को ।<br />चुन-चुन कर सदन भेज रहे, लुच्चे और लफ़ंगो को ॥<br />vicharon mes amanta lagi Godiyal sir.. ye bhi sach hai ki jo sach hai wo sach hi hai. :)<br />bahut sari sachchaiyon ko udghatit kiya aapne behatreen dhang se.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-1628859410364332082010-03-21T12:20:16.580+05:302010-03-21T12:20:16.580+05:30बहुत खूब. वाकई कमाल का लिखा है. क्या सही चित्रण कि...बहुत खूब. वाकई कमाल का लिखा है. क्या सही चित्रण किया है आपने देश की बदहाली का. <br />आरक्षण का राक्षस योग्यता पर भारी है, बेरोजगार पढ़े लिखे नवयुवक को अनपढ़ नेताओ की गलत नीतियों का शिकार होना लाचारी है.Bhavesh (भावेश )https://www.blogger.com/profile/14963074448634873997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-78391798882598878952010-03-21T12:06:46.574+05:302010-03-21T12:06:46.574+05:30सही है ,अपनी बदहाली के लिये कमोवेश जनता ही जिम्मेद...सही है ,अपनी बदहाली के लिये कमोवेश जनता ही जिम्मेदार हैअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com