tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post5444169007660100892..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : यह ज़माना भला कब था,पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-27511471508953119472013-03-19T09:15:17.052+05:302013-03-19T09:15:17.052+05:30पर क्यों और कब तक ?पर क्यों और कब तक ?प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-53796267724323216282013-03-18T14:19:38.620+05:302013-03-18T14:19:38.620+05:30सत्य हम पहचानते हैं,
श्रेष्ठ भी फिर माँगते हैं।सत्य हम पहचानते हैं,<br />श्रेष्ठ भी फिर माँगते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-86099250810771002672013-03-18T05:06:45.129+05:302013-03-18T05:06:45.129+05:30सार्थक और सुन्दर रचना.हो जाएगा जो अब भला, यह ज़मान...सार्थक और सुन्दर रचना.हो जाएगा जो अब भला, यह ज़माना भला कब था,<br />राज धूर्तता का ही चला, शराफत का चला कब था।<br /><br />अस्मिता, अस्तित्व की, मालूम सबको है हकीकत, <br />तन भले ही खोखला हो,किन्तु मन को खला कब था।<br /><br />आलम देखकर दरिंदगी का ,सौम्य दिल बेचैन होते,<br />लहू शिष्टता का ही जल रहा,शठता का जला कब था।<br /><br />दस्तूर सारे अपने - अपने, मुक़रर्र वक्त चलते गए,<br />उगा देखते जुल्मों का सूरज,कौन पूछे ढला कब था।<br /><br />पैदा हुए अधम घाव 'परचेत', सभ्यता की खाल पर,<br />खुरचते तो सब रहे, मरहम किसी ने मला कब था।<br /> अज़ीज़ जौनपुरीhttps://www.blogger.com/profile/16132551098493345036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-65163387897731257232013-03-17T21:04:10.591+05:302013-03-17T21:04:10.591+05:30उम्दा गजल,लाजबाब शेर,,,वाह वाह,,,
Recent Post: सर...<b>उम्दा गजल,लाजबाब शेर,,,वाह वाह,,, </b><br /><b>Recent Post</b><a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2013/03/blog-post_16.html#links" rel="nofollow">: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-39205542203493226602013-03-17T21:01:18.894+05:302013-03-17T21:01:18.894+05:30सार्थक प्रस्तुति महोदय ...
साभार....
सार्थक प्रस्तुति महोदय ...<br /> साभार....<br />Aditi Poonamhttps://www.blogger.com/profile/07454848082907747001noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-26147119283604230962013-03-17T17:17:07.084+05:302013-03-17T17:17:07.084+05:30सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति !!सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-69111423983425651132013-03-17T17:04:28.614+05:302013-03-17T17:04:28.614+05:30behtrien-***behtrien-***Aditya Tikkuhttps://www.blogger.com/profile/07149181405696484311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-26505573366904158012013-03-17T17:03:47.250+05:302013-03-17T17:03:47.250+05:30सुनती कर्ण पुकार है, अब जा के सरकार |
सोलह के सम्...सुनती कर्ण पुकार है, अब जा के सरकार | <br />सोलह के सम्बन्ध से, निश्चय हो उद्धार |<br /><br />निश्चय हो उद्धार, बिना व्याही माओं के |<br />होंगे कर्ण अपार, कुँवारी कन्याओं के |<br /><br />अट्ठारह में ब्याह, गोद में लेकर कुन्ती |<br />फेरे घूमे सात, उलाहन क्यूँ कर सुनती ||<br />बहुत खूब कही ,सही कही .अ विवाहित माताओं का देश बनेगा मेरा भारत .षोडशी कन्याओं की सहमती प्राप्त करने का नया दौर शुरू होगा .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-64409868660173994582013-03-17T16:51:45.237+05:302013-03-17T16:51:45.237+05:30बहन बेटी बिन मिनिस्टर, सोच में कुछ भला कब था-
ब्या...बहन बेटी बिन मिनिस्टर, सोच में कुछ भला कब था-<br />ब्याह से पहले हुवे सच, किन्तु माँ से पला कब था |<br /><br />कर्ण दुर्योधन दुशासन, और शकुनी मिल गए हैं-<br />विदुर चुप रहते विषय पर, भीष्म का कुछ चला कब था |<br /><br />रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-8980559932029975162013-03-17T16:18:24.542+05:302013-03-17T16:18:24.542+05:30मन की गहरी अनुभूतियों को कुशलता से प्रकट किया है, ...मन की गहरी अनुभूतियों को कुशलता से प्रकट किया है, हर पंक्ति को जिया है...अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-84969499756375038772013-03-17T12:15:01.708+05:302013-03-17T12:15:01.708+05:30आप आसानी से अपनी रचनाओं में दर्द, व्यंग, मार्मिकता...आप आसानी से अपनी रचनाओं में दर्द, व्यंग, मार्मिकता यानि सब कुछ आसानी से उंडेल जाते हैं, बहुत शानदार रचना.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-80750775215249959902013-03-17T11:53:20.986+05:302013-03-17T11:53:20.986+05:30दरिंदगी दिन-ब-दिन बढती ही जा रही है, सौम्य दिलों क...दरिंदगी दिन-ब-दिन बढती ही जा रही है, सौम्य दिलों का लहू तो जलना ही है, अभिशप्त जो है। ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-21767249060643478812013-03-17T11:03:33.680+05:302013-03-17T11:03:33.680+05:30आलम देखकर दरिंदगी का ,सौम्य दिल बेचैन होते,
लहू शि...आलम देखकर दरिंदगी का ,सौम्य दिल बेचैन होते,<br />लहू शिष्टता का ही जल रहा,शठता का जला कब था..<br /><br />गहरे भाव लिए ... कुछ कुछ उदासी लिए ... वार्तालाप करती है रचना ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com