tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post7623656851652435242..comments2024-03-14T14:34:56.362+05:30Comments on 'परचेत' : कुर्बानी लेना ही नहीं, देना "भी" सीखो !पी.सी.गोदियाल "परचेत"http://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-91264889641996986722009-11-29T10:58:54.214+05:302009-11-29T10:58:54.214+05:30न पता कब, हम इंसान बेजुबानों पर अत्याचार करना छोड़...न पता कब, हम इंसान बेजुबानों पर अत्याचार करना छोड़ंगे । बेहद दुःखद है ।हिन्दी साहित्य मंचhttps://www.blogger.com/profile/13856049051608731691noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-83299032605174696482009-11-29T06:18:27.128+05:302009-11-29T06:18:27.128+05:30आदरणीय गोदियाल जी, इस पोस्ट को लिखने में कितने मु...आदरणीय गोदियाल जी, इस पोस्ट को लिखने में कितने मुर्गे गटक लिए वह भी बता देते, इस विषय पर अधिकतर अनपढ गंवारों वाली बातें देसकते हैं और जनाब तो माशाअल्लाह हैं ही इधर ना उधर,Mohammed Umar Kairanvihttps://www.blogger.com/profile/06899446414856525462noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-69841754307122675872009-11-28T22:08:36.239+05:302009-11-28T22:08:36.239+05:30.
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आदरणीय गोदियाल जी,
एकदम सही कहा आपने... ....<br />.<br />.<br />आदरणीय गोदियाल जी,<br /><br />एकदम सही कहा आपने... 'ऊपर वाला' अगर वाकई में है तो है तो वह सभी का...माता या पिता समान... फिर सारे जगत की 'माता'या 'पिता' यह 'ऊपर वाला' अपने ही बनाये बेजुबान जानवरों की बलि लेकर ही क्यों खुश होता है।<br /><br />मौका है, तो यह भी सोचा जाये कि सारे जगत का 'पिता' या 'माता' यह 'सर्वशक्तिमान' कैसा सैडिस्ट है कि अपने बच्चों के व्रत या उपवास के नाम पर अन्न-जल छोड़कर भूखा रहने से प्रसन्न होता है जबकि सृष्टि का हर मां-बाप खुद भूखा रह सकता है पर अपने बच्चे को भूखा नहीं देख सकता।प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-19703471374554758992009-11-28T17:53:48.385+05:302009-11-28T17:53:48.385+05:30बस लोग अपनी अज्ञानता, मूर्खता और दरिंदगी को धर्म क...बस लोग अपनी अज्ञानता, मूर्खता और दरिंदगी को धर्म का नाम दिए जा रहे हैं...Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-5415323395022885492009-11-28T17:23:47.350+05:302009-11-28T17:23:47.350+05:30बहुत दर्दनाक और अफ़्सोसजनक कृत्य है.
रामराम.बहुत दर्दनाक और अफ़्सोसजनक कृत्य है. <br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-47861917885322972962009-11-28T16:54:25.150+05:302009-11-28T16:54:25.150+05:30अब ऐसी प्रथाएं गिनी चुनी ही रह गई हैं। देखने में य...अब ऐसी प्रथाएं गिनी चुनी ही रह गई हैं। देखने में ये विभीत्स चित्र लगते है पर रोज़ कमेले [अबेटायर] में ऐसा हॊ तो दृश्य देखने को मिलेगा... हां, वहां धर्म का नाटक नहीं दिखेगा:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-86395048939714792212009-11-28T16:23:10.523+05:302009-11-28T16:23:10.523+05:30अपनी जिव्हा के सुख के लिये मनुष्य के प्रपंच ।अपनी जिव्हा के सुख के लिये मनुष्य के प्रपंच ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-83329094059271883862009-11-28T16:07:14.827+05:302009-11-28T16:07:14.827+05:30uf!narayan narayanuf!narayan narayanगोविंद गोयल, श्रीगंगानगर https://www.blogger.com/profile/04254827710630281167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-86627126903473929312009-11-28T15:15:45.873+05:302009-11-28T15:15:45.873+05:30सही लिखा है आपने लेकिन गोदियाल जी बिना असुरों के, ...सही लिखा है आपने लेकिन गोदियाल जी बिना असुरों के, बिना दैत्यों के,दुनिया होती भी तो नहीं है और असुरों के दैत्यों के कर्म ऐसे ही होते हैं . तो जनाब ये तो रहेंगे ही क्योंकि असुर हैं, बस देवों(सात्विक प्रक्रति) के लोगों की संख्या बढ़नी चाहिए, ये हम सबको सोचना होगा. आपके विचार बहुत अच्छे सही लगे. आज सुबह स्वामी रामदेव ने भी यही सब अपने संबोधन में कहा था.<br /><a rel="nofollow"> </a>tension pointhttps://www.blogger.com/profile/02092866969143339658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-31400062409839564582009-11-28T14:34:42.038+05:302009-11-28T14:34:42.038+05:30पता नही कब समझेगा इंसान।
फिलहाल तो देखकर अत्यन्त द...पता नही कब समझेगा इंसान।<br />फिलहाल तो देखकर अत्यन्त दुःख होता है, इंसान की अज्ञानता पर। <br />साहसी और सार्थक लेख।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-67172524426459680402009-11-28T14:06:18.267+05:302009-11-28T14:06:18.267+05:30पी.सी.गोदियाल,आप सच कह रहे है, अगर हमारी धार्मिक प...पी.सी.गोदियाल,आप सच कह रहे है, अगर हमारी धार्मिक पुस्तको मै कही बलि या कुर्बानी का जिक्र होगा तो उस के साथ यह भी लिखा है कि हमे अपनी सब से प्यारी चीज की बलि ओर कुरबानी देनी है, ओर यह सब से प्यारी चीज कोन सी है? अरे जो सब से प्यारी ओर कीमती चीज होती है उसे हम लोगो से, चोरो से बचा कर समभाल कर रखते है, जेसे ओलाद, सोने की कोई वस्तू, ओर इन सब से कीमती हमारी जान, लेकिन एक ओर भी वस्तू है जिस की कुरबानी या बलि मांगी जाती है, लेकिन हम उस की बलि कभी नही देते, बल्कि हम इन जानवरो को मार कर अपने ईष्ट को वेबकुफ़ नही बन सकते, ओर वो प्यारी ओर कीमती वस्तू है हमारी बुरी आदते, ओर अगर हम अपनी बुरी आदातो की बलि दे दे तो हम क्या यह सारी दुनिया ही सुखी रहे, ओर इसी बुरी आदतो की बलि या कुरबनी की बात कही है हमारी धार्मिक पुस्तको मै.....<br />धन्यवाद सुंदर लेख के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-46380785857799960572009-11-28T14:01:01.547+05:302009-11-28T14:01:01.547+05:30बहुत ही सटीक आपके विचारो से सहमतबहुत ही सटीक आपके विचारो से सहमतAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-82870304462544046862009-11-28T13:44:09.433+05:302009-11-28T13:44:09.433+05:30सच कह रहे हैं आप..... कहीं यह नहीं लिखा है ...कि ब...सच कह रहे हैं आप..... कहीं यह नहीं लिखा है ...कि बेजुबानों कि कुर्बानी दो..... मुझे तो यही लगता है.... कि यह अनपढ़ों का काम है .... <br />इच्छा अपनी होती है, खून के प्यासे खुद है, और नाम घसीटते है, भगवान्, खुदा और गोड़ का ! कुर्बानी देने का इतना हे शौक है तो अपनी क्यों नहीं दे देते ? कुछ लोग कहते है कि हमने मजहब के लिए अपने बेटे की कुर्बानी दे दी.... बिलकुल सही कहा आपने.....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1061352642193126435.post-48367067820571804442009-11-28T13:37:46.348+05:302009-11-28T13:37:46.348+05:30दया धरम का मूल है पाप मूल अभिमान!
प्राणीमात्र पर ...दया धरम का मूल है पाप मूल अभिमान!<br /><br />प्राणीमात्र पर दया करना ही सही पुण्य का काम है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.com