Tuesday, February 2, 2010

सीमाए लांघता सरकारी धन का दुरुपयोग !

बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और गरीबी पर अंकुश लगाने के लिए बहुप्रचारित दैनिक जीवन में सादगी (austerity ) अपनाने की कौंग्रेस की बात वहाँ ख़त्म हो गई दीखती है, जहां एक दिन राहुल भैया, पूरे गाजे-बाजे और बीच राह में कुछ छुटभैयों द्वारा प्रायोजित पथराव की नौटंकी के साथ पंजाब से दिल्ली रेल में बैठकर आ गए ! देश जहां एक तरफ महंगाई की मार से त्राहिमान-त्राहिमान कर रहा है, और सरकार सरकारी फंड में कमी का रोना रोकर सरकारी नियंत्रण वाली आम उपभोग की वस्तुओ के दाम बढ़ाने का बहाना ढूंढ रही है, वहीं दूसरी तरफ यही सरकारें, किस तरह सरकारी धन का दुरुपयोग कर रही है, उसके कुछ उदाहरण मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ;


कल मैंने ब्लॉग जगत पर झूटा सच ब्लॉग http://jhoothasach.blogspot.com/2010/02/blog-post.html के आदरणीय कविराज जोशी जी का एक लेख पढ़ रहा था, जिसमे उन्होंने एक खबर का जिक्र किया था कि ३७५०० किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राज मार्ग पर हर २५ किलोमीटर पर श्रीमती सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह के फ़ोटो वाले २०x१० फुट के होर्डिंग लगेंगे ! इनकी संख्या १४८८ होगी और हरेक होर्डिंग पर दो लाख रुपये का खर्चा आएगा ! एक और खबर के मुताविक अभी कुछ दिनों पहले एक सर्वे हुआ था, पूर्व स्वर्गीय प्रधानमंत्रियों के ऊपर होने वाले खर्च के बारे में, जिसमे यह निष्कर्ष दिया गया था कि जितना खर्च पिछले दो महीने में स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम पर किया गया है, उतना पिछले दस सालो में स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के ऊपर नहीं हुआ ! ज्यादा दूर न जाकर अभी इस सरकार के अपने राजनैतिक हितो को साधने के लिए उत्तर पूर्व के एक राज्य में एक साथ चार मुख्यमंत्री बिठाने के तुगलकी फरमान का ही उदाहरण आप ले सकते है! चार मुख्यमंत्री अपनी पार्टी की सरकार को चलाने के लिए बना तो लेंगे मगर उनका खर्चा ( मुख्यमंत्री रुतवे सहित ) किसके सिर पर पडेगा , कभी सोचा किसी ने ? देश में आम हितो से सम्बंधित बहुत से विधेयक सदनों में लंबित पड़े है, या फिर इनके पास आपसी तू-तू, मै-मै के नियोजित नाटक में विधेयक रखने की ही फुरसत ही नहीं, मगर, जब इनके रिश्तेदारों को सरकारी खर्च पर फ्री में हवाई यात्रा कराने का विधेयक आया तो झट से पास हो गया! यह है इस सरकार की सादगी ! हर चीज की एक सीमा होती है, देश के लोग मूलभूल जरूरतों के लिए तरस रहे है और ये है कि ...वक्त आ गया है कि अब हर नागरिक उठ खडा हो और हक़ मांगे, वरना सरकार में बैठे ये लोग एक-एक देशवासी को इसी तरह तिल-तिल कर मरने को मजबूर करते रहेंगे !

12 comments:

  1. "जितना खर्च पिछले दो महीने में स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम पर किया गया है, उतना पिछले दस सालो में स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के ऊपर नहीं हुआ!"

    यही तो आज की राजनीति है!

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  2. फिलहाल तो "प्रगतिशील भारत" का विज्ञापनी दौर है. महंगाई जिस तरह बढ़ी है, इसकी प्रगति से इनकार कौन करेगा?

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  3. ji hna, samay samay ki baat he, aaj pragti ke naam par neta log pragti kar rahe he..jab neta pragti kartaa he to desh bhi pragti kartaa he chahe vo gareeb se gareeb hota jaaye is avnati ko bhi pragati ka naam de diya jataa he...

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  4. जब स्वार्थी लोगों के हाथ में कमान होगी तो------

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  5. राजतंत्र आ गया लगता है !!

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  6. जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो --- !

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  7. बहुत शर्मनाक है. हमारे राजनैतिक दलों को कुछ तो शर्म करनी चाहिये.

    रामराम.

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  8. सब स्वार्थ में लिप्त हैं।
    प्रजातन्त्र सिर्फ नाम का ही है!

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  9. क्या कहा जाये..सिवाय अफसोस जताने के.

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  10. बहुत अच्छी पोस्ट....

    नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....

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  11. यह तो हम मतदाताओं को सोचना चाहिए की कैसे लोगों को हम अपना नेता बना रहे हैं .
    "जितना खर्च पिछले दो महीने में स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम पर किया गया है, उतना पिछले दस सालो में स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के ऊपर नहीं हुआ!"

    --अफ़सोस ही जाता सकते हैं

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  12. पार्टी की बजाय अच्छे आदमी को चुनना ही रास्ता है. 542 ढंग के लोग मिलकर बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं.

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।