Thursday, August 25, 2022

टीस....







अक्सर , गम़ सदा ही मुखर रहे, 

खुशियों के राज मे,

फिर सिमट गये ख्वाब सारे,

उम्र की दराज़ मे।

2 comments:

  1. गागर में सागर। बहुत-बहुत बधाई आपको।

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वक्त की परछाइयां !

उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...