Wednesday, November 18, 2009

नजरिया !

मेरे एक हमउम्र (दोस्त तो नहीं कहूंगा, जानकार कहना बेहतर रहेगा ) है ! जनाव को उनकी पिछली तीन पुस्तो से जानता हूँ जब हम पढ़ते थे तो मुझे याद है कि स्कूल की फीस, जिसमे भी उन्हें विकलांगता की वजह से छूट मिलती थी, और बस नाम मात्र की देनी भी पड़ती थी, समय पर नहीं जमा कर पाते थे ! मगर आज उनके धंधे की पूरी जानकारी तो यहाँ देना भी उचित नहीं होगा , बस यही समझ लीजिये कि बचपन से पोलियो की वजह से एक पैर से विकलांग है, और सरकारी नौकरी कर रहे है ! काफी चोखे विभाग में है अत: आज की तिथि में, मैं जब अपनी तुलना उनसे करने की कोशिश करता हूँ तो उनके समक्ष कहीं नहीं टिक पाता ! करीब पांच साल पहले एक पौश जगह पर मकान खरीदा, घर में एक लम्बी गाडी भी है, जिसे खुद तो विकलांग होने की वजह से नहीं चला पाते, मगर पत्नी और बेटी चलाती है ! और इन्ही सब वजह से स्वाभाविक तौर पर उठते-बैठते भी शायद हाई जैनेट्री में ही होंगे !

इन सब बातो को देखते हुए, इतना तो सहज अंदाजा लगाया ही जा सकता है कि सिर्फ एक सरकारी नौकरी की तनख्वाह के भरोसे तो उन्होंने यह धन- दौलत कमाई नहीं होगी ! मेरी जानकारी के हिसाब से उनकी कोई लौटरी-वोट्री भी नहीं लगी, तो जाहिर सी बात है कि कमाने के अन्य श्रोतो से यह धन अर्जित किया है ! इस देश का दुर्भाग्य ही कहें कि अगर कोई प्राइवेट में नौकरी करने वाला है तो टैक्स वसूलने वाले लोग उससे कमाई के अन्य श्रोतो की भी जानकारी लेते है, मगर इन जनाव जैसे सरकारी कर्मचारियों और नेतावो से कोई नहीं पूछता ! आज बैठा-बैठा इसी बात पर चिंतन कर रहा था तो मेरे समक्ष दो नजरिये आये (मान लीजिये कि इन दो नजरियों में से पहला वाला मेरा नजरिया है और दूसरा वाला उन जनाव का) ;

१. यार , मुझे इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि उसने क्या कमाया है ! देर सबेर ही सही, मगर पाप की कमाई पाप में ही जाती है ! अगर गलत तरीके अपनाकर धन कमाया भी तो वह गलत ही जगह इस्तेमाल होता है ! खुद बीमार पडेगा, बीबी बीमार पड़ेगी, पाप की कमाई अस्पतालों के मोटे-मोटे बिल भरने में ही चली जायेगी ! बच्चे लोफर बनेगे, और एक दिन ऐसे ही सड़-सड़ के मर जाएगा, बाहर भले ही दिखावे के लिए ढेर सारी धन दौलत ही क्यों न हो! औरंगजेब और जहांगीर भी तो कभी अपने को खुदा समझते थे, आजकल उनकी पुस्ते इलाहबाद में रिक्शा चलाती है ! तुमने कोई गलत काम नहीं किया, रात को आराम से सो तो पाता है, मेहनत और इमानदारी की कमाई से कम से कम जीवन की बेसिक जरूरते तो तुमने भी जोड़ ही ली है! गलत ढंग से पैसा नहीं कमाया है, अत:इस बात से निश्चिन्त रह कि तुझे और तेरे परिवार को कोई बड़ी मुसीबत भी नहीं आयेगी, भगवान् सब देखता है! बच्चे भी ठीक-ठाक पढ़-लिख ही रहे है, कल अपने पैरो पर खड़े हो जायेंगे , उसके बाद तुम फ्री ! मरते वक्त भी शकुन रहेगा कि मैंने कोई गलत काम नहीं किया !

२. अरे, पाप-वाप कुछ नहीं होता,भगवान्-भुग्वान सब अंधविस्वाश होता है, किसी के पकड़ में नहीं आना चाहिये, बस ! कल कौन पूछता है कि तुमने यह धन सम्पति कैसे अर्जित की ? हर तरफ पैसे को ही लोग पूजते है, जब शानदार कपड़ो में शानदार गाडी से उतरकर कही किसी को मिलने जावोगे तो हर कोई झुककर सलाम करेगा कि कोई बड़ा आदमी आज उसके घर आया है, वरना तो एक गिलास पानी भी ढंग से नहीं पूछते ! कभी बीमार-वीमार पड़ गए तो किसी अच्छे अस्पताल से इलाज तो करवा सकते है, वरना सरकारी अस्पतालों में लाइन लगावो ! पैसा न हो तेरे पास तो तुझ लंगड़े की क्या औकात है, कोई नहीं पूछता ! जब मौक़ा मिला है तो दबा के कमाओ और ऐश करो ! यह किसने देखा कि मरने के बाद कौन कहाँ जाता है, जब होगा तबकी तब देखी जायेगी !

अब अगर आप लोगो ने मेरा उपरोक्त लेख गौर से पढ़ा हो और आपको पसंद आया हो तो, मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि अपने बहुमूल्य विचार कि उपरोक्त दो नजरियों में से कौन सा नजरिया आपके मुताविक सही है, अवश्य दे ! हो सकता है कि उपरोक्त दोनों ही नजरिये गलत भी हो, तो सही नजरिया क्या है, मार्ग दर्शन की अपेक्षा !
धन्यवाद ! ।






यह हिन्दुस्तानी नागरिको की विशेषता बताने वाला नजरिया भी अभी-अभी एक इ-मेल के जरिये ,मिला इसे भी पढ़ लीजियेगा ;
HOW TO IDENTIFY DIFFERENT CITIZENS OF INDIA

Scenario 1
Two guys are fighting and a third guy comes along, sees them and walks on.
That's MUMBAI
----------------------------------------
Scenario 2
Two guys are fighting. Both of them take time out and call their friends on
their mobiles. Now 50 guys are fighting.
You are definitely in PUNJAB !!!----------------------------------------
Scenario 3
Two guys are fighting and a third guy comes along and tries to make peace.
The first two get together and beat him up.
That's DELHI----------------------------------------
Scenario 4
Two guys are fighting. A crowd gathers to watch.
A guy comes along and quietly opens a Chai-stall.
That's KERALA !----------------------------------------
Scenario 5
Two guys are fighting and a third guy comes.
He writes a software program to stop the fight.
But the fight doesn't stop because of a virus in the program.
That's BANGALORE----------------------------------------
Scenario 6
Two guys are fighting. A crowd gathers to watch.
A guy comes along and quietly says that "AMMA" doesn't like all this nonsense..
Peace settles in...
That's CHENNAI----------------------------------------
Scenario 7
Two guys are fighting and a third guy comes along, then a fourth
and they start arguing about who's right.
You are in KOLKATA----------------------------------------
Scenario 8
Two guys are fighting. Third guy comes from nearby house and says,
"don't fight in front of my place, go some where else and keep fighting".
That's AHMEDABAD----------------------------------------
And the best one is ....
Scenario 9
Two guys are fighting. Third guy comes along with a carton of beer.
All sit together drinking beer and abusing each other and all go home as friends.
You are in GOA!

11 comments:

  1. आपके विचार और नजरिया दोनों ही सही हैं।

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  2. मेरे हिसाब से पहला नजरिया अच्‍छा क्‍या उत्‍तम हैं .. हर पीढी को अपनी आनेवाली पीढी को शारीरिक , मानसिक और नैतिक दृष्टि से खुद से अधिक सक्षम बनाने के लिए अधिक प्रयास करना चाहिए .. इसके साथ ही साथ वह किसी अच्‍छे व्‍श्‍वसाय द्वारा या अच्‍छे कर्मों से धन संपत्ति भी अर्जित कर ले तो कोई बुराई नहीं .. जिसकी आनेवाली पीढी शारीरिक , मानसिक और नैतिक दृष्टि से पहली पीढी से अधिक सक्षम हो गयी तो उनके लिए आपका अर्जित किया गया सारा धन का सकारात्‍मक उपयोग ही किया जाएगा .. लेकिन जो खुद बेईमानी करके या उल्‍टे सीधे काम करके पैसे कमाए .. तो आनेवाली पीढी शारीरिक , मानसिक और नैतिक दृष्टि से सक्षम कैसे हो सकती है .. फिर उसके लिए तो आपके द्वारा अर्जित किया गया धन खतरनाक हो सकता है !!

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  3. संगीता पुरी जी के बात का समर्थन करता हू

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  4. चोरी करना अपराध नहीं होता अपराध होता है चोरी करते हुए पकड़े जाना! पर सबसे बड़ी बात है कि चोरी करने की हिम्मत होना!!

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  5. bhai nazaeriya to pahle waala hi theek hai ... imaandaari se kamaao .. aaraam se khaao ....

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  6. मेरे मुताबिक़ पहला नज़रिया उस इंसान का होता है जोकि ख़ुद कभी कुछ कमा नहीं पाया नीयत तो उसकी भी होती होगी धूर्त लेकिन, कामयाब नहीं हुआ। क्योंकि जो इमानदारी से कमाता है वो कभी इस पचड़े में पड़ता ही नहीं है कि किसी और के पास क्या और कितना हैं।

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  7. मेरे अनुभव से पहला नज़रिया बिलकुल सही है। दुख सुख तो हर एक व्यक्ति के जीवन मे आते हैं उन्हें पाप पुन्य की कमाई से जोड कर देखने का नज़रिया भी गलत है। ैसे केवल नैतिक दृ्ष्टी से जोड कर ही देखना चाहिये। समाज और देश के लिये क्या सही है इस इस तरह देखना चाहिये वर्ना आजकल भ्रष्टाचारी अधिक फल फूल रहे हैं और इमानदार दुख उठाता है बस परिवा, देश ,ाउर समाज के लिये अगर आज जरूरत है तो केवल इमानदारी की। धन्यवाद बहुत अच्छा आलेख है

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  8. भ्रष्टाचार में भारत विश्व में ८७ नम्बर पर है। यदि पाप-पुण्य कुछ होता तो भारत अब तक हिंद महासागर में खो जाता :)

    पाप-पुण्य होता है ना- ये पूर्व जन्म के करम ही है वो विकलांग पैदा हुआ। अब धन इकट्ठा करके इस जनम को सुधार रहा है :)

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  9. पी.सी.गोदियाल जी , हराम की कमाई तो हराम मै ही निकलती है, मेहनत से कमाया हुया पेसा ही फ़लता है, आप का दोस्त भूल गया वो समय जब फ़ीस के लिये भी पेसा नही था, लेकिन कहते है हराम का पेसा तीन पिढियो से आगे नही जाता , ओर जाते जाते सात पीढियो का सत्यनाश कर देता है,आप के लेख से सहमत है जी.
    धन्यवाद

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  10. Jaakee rahee bhaavana jaisee ! prabhu moorat dekhi tin taisee !!

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  11. आप सभी की बहुमूल्य टिप्पणिया/सुझाव सर आँखों पर, बहुत खुशी हुई कि आप लोगो ने अपना समय निकल इसमें रूचि ली ! दीप्ती जी ने जो हटकर टिपण्णी की वह भी बहुत उपयोगी और सार्थक लगी , सच कहूँ तो उस पहलू पर मैंने गौर ही नहीं किया था !निर्मला जी और संगीता जी एवं भाटिया साहब ने भी कुछ जो कुछ नए बिन्दुओ पर प्रकाश डाला, उसके लिए आप सभी का आभार !

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सहज-अनुभूति!

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