Monday, February 8, 2010

वजन घटाना है तो ऊँचे पहाड़ो पर जाइए !

अगर आप बिना कोई व्यायाम किये, बिना अपनी खान-पान की खुराक में कमी किये, वजन घटाना चाहते है, तो वैज्ञानिक कहते है कि कुछ हफ्तों के लिए ऊँचाई वाले(high altitude )स्थानों पर चले जाइए! आपका वजन स्वतः ही कम हो जाएगा ! अपने एक अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि ऊँचाई वाले स्थानों पर मात्र एक हफ्ता बिताने के परिणामस्वरूप भी निरंतर वजन में कमी आती है! http://www.wired.com/wiredscience/2010/02/high-altitude-weight-loss/ अध्ययन के मुताविक अधिक वजन के गतिहीन लोग जिन्होंने एक हफ्ता ८७०० फीट की ऊँचाई पर बिना अपनी डाईट में कोई कमी किये, और नही कोई शारीरिक कसरत किये व्यतीत किये थे, और जब वे एक महीने बाद वापस मैदानों पर लौटे तो उनका वजन पहले के उनके वजन का दो तिहाई ही रह गया था ! मजेदार बात यह है कि यह अध्ययन स्पष्ट रूप से यह भी दर्शाता है कि इससे उनका गर्मी सेवन (caloric intake ) भी घट गया!

और यह बात शर्तिया तौर पर भी इस आधार पर कही जा सकती है कि जैसा कि आपने भी गौर किया होगा कि पहाडी क्षेत्रो के लोग अक्सर औसत शरीर के और चुस्त-दुरुस्त होते है! और यह बात तो शायद यहाँ बताना अतिश्योक्ति होगी कि चुस्त-दुरुस्त शरीर ही बीमारियों से मुक्त भी होता है! इस अध्ययन के बाद कुछ लोग जो नियमित तौर पर हवाई यात्रा करते है, उन्होंने भी इस बात की पुष्ठी की है कि चूँकि वे विमान से लगातार ८००० मीटर की ऊंचाई पर यात्रा करते है इसलिए उनके वजन में भी आश्चर्यजनक तौर पर कमी आई है! भारतीय सेना के एक अधिकारी का कहना है कि मैं इस बात से सहमत हूँ कि ऊंचाई में रहने पर वजन कम करने में मदद मिलती है, मैं दो बार कुमाऊं हिमालय में ऊंचाई वाले क्षेत्र में और पूर्वोत्तर तथा सियाचिन में रहा हूँ , और मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि ऊंचाई पर रहने में मोटापा जादुवी ढंग से गायब होता है, बशर्ते आप वहाँ पर घुमते फिरते रहे, और सर्दी से बचने के लिए बहुत ज्यादा गर्म कपड़ो का इस्तेमाल न करे तो ! यह शरीर की वसा और कैलोरी को जलने में मददगार साबित होता है ! तो दोस्तों, देर किस बात की, आने वाली गर्मियों में खूब पहाडो की सैर का लुफ्त उठायें, और शरीर को स्वस्थ रखे !

17 comments:

  1. वाह क्‍या उपाय है? सारे ही मोटे लोगों को फिर तो पहाड़ों पर होना च‍ाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो कि मोटे लोगों के कारण पहाड़ भी धंस जाए और पतले हो जाएं।

    ReplyDelete
  2. यह तो रामबाण नुस्खा बताया आपने. सिर्फ़ एक बात स्पष्ट कर दिजिये कि अगर मैं साल भर मे एक सप्ताह के लिये वहां जाऊं तो भी इस मोटापे से मुक्ति मिलेगी की नही?

    रामराम.

    ReplyDelete
  3. ताऊ जी, निश्चित तौर पर कुछ फर्क जरूर पडेगा, मगर आपको वजन घटने की क्या जरुरत आन पडी ? :)

    ReplyDelete
  4. गोदियाल जी जरा समझा किजिये, अप्ना नही तो दूसरों का घटवा देने में क्या बुराई है? वैसे भी आजकल कुछ लोगों का वजन ज्यादा ही बढ गया है.:)

    रामराम.

    ReplyDelete
  5. अपन तो फिट-फाट हैं....... डोले-शोले वाले...... डोले वो भी ऐसे कि फुला दें तो शर्ट के आस्तीन फट जाएँ...... ही ही ही ही ही ही ही .....

    ReplyDelete
  6. ताउजी, फिर तो अगली ब्लोगर मीट सियाचिन में न रख ले, हफ्ते भर के लिए :)

    ReplyDelete
  7. गोदियाल जी मैं आपके प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. समय दिनाकं तय करके पोस्ट द्वारा सभी को सुचित किया जाये.

    रामराम.

    ReplyDelete
  8. ajit gupta ji se sahmat hun...........vaise upay achcha bataya hai.

    ReplyDelete
  9. बहुत काम की जानकारी!

    ReplyDelete
  10. "...शर्ते आप वहाँ पर घुमते फिरते रहे, और सर्दी से बचने के लिए बहुत ज्यादा गर्म कपड़ो का इस्तेमाल न करे तो !..."
    ये शर्त वाली बात लोचे वाली है… यानी आप पहले से ही छिपा हुआ डिस्क्लेमर देकर बैठे हैं कि यदि कोई व्यक्ति दुबला नहीं हुआ तो यह उसका दोष है कि वह घूमा-फ़िरा क्यों नहीं… :) :)
    क्या आप पर्यटन विभाग से जुड़े हैं? he he he he he

    ReplyDelete
  11. यदि यह बात सही है तो बढिया है....

    ReplyDelete
  12. एक महीना ! क्या बात है , गोदियाल जी। हमारी तो एक हफ्ते की बुकिंग करा दीजिये,बस। हा हा हा !

    ReplyDelete
  13. बहुत अच्छी जानकारी / सलाह!

    ReplyDelete
  14. बात सही और आजमाई सी लगती है

    ReplyDelete
  15. लगता है हमको तो आजमानी ही पड़ेगी। कहाँ जाये ये देखना पड़ेगा कि ८००० फ़ीट की जगह वाली पहाड़ियाँ कहाँ पाई जाती हैं और वहाँ ब्रॉडबेन्ड उपलब्ध है या नहीं।

    ReplyDelete
  16. विमान तो अक्सर ३६,००० फीट के ऊपर उड़ते हैं ८००० फीट पर तो बड़ी गड़बड़ हो जायेगी :D

    ReplyDelete
  17. @R.C. Mishra Ji, फीट को मीटर कर दिया अब तो खुश है न आप :) वैसे गलती की तरफ ध्यान आकर्षण के लिए आपका शुक्रिया !

    ReplyDelete

सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...