कितनी अजीब सी बात है कि एक तरफ जो इंसान भगवान् के अस्तित्व को सिरे से नकारता है, और उसकी शरण स्वीकार नहीं करता, दूसरी तरफ अमूमन वही इंसान अपने स्वार्थ के लिए दूसरे इंसान की गुलामी करने से जरा भी परहेज नहीं करता !
-पी.सी. गोदियाल
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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सहज-अनुभूति!
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सचमुच यह सोचने का विषय है....
ReplyDeleteभगवान की शरण में भी तो स्वार्थवश जाता है.
ReplyDeleteअस्ति मे भी है और नास्ति मे भी है
ReplyDeleteसिर्फ़ समझ समझ का फ़ेर है,
बसंत पर्व की शुभकामनाएं
अस्ति मे भी है और नास्ति मे भी है
ReplyDeleteसिर्फ़ समझ समझ का फ़ेर है,
बसंत पर्व की शुभकामनाएं
स्वार्थ मनु्ष्य की बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है।
ReplyDeleteसोचनीय पहलू है यह भी ।
ReplyDeleteसटीक !!
ReplyDeleteये दस्तूर है दुनिया का ........... इंसान की फ़ितरत .......
ReplyDeleteअजीब तो है
ReplyDeleteसही कहा आपने. सोचने पर मज़बूर करता है.
ReplyDeleteइसलिये कि वह इंसान मे भगवान को नही देखता
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