...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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सहज-अनुभूति!
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
नाती-पोता नेहरू, कर्ता धर्ता *शेख |
ReplyDeleteअब्दुल्ला के ब्याह में, दीवाना ले देख |
दीवाना ले देख, मरे कश्मीरी पंडित |
निर्बल बिन हथियार, जवानो के सिर खंडित |
डंडे से गर मोह, संघ को भेजो पाती |
वह *मोहन तैयार, करो रविकर तैनाती ||
*भागवत
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteZabardast :-)
ReplyDeleteबिल्कुल सटीक व्यंग है.
ReplyDeleteरामराम.
सटीक कटाक्ष किया है !!
ReplyDeleteऐसा हो जाये तो फिर बात ही क्या है.
ReplyDeleteबहुत ही सटीक व्यंग,आभार.
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