Friday, September 24, 2010

अपेक्षा !

मुझे
न जाने

कभी-कभी

 ऐसा  क्यों 

लगता है कि

 अब तो बस इस

भरतखंड का तभी

असल विकास होगा,

 जब बड़ी-बड़ी मछलियों

और मगरमच्छों की बस्ती,

नई दिल्ली-१ से उफनते हुए

     कभी जमुना जी का निकास होगा।

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कोसी की कसम !
यमुना जी, आप सुन रही हैं न ?

18 comments:

  1. बहुत सही कहा जी आप ने, धन्यवाद

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  2. आप सुना कर ही दम लेना बाबू !

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  3. क्या बात है...अब सुना ही दीजिए

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  4. बात तो सच्ची और पते की कही है।

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  5. यमुना जी के वर्तमान बहाव को देखकर तो लगता है कि उन्हें आपकी बात सुनायी दे गयी हैं.

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  6. यमुना जी तो सुन ही नहीं देख भी रही है -------
    बहुत अच्छी पोस्ट कितनी भी तारीफ करू वह भी कम है
    बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  7. सही कामना है । लेकिन भगवान सदबुद्धि दे तो और भी अच्छा है।

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  8. आपके दिल का जो आक्रोश है वो समस्त जनता की भावनाओं को अभिव्यक्ति देता है परंतु लगता है कि इन मगरमच्छों के आगे यमुना जी भी बौनी साबित हो रही हैं वर्ना अब तक तो ये सूखी यमुना जी मे ही डूब गये होते. अबकि बार शायद यमुना जी ने भरपूर कोशीश की पर इन दुष्टों का कुछ नही बिगडा.

    बेहद सटीक अभिव्यक्ति, सौ में से दौसो नंबर लायक पोस्ट लिखी आपने, तबियत गदगद हो गई.

    रामराम.

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  9. मन का आक्रोश शब्दों में फूट रहा है ..अच्छी अभिव्यक्ति

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  10. काश कि ५४५+५४०० वगैरह को भी यमुना मैया अपनी कृपादृष्टि से तार दे...

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  11. आपकी कामना मजेदार लगी, त्रिभुजीय कामना!
    लेकिन ताऊ के कमेंट से सहमत।

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  12. आप सिर्फ पुकार रहे हैं..लोग तो यज्ञ कराये बैठे हैं और सुनवाई नहीं हो रही. :)

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  13. यमुना ने जिनका निकास किया है वे ये नहीं हैं. यहाँ भी आम आदमी ही है

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  14. दो नदियों का और राजनीति का जो हाल कर रखा है, उसका दमदार तमाचा। प्रणाम उस विचार को।

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  15. अच्छी पंक्तिया लिखी है ........

    यहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
    क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?

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  16. यमुना जी, आप सुन रही हैं न ?
    आपको भी कोसी बनना ही पडेगा !!
    vajandaar baat kahi aapne.. bina kosi bane dilli aur yamuna ka uddhar ho jaye aisa rasta hai kya koi ?

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।