मुझे
न जाने
कभी-कभी
ऐसा क्यों
लगता है कि
अब तो बस इस
भरतखंड का तभी
असल विकास होगा,
जब बड़ी-बड़ी मछलियों
और मगरमच्छों की बस्ती,
नई दिल्ली-१ से उफनते हुए
कभी जमुना जी का निकास होगा।
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:
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:
कोसी की कसम !
यमुना जी, आप सुन रही हैं न ?
न जाने
कभी-कभी
ऐसा क्यों
लगता है कि
अब तो बस इस
भरतखंड का तभी
असल विकास होगा,
जब बड़ी-बड़ी मछलियों
और मगरमच्छों की बस्ती,
नई दिल्ली-१ से उफनते हुए
कभी जमुना जी का निकास होगा।
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कोसी की कसम !
यमुना जी, आप सुन रही हैं न ?
बहुत सही कहा जी आप ने, धन्यवाद
ReplyDeleteआप सुना कर ही दम लेना बाबू !
ReplyDeleteक्या बात है...अब सुना ही दीजिए
ReplyDeleteअच्छी रचना है ........
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े :-
क्या आप के बेटे के पास भी है सच्चे दोस्त ????
बात तो सच्ची और पते की कही है।
ReplyDeleteयमुना जी के वर्तमान बहाव को देखकर तो लगता है कि उन्हें आपकी बात सुनायी दे गयी हैं.
ReplyDeleteयमुना जी तो सुन ही नहीं देख भी रही है -------
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट कितनी भी तारीफ करू वह भी कम है
बहुत-बहुत धन्यवाद.
सही कामना है । लेकिन भगवान सदबुद्धि दे तो और भी अच्छा है।
ReplyDeleteआपके दिल का जो आक्रोश है वो समस्त जनता की भावनाओं को अभिव्यक्ति देता है परंतु लगता है कि इन मगरमच्छों के आगे यमुना जी भी बौनी साबित हो रही हैं वर्ना अब तक तो ये सूखी यमुना जी मे ही डूब गये होते. अबकि बार शायद यमुना जी ने भरपूर कोशीश की पर इन दुष्टों का कुछ नही बिगडा.
ReplyDeleteबेहद सटीक अभिव्यक्ति, सौ में से दौसो नंबर लायक पोस्ट लिखी आपने, तबियत गदगद हो गई.
रामराम.
मन का आक्रोश शब्दों में फूट रहा है ..अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteEKDUM STEEK....
ReplyDeleteकाश कि ५४५+५४०० वगैरह को भी यमुना मैया अपनी कृपादृष्टि से तार दे...
ReplyDeleteआपकी कामना मजेदार लगी, त्रिभुजीय कामना!
ReplyDeleteलेकिन ताऊ के कमेंट से सहमत।
आप सिर्फ पुकार रहे हैं..लोग तो यज्ञ कराये बैठे हैं और सुनवाई नहीं हो रही. :)
ReplyDeleteयमुना ने जिनका निकास किया है वे ये नहीं हैं. यहाँ भी आम आदमी ही है
ReplyDeleteदो नदियों का और राजनीति का जो हाल कर रखा है, उसका दमदार तमाचा। प्रणाम उस विचार को।
ReplyDeleteअच्छी पंक्तिया लिखी है ........
ReplyDeleteयहाँ भी आये और अपनी बात कहे :-
क्यों बाँट रहे है ये छोटे शब्द समाज को ...?
यमुना जी, आप सुन रही हैं न ?
ReplyDeleteआपको भी कोसी बनना ही पडेगा !!
vajandaar baat kahi aapne.. bina kosi bane dilli aur yamuna ka uddhar ho jaye aisa rasta hai kya koi ?