...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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साम्यवादी कीड़ा !
लगे है दिल्ली दानव सी, उन्हें जन्नत लगे कराची है, तवायफ बनकर लेखनी जिनकी, भरे दरवारों में नाची है। हैं साहित्य मनीषी या फिर वो अपने हित के ...
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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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हाथ जोड़कर पहले कहे देता हूँ, ज्यादा नहीं लिखूंगा, क्योंकि इन जड़-बुद्धि स्वदेशियों की समझ में ख़ास कुछ नहीं घुसने वाला ! मगर क्या करू कहना, ...
कहाँ पंगा ले रहे हो गोदियाल जी? :)
ReplyDeleteआज पाटिल के प्रतिभावान कारनामे पढ़कर मन व्यथित हुआ... लगा की हद है यार. किसी की नन्ही सी बेटी के साथ दुराचार किया उस अपराधी को माफ़ी देने का हक किसे है?
ReplyDeleteएक ही परिवार के १०-१० लोगों की हत्या करने वाले को माफ़ी देने का हक किसे है और क्यों है?
:)
ReplyDeleteआमजन का उठ गया है इस व्यवस्था पर से भरोसा,
ReplyDeleteये भरोसा तो कब का उठ चुका है ... पर वोट के अलावा कुछ हाथ में नहीं है आम आदमी के ... और वोट कों वो बेचारा इस्तेमाल करे या भूखा प्रेत भरने के लिए बेच दे ...
यही सब पुनः घृणित वातावरण निर्माण करेंगे।
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