Friday, September 10, 2010

कुत्ते से करिये मालिक की पहचान !


दिये गये शीर्षक पर कुछ लिखने से पहले एक छोटी सी भंडास निकालना चाहुंगा. आप घबराइये नही, यह भंडास अथवा बद्दुआ मैं उन निर्लज बेशर्मो पर निकाल रहा हूं जिन्होने आम दिल्ली वालों का जीना पिछले एक दशक से दुभर कर रखा है, विकास के नाम पर। कभी फ़्लाईओवर के नाम पर, कभी सडक चौडीकरण के नाम पर, कभी जल निकासी के नाम पर और कभी कौमनवेल्थ के नाम पर। आजकल तो हालात ये हैं कि सुबह से शाम तक की बारह घंटे की दिनचर्या मे चार घंटे तो सिर्फ़ सड्कों पर ही गुजारने पड रहे है, कौमनवेल्थ की रिहर्सल के नाम पर पर लगने वाले जाम की वजह से । देश की तीस हजार करोड की कौमन वेल्थ को तो इस देश के ये कुछ भस्मासुर चट कर गये और ऊपर से धमकी आम जन को कि अगर फ़लां-फ़लां लेन मे घुसे तो.........समझ मे नही आता है कि ये लोकतंत्र है या फिर नादिरशाही ? इन चंद भस्मासुरों ने बिके हुए मीडिया संग मिलकर क्या-क्या सब्जबाग नही दिखाये थे इन दिल्ली वालों को, मसलन पांच गेयर तो छोड दीजिये ये तो कह रहे थे कि अगर गाडी मे छ्टा गेयर भी लगा दिया गया तो उस पर भी गाडिया दौडेगी। यमुना के नीचे से ठां से रेल निकलेगी और सीधे स्टेडियम मे ही जाकर रुकेगी......औटो की जगह उडन खटोले होंगे, ब्लु-लाईन की जगह और पता नही क्या-क्या होंगे। दिल्ली स्वर्ग नजर आयेगी ....... बला....बला..... ।

और हकीकत मे हालात ये है कि हर जगह पैबंद लगाये जा रहे है। बिके हुए मीडिया की मदद से ब्लू लाइन बसें तो सड्क से बाहर करवा दी, आर्थिक विकास दर का दिखावा करने के लिये भूखे-नंगो को भी किस्तों पर वाहन दिलवा दिये और चलने के लिए इनके पास सड़के है नहीं। अरबो रुपये देश के स्वाह करने के बाद जमीनी हकीकत ये है कि आधारभूत ढांचे के नाम पर अब बेशर्मी से लोगो को सलाह दे रहे है कि आप इस दौरान निजी वाहनों की वजाये अधिक से अधिक सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करे, उन वाहनों का जो सडकों से नदारद है। इन्हे तो बस यही दुआ दूंगा कि तुमने हमे तो जीते जी चैन से जीने नही दिया, मगर तुम्हे मरकर भी चैन न मिले।




अब मुख्य विषय पर आता हूं। हालाकि विषय बडा मामूली सा है मगर जो लोग कुत्तों मे रूचि रखते है, उनके लिये है मजेदार। जो लोग कुत्ते पालने का शौक रखते है और अपने घरों मे कुत्ते पालते है, वे शायद इस बात को बखूबी समझते है कि कुत्ते के हाव-भाव बहुत कुछ इन्सानी हाव-भावो से मिलते है। अगर आपको किसी इन्सान के स्वभाव के बारे मे पता लगाना है और अगर उसके घर मे पालतू कुत्ता है,तो आप उस कुत्ते के हाव-भावो पर गौर कीजिये, आपको उसके मालिक के स्वभाव के बारे मे सामान्य जानकारी मिल जायेगी. कुछ एक अपवादों को छोड मेरा अध्य्यन यह कह्ता है कि;
-यदि कुत्ता सरीफ़ है तो समझिये कि मालिक भी सरीफ़ है।
-कुत्ता वफ़ादार तो मालिक वफ़ादार।
-यदि कुत्ता आलसी है तो मालिक एक नम्बर का आलसी मिलेगा।
-यदि कुत्ता काटने को दौड्ता है तो भग्वान बचाये ऐसे मालिक से।
-यदि कुत्ता सिर्फ़ भौंकता बहुत ज्यादा हो तो मालिक की वाचालता पर शक नही होना चाहिये।
-यदि कुत्ता मसखरे बाज है तो मालिक भी चंचल स्वभाव का होगा।
-और यदि कुत्ता गम्भीर स्वभाव का दिखे तो आप समझ सकते है मालिक भी गम्भीर स्वभाव का है।
-यदि चेन पर बंधा हो और सडक पर कोई दूसरा कुत्ता नजर आये तो उस पर काटने को उछलता है, मगर जब खुला छूटा हो और उस वक्त दुम दबा कर चल रहा होता है, तो समझिये कि मालिक चार दीवारी के भीतर शेर बनता फिरता है।
-सिर्फ़ जरुरत पर भौंकता है या काटने को दौडता है तो मालिक समझदार किस्म का मिलेगा।
-घर के अन्दर ही गन्दा कर देता है तो मालिक गंदा है, मगर यदि जब तक उसे बाहर न ले जाया जाये, वह घर मे टायलेट तक नही करता तो मानिये कि मालिक सफ़ाई पसन्द है।
-निर्धारित समय पर ही बाहर ले जाने की जिद अथवा मांग करता है तो मालिक अनुशासनप्रिय है।
-यदि खुद कोई फरमाइश नही करता, अथवा किसी अजनवी के गेट पर आने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नही करता तो मालिक लापरवाह है।
-यह भी नोट करे कि किसी खास वक्त पर मालिक के स्वास्थ्य से मिलती जुलती ही कुत्ते के स्वास्थ्य की भी स्थिति रहती है, कुत्ता कब्ज से परेशान है, लैट्रिग नही कर रहा तो समझिये कि मालिक की भी वही स्थिति है।
-कुत्ते की बनावट से मालिक की पसंद का भी पता चलता है. छोटी नस्ल का कुता यानि घर मे छोटे कद की बीबी, छोटा घर, घर मे छोटे आकार का साजो-सामान, छोटी गाडी इत्यादि, जबकि मध्यम आकार और बडे आकार के डिलडौल कुत्ते का मतलब................... ।
और भी बहुत सी विशेषताये है जो काल और परिस्थितियों के अनुकूल भिन्न-भिन्न है. जैसा कि मैने शुरु मे कहा कि इसमे कुछ अपवाद भी हो सकते है और इस विश्लेषण से किसी सज्जन को कोई ठेस पहुचती हो तो अग्रिम क्षमा याचना। अथ श्री कुत्तापुराण :)

अन्त मे आप सभी को गणेशचतुर्थी और ईद की मंगलमय कामनाये !

27 comments:

  1. गणेशचतुर्थी और ईद की मंगलमय कामनाये !
    बढ़िया लेख ...


    इस पर अपनी राय दे :-
    (काबा - मुस्लिम तीर्थ या एक रहस्य ...)
    http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_11.html

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  2. सटीक आलेख, गणेश चतुर्थी एवम ईद की शुभकामनायें.

    रामराम.

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  3. गणेशचतुर्थी और ईद की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! !

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  4. अच्छा आलेख।

    आपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
    फ़ुरसत से फ़ुरसत में … अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा …पढिए!

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  5. सार्थक और सटीक प्रस्तुती , इन साले भ्रष्टाचारी मंत्रियों को सपरिवार भगवान इतना बीभत्स विकलांग बनाये की इनको जिन्दगी मौत से बदतर लगे औए ये साले मौत को तो गले किसी भी कीमत पर लगायेंगे नहीं इसलिए तरपते रहेंगे और इन सालों की ऐसी दर्दनाक आयु भगवान दो सौ वर्ष कर दे...इन सालों ने आम लोगों का जीना हराम कर दिया है ...इन सालों को सजा अब कोई दैविक या चमत्कारिक शक्ति ही दे सकती है ...

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  6. एकदम मस्त लिखा है गोदियाल जी। श्वानपालकों के बारे में तो लिख दिया, कुछ ऐसी ही नजरें इनायतें श्वान अपालकों प्र भी करिये कभी।
    (बद)दुआ लगेगी जरूर आपकी।

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  7. @ honesty project democracy , अब समझे हिटलर क्यो ऎसा था? आप का दर्द आज सब का दर्द हे कुछ बेशर्मो को छोड कर,
    गोदियाल साह्ब मस्त नही बहुत मस्त लिखा दोनो ही लेख पढ कर मजा आ गया, कुत्ते वाला तो ९०% सही है, धन्यवाद
    गणेश चतुर्थी एवम ईद की शुभकामनायें.

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  8. गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  9. हम तो कुत्ते से ही डर जाते हैं तो उसका अध्‍ययन करना तो बड़ा कठिन है। आपके अध्‍ययन को नमन।

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  10. गज़ब का कुत्ता पुराण लिखा है…………।वैसे दिल्ली अब दिल्ली कहाँ रह गयी……………तानाशाहो का मकबरा बन गयी है।

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  11. :):)

    दिल्ली कि सही हालत को बयान किया है ..

    कुत्ता - पुराण ने सोचने पर विवश कर दिया ...

    अपने कैंडी ( यही नाम है ...उसे कुत्ता कहते मुझे अच्छा नहीं लगता ) से अपनी आदतों का विश्लेषण कर रही थी :) :) ..
    कुछ कुछ सच में ही सटीक लगीं हा हा ..

    बढ़िया लेख .

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  12. "यदि कुत्ता सरीफ़ है तो समझिये कि मालिक भी सरीफ़ है। "

    हमारा कुत्ता शरीज है जी :)

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  13. ह-हा .. प्रसाद जी फिर तो हम मालिक के स्व्भाव का अन्दाजा सहज ही लगा सकते है :) :)

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  14. अब तो अपने कुत्ते का चरित्र चित्रण करना पड़ेगा, स्वयं तो समझने के लिये।

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  15. अच्छी पोस्ट बन पडी है , कुत्ते वाला फ़लसफ़ा नया लगा , समझने की कोशिश करेंगे

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  16. बहुत अच्छी रिसर्च की है गोदियाल साहब,इसे किसी शोधार्थी को भेंट दे दीजिये, और दिल्ली वाले मामले में तो मैं ये कहूँगा कि "आपकी दुआ-बद्दुआ मंजूर हो जाये, बिना वक्त गंवाए" |

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  17. "यदि खुद कोई फरमाइश नही करता, अथवा किसी अजनवी के गेट पर आने के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नही करता तो मालिक लापरवाह है। "
    .
    .
    .
    ओह्हो! अब समझ में आया कि हमारी लापरवाही का तो ये कारण है! अभी जाकर सबसे पहले तो इस कुत्ते को ही निकाल बाहर करते हैं :)

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  18. गोदियाल साहब वाह क्या मस्त भौं भौं लिखा है आपने -
    मेरी एक अलग दास्तान हैं -
    डेजी हर मेरे आगन्तुक को यही समझती है की जनाब /मोहतरमा उनसे मिलने आयी हैं!सच्ची :)

    एक यह भोग हुआ यथार्थ जरूर पढ़ लें .
    http://girijeshrao.blogspot.com/2010/08/blog-post_10.html

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  19. अरविन्द जी, मैं समझ सकता हूं :) :)

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  20. अब से कुत्तो को देखकर समझ जायेंगे. :)


    गणेश चतुर्थी और ईद की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.

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  21. गोदियाल जी , बहुत से नुस्खे बता दिए । बस एक और बताइये --यदि कुत्ता --कुत्ता हो तो उसका मालिक क्या होगा ?

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  22. अब आप वापस आए हैं अपना असली रंग में... दिल्ली के सड़क के साथ जो बलात्कार हुआ है अऊर जैसे इसके दामन को तार तार किया गया है ऊ त हम भी रोजे देख रहे हैं.. अऊर अब इसका मुजरा होगा तो देखिएगा...
    अऊर रहा बात कुत्ता का.. तो एगो बात याद आया..एगो सज्जन सुबह अपना कुता को लेकर टहलाने निकले त पीछे से आवाज सुनाइ दिया कि ई गधा के साथ कहाँ जा रहे हो. ऊ चौंक कर बोले कि देखाई नहीं देता कि ई कुत्ता है गधा नहीं. त ऊ जवाब दिया कि हम आपसे नहींआपके कुत्ता से पूछ रहे हैं.
    अब आप बताइए जिसका मालिक गदहा हो उसका कुत्ता का कईसा चरित्र होगा!! हमरे घर में नहीं है, ई बात पहिलहीं किलियर कर दें!!

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  23. आज कुछ ज़्यादा बेहतर लगा आपको बांचना....

    जियो दादा !

    मज़ा आ गया........

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  24. मस्त लिखा है गोदियाल जी।

    आपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  25. गणेशचतुर्थी की शुभकामनायें!

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  26. बहुत ही शानदार आलेख.... मैं अपने जैंगो के बिहेवियर को सोच रहा हूँ.... मैं कैसा हूँ....? इस पर भी विचार कर रहा हूँ....

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सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...