तुम न कभी अश्क बहाना, ऐ दोस्त,
क्यूंकि तुम बे'गम' हो,
ये तुम्हारा धुर्त 'शो'हर तो,
यूं ही, मजे लेने के खातिर रो लेता हैं।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
वाह...बहुत खूब।
ReplyDeleteवाह। विश्व हिन्दी दिवस पर शुभकामनाएं।
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