...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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वक्त की परछाइयां !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...

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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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You have chosen sacred silence, no one will miss you, no one will hear your cries. No one will come to put roses on your grave wit...
सब एक हमाम में ही तो बैठे हैं.
ReplyDeleteदिल्ली में धन-पेड़ है, चिकना सीध सपाट ।
ReplyDeleteचढ़ते हैं उद्योगपति, जोहें रक्षक बाट ।
जोहें रक्षक बाट, चार ठो चोर-किंवाड़ा ।
न्याय, व्यवस्था, कार्य, मीडिया कार्य बिगाड़ा ।
लूटा मक्खन ढेर, किन्तु बँटवाती बिल्ली ।
साईं सबका भला, दूर जनता की दिल्ली ।।
भ्रष्ट सरकार का भ्रष्ट लोकतंत्र है-सटीक सैर करवाई है !
ReplyDeleteभाई जी ,आप का आना और आपको पदना हमेशा ही सुखद रहा है ..
ReplyDeleteकाश! आपके आज के लिखे व्यंग की व्यथा को भी
हम सब समझे ....
शुभकामनाएँ!
चुन चुन कर हमने ही उनको जो भेजे थे वहाँ,
ReplyDeleteऔर उन्होंने भी चुन चुन कर मत बटोरे कहाँ से कहाँ,
आलम आज यह है, चुन चुन कर हम मारे दौड़े फिरते,
भीतर की रेला ठेली अब हुजुर बाद में भी देख लेंगे,
पकड़ने को उनको बाहरी रेले में बहुत तेज़ धकेले जा रहे है,
अवकाश एक छोटा सा मिल जाए, अधिकार तो बना ही रहेगा,
धोती पहना गाँधी कह गया, नागरिक का कर्त्तव्य ही रक्षा करें अधिकार की,
रक्षा करे लोकतंत्र की |
कभी जरा यह भी सोच लेंगे |
और फिर बगल में खड़ा लोकतंत्र मित्र बनकर कहेगा एक बार जरुर,
कही तो बहुत अच्छी मेरे भाई,
लगता है मेरे अच्छे दिन अब दूर नहीं...
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteकरवाचौथ की अग्रिम शुभकामनाएँ!
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ReplyDeleteन जाने किस दिशा जा रहा है देश..
ReplyDeleteइतना रोष !
ReplyDeleteकभी चुनाव नहीं लड़ना क्या ? :)
ReplyDeleteबढ़िया तंज है परचेत साहब .आपको प्यार छुपाने की बुरी आदत है ,और हमें प्यार जताने की बुरी आदत है ......आप अपनी वृत्ति में रहो केकड़े की तरह हम अपनी में रहते हैं .सपेरा बनके .
बढ़िया तंज है परचेत साहब .आपको प्यार छुपाने की बुरी आदत है ,और हमें प्यार जताने की बुरी आदत है ......आप अपनी वृत्ति में रहो केकड़े की तरह हम अपनी में रहते हैं .सपेरा बनके .आओ दामादों के मार्फ़त ही सही दोस्ती का नाता जोड़ें .
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