...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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सहज-अनुभूति!
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
सन्नाट..
ReplyDeleteVery soon the time will show them, their real place. Let them live in their pseudo paradise.
ReplyDeleteGreat Nice one
ReplyDeletehttp://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post_17.html
बढ़िया कटाक्ष :):)
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ReplyDeleteये लो , हमने भी यही कहा आम नहीं , ख़ास !होना है
ReplyDelete@प्रेम-सरोवर जी ,
ReplyDeleteआपसे इस बात के लिए माफी चाहूँगा कि मैं जब स्पैम में पड़े कुछ कॉमेंट उठा रहा था तो गलती से आपका कोमेंट मुझसे डिलीट हो गया !
बेबुनियाद की भी कभी-न-कभी बुनियाद अवश्य पड़ी होगी......बेहतर कटाक्ष....
ReplyDeleteआम आदमी ऐसे ही चूसा जायेगा.
ReplyDelete:)
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