दस्तूर ही कुछ ऐसा है कि हर महिला की ये दिली ख्वाईश होती है कि उसकी लडकी को उससे भी बढ़कर अच्छा पति मिले ! और साथ ही उसे यह भी पक्का भरोसा होता है कि उसके लड़के को उतनी अच्छी बीबी नहीं मिलेगी, जितनी कि उसके बाप को मिली ! इसलिए ज्ञानी लोग कह गए है कि इस तरह मत चलो, मानो कि तुम दुनिया के बादशाह हो , इस तरह चलो मानो कि तुम्हें इस बात की कोई परवाह ही नहीं कि दुनियां का बादशाह कौन है ! खैर, फिलहाल मेरी इस नज्म का लुत्फ़ उठाइये ;
मांग रही भूमि अपने देश की, तुम मुझे यह दान देना,
अबके जो तुम दे सको तो, कोई रीढ़वाला प्रधान देना !
गांधी-सुभाष के इस देश में, ये क्लीबों की फ़ौज कैसी,
शान-बान,आत्म-सम्मान हो, कोई ऐसा मर्दान देना !
सहारे चल नहीं सकती कौमियत,मूक-वधिर रोबोटों के,
रिमोट मत अब और तुम किसी के हाथ श्रीमान देना !
भूखे-अशक्तों की भीड़ को, नोच रहे हैं गिद्ध डालियों से,
अहमियत दे इंसानियत को, इक ऐंसा कदरदान देना !
रिपु लांघ हमारी मेंड़ को, आँगन हमारे न जलसा करे,
बख्शीश का भूखा न हो जो, कोई ऐसा दरबान देना !
और साथ में यह भी समझ लेना कि वह एक बहुत ही भला इंसान था, जिसने न कभी धुम्रपान किया, न दारू पी, न कभी प्यार-व्यार के चक्कर में पडा ! और जब मरा तो बीमा कम्पनी ने क्लेम यह कहकर खारिज कर दिया कि
" He who never lived, cannot die !"
काश..ऐसा होता..
ReplyDeletebhagvan aapki ichha puri kare
ReplyDeleteभारत की रीढ़ हीन राजनीतिक व्यवस्था का बड़ा सजीव चित्र प्रस्तुत किया है आपने इस नज्म में लिखी आपने हैं तदानुभूत हम भी हैं .
ReplyDeleteजब से पीज़ा पास्ता हुए मूल आहार ,इटली से चलने लगा ,सारा कारोबार .
कृपया यहाँ भी पधारें -
"आतंकवादी धर्मनिरपेक्षता "-डॉ .वागीश मेहता ,डी .लिट .,/ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
ram ram bhai/
बृहस्पतिवार, 23 अगस्त 2012
Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle
Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle
समझदार बीमा कंपनियां.
ReplyDeleteसमझदार बीमा कंपनियां.
ReplyDeleteहा हा हा ! बढ़िया .
ReplyDeleteराजनीति शायद किसी की रीढ़ रहने ही नहीं देती ... बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....बीमा कंपनी के तर्क पर -- :):)
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (25-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
फिर सुबह होगी ... यह उम्मीद हम सब को है !
ReplyDeleteमेरा रंग दे बसंती चोला - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी ... पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी मे दिये लिंक पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
jo socha hai aapne vah sab kuchh poora ho sakta hai yadi aam janta kamar kas le kyonki sabse jyada lalchi janta hi hai aur vahi sabka lalach badhati hai..nice presentation.संघ भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteरीढ़ वाला कहाँ से हम लायेंगे
जब रीढ़ निकाल कर लोग
अपने घरों पर संभाल जायेंगे
कोशिश ऎसी करें अबकी बार चलिये
पहले बनायेंगे बाद में रीढं भी लगवायेंगे !
बहुत खूब
ReplyDeleteमांग रही भूमि अपने देश की, इक मुझे वरदान देना,
ReplyDeleteअब के अगर दे सको तो, कोई रीढ़ वाला प्रधान देना ..
वाह क्या बात है ... पर जब तक कांग्रेस का राज है ऐसा प्रधान मिलना तो मुश्किल है जब तक राहुल बाबा नहीं आते ...
बहुत सटीक प्रस्तुति...
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ReplyDeleteसहारे चल नहीं सकती कौमियत,मूक-वधिर रोबोटों के,
रिमोट जब सौंपों किसी को, श्रीमती नहीं, श्रीमान देना !
मौन सिंह नहीं मुखर सिंह देना .....बढ़िया व्यंग्य (व्यंजना ) बेहतरीन रूपकों का इस्तेमाल किया गया है रचना में .....क्लिवों की फौज ,इटली का पास्ता नहीं पंजाब का कुलचा देना
मंगलवार, 4 सितम्बर 2012
जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
यह वही जीवन शैली रोग है जिससे दो करोड़ अठावन लाख अमरीकी ग्रस्त हैं और भारत जिसकी मान्यता प्राप्त राजधानी बना हुआ है और जिसमें आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोस या ब्लड सुगर आम भाषा में कहें तो शक्कर बहुत बढ़ जाती है .इस रोगात्मक स्थिति में या तो आपका अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हारमोन ही नहीं बना पाता या उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है आपका शरीर .
पैन्क्रिअस या अग्नाशय उदर के पास स्थित एक शरीर अंग है यह एक ऐसा तत्व (हारमोन )उत्पन्न करता है जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है और खाए हुए आहार के पाचन में सहायक होता है .मधुमेह एक मेटाबोलिक विकार है अपचयन सम्बन्धी गडबडी है ,ऑटोइम्यून डिजीज है .
फिर दोहरा दें इंसुलिन एक हारमोन है जो शर्करा (शक्कर )और स्टार्च (आलू ,चावल ,डबल रोटी जैसे खाद्यों में पाया जाने वाला श्वेत पदार्थ )को ग्लूकोज़ में तबदील कर देता है .यही ग्लूकोज़ ईंधन हैं भोजन है हरेक कोशिका का जो संचरण के ज़रिये उस तक पहुंचता रहता है ..
शानदार लिखा है गोदियाल जी।
ReplyDeleteगोदियाल जी, आपकी इस कविता को देश भर में गूंजने की जरुरत है... ताकि भारत माँ के सोये हुए बच्चे जाग जायें और उसकी पुकार सुन लें....
ReplyDeleteकठपुतलियों की जगह उसे रीढ़ वाला प्रधान दे दें