...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
चलो तस्वीर ही सही बोलती तो है ..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
दाने दाने को दिखा, कोयलांचल मुहताज ।
ReplyDeleteदान दून दे दनादन, दमके दिल्ली राज ।
दमके दिल्ली राज, घुटे ही करें घुटाला ।
बाशिंदों पर गाज, किसी ने नहीं सँभाला ।
नक्सल भी नाराज, विषैला धुवाँ मुहाने ।
धधके अंतर आग, लुटाते लंठ खदाने ।।
@कविता जी-तस्वीर में भी कोयला और रुपये ही बोल रहे है.....
ReplyDeleteकुँवर जी,
वाह ... सच बोल रही है तस्वीर ...
ReplyDeleteबल्कि ज्यादा जवान बना रही है इन्हें ...
:):)
ReplyDeleteबढ़िया !
ReplyDeleteतस्वीर का सच, देश का सच. और परिणति.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार (06-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
अध्यापकदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
कोलमाल शब्द ही बड़ा जानदार है। कार्टून तो खैर है ही।
ReplyDeleteक्या कोल है दे रहा माल ही माल है
ReplyDeleteसब सही है कहीं नहीं कुछ गोलमाल है !
बेशर्म सरकार है
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