सर्वप्रथम गांधी जयन्ती और शास्त्री जयन्ती पर सभी ब्लोगर मित्रों, पाठ्कों और सभी देशवासियों को हार्दिक शुभ-कामनायें और देश के इन सपूतों को श्रद्धांजली ! आज सुबह एक काव्यात्मक पोस्ट लगाई थी, लेकिन बाद मे रियलाईज हुआ कि मैं इस ब्लोगिंग के चक्कर मे पडकर न सिर्फ़ लेखन के क्षेत्र अपितु व्यावहारिक जीवन मे भी जरुरत से ज्यादा नकारात्मकता की ओर झुकता जा रहा हूं! आज इन महान सपूतों का जन्मदिन भी श्राद्ध मास मे आया है तो और कुछ नही तो हम सच्चे मन से कम से कम इन्हे श्रद्धा सुमन तो अर्पित कर ही सकते है ! अत: मैने अपनी वह पोस्ट डीलीट कर दी ! साथ ही इस पुण्य-पावन अवसर पर यह निश्चय करता हूं कि आइन्दा जहां तक हो पायेगा, सकारात्मक लिखने की कोशिश करुंगा अन्यथा कुछ लिखुंगा ही नही !
अब इस पावन-पवित्र अवसर पर सभी से दो बातें कहुंगा या फिर अपील करना चहुंगा;
पहला यह कि मंदिर-मस्जिद को अपने तुच्छ अहम से जोडकर हम हिंदुस्तानियों ने आपस मे ही एक दूसरे का बहुत कत्लेआम कर लिया ! मंदिर और मस्जिद दोनो ही उपरवाले के स्मरण के लिये हम लोग इस्तेमाल करते है, अगर बाबर मूर्ख था, तो इसका यह मतलब कदापि नही निकलना चाहिये कि हम आगे भी वही मूर्खता करते जाये ! अब जब कोर्ट का फैसला आ ही गया है और इस बात के हिंट मिल गये है कि बाबरी मसजिद के नीचे कोई स्ट्रक्चर दबा पडा है, तो मैं दोनो पक्षों से यह अपील करुंगा कि सुप्रिम कोर्ट जाकर विवाद को बढाने की वजाये, मिल बैठकर अब उस जमीन के टुकडे को पुरातत्व विभाग के हवाले किया जाये, और खुदाई के बाद यदि उसके नीचे कोई मंदिर का प्राचीन ढांचा मिले तो उसे तोडकर नया मंदिर बनाने के वजाये राष्ट्रीय धरोहर के रूप मे रखा जाये ! जो हमारी आने वाली पीडियों को यह दर्शायेगा कि पुरातन काल मे विदेशी आक्रांताओ ने कैसे इस देश की संस्क्रति को मिटाने की कोशिश की! और उस जगह से कुछ हटकर किसी उप्युक्त जगह पर भब्य मंदिर भी बने और मस्जिद भी, और इन दोनो को बनाने का काम हिन्दु संगठन करे, इस बात की घोषणा हिन्दुओं को खुदाई से पहले करनी चाहिये कि वे अयोध्या मे खुद मस्जिद बनायेगे, ताकि आगे चलकर साम्प्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता की यह एक मिशाल बन सके ! अगर नही सुधरे तो आने वाली शिक्षित पीढियां कभी हमे माफ नही करेंगी, और जरा सोचिये कि यदि सुप्रिम कोर्ट भी हाई कोर्ट के फैसले को ही कायम रखता है, और उसके बाद सचमुच मे उसके नीचे भगवान राम का प्राचीन मंदिर मिलता है, तो कहीं मुह दिखाने लायक नही रहोगे तब !
दूसरी अपील, कल से हमारे राष्ट्रीय गौरव के लिये कुछ समय पहले तक चुनौती बने कौमनवेल्थ खेलों का कल से दिल्ली मे शुभारम्भ है! भूतकाल मे जो हुआ सो हुआ, लेकिन अब यह संतोष की बात है कि कुछ दिनो से सब कुछ ठीक चल रहा है! किसी विदेशी खिलाडी के किसी तरह की शिकायत के कोई संकेत नही है ! आईये, हम सभी मिलकर इसे एक सफ़ल आयोजन बनने का अपने व्यक्तिगत स्तर पर जो हो सके प्रयास करे ! कल जब उद्धघाटन समारोह हो तो दिल्ली ही नही बल्कि पूरा देश इस जश्न से सरागोश मिले ! घर, सड्क, शहर सभी कौमनवेल्थ के रंग मे रंगा मिले ! और मिलकर हम भारतवासी इस खेल के एक सफ़ल आयोजन बनने की भगवान से प्रार्थना करें !
एक बार पुन: गांधी जयंति की हार्दिक शुभकामनाये !
अब इस पावन-पवित्र अवसर पर सभी से दो बातें कहुंगा या फिर अपील करना चहुंगा;
पहला यह कि मंदिर-मस्जिद को अपने तुच्छ अहम से जोडकर हम हिंदुस्तानियों ने आपस मे ही एक दूसरे का बहुत कत्लेआम कर लिया ! मंदिर और मस्जिद दोनो ही उपरवाले के स्मरण के लिये हम लोग इस्तेमाल करते है, अगर बाबर मूर्ख था, तो इसका यह मतलब कदापि नही निकलना चाहिये कि हम आगे भी वही मूर्खता करते जाये ! अब जब कोर्ट का फैसला आ ही गया है और इस बात के हिंट मिल गये है कि बाबरी मसजिद के नीचे कोई स्ट्रक्चर दबा पडा है, तो मैं दोनो पक्षों से यह अपील करुंगा कि सुप्रिम कोर्ट जाकर विवाद को बढाने की वजाये, मिल बैठकर अब उस जमीन के टुकडे को पुरातत्व विभाग के हवाले किया जाये, और खुदाई के बाद यदि उसके नीचे कोई मंदिर का प्राचीन ढांचा मिले तो उसे तोडकर नया मंदिर बनाने के वजाये राष्ट्रीय धरोहर के रूप मे रखा जाये ! जो हमारी आने वाली पीडियों को यह दर्शायेगा कि पुरातन काल मे विदेशी आक्रांताओ ने कैसे इस देश की संस्क्रति को मिटाने की कोशिश की! और उस जगह से कुछ हटकर किसी उप्युक्त जगह पर भब्य मंदिर भी बने और मस्जिद भी, और इन दोनो को बनाने का काम हिन्दु संगठन करे, इस बात की घोषणा हिन्दुओं को खुदाई से पहले करनी चाहिये कि वे अयोध्या मे खुद मस्जिद बनायेगे, ताकि आगे चलकर साम्प्रदायिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता की यह एक मिशाल बन सके ! अगर नही सुधरे तो आने वाली शिक्षित पीढियां कभी हमे माफ नही करेंगी, और जरा सोचिये कि यदि सुप्रिम कोर्ट भी हाई कोर्ट के फैसले को ही कायम रखता है, और उसके बाद सचमुच मे उसके नीचे भगवान राम का प्राचीन मंदिर मिलता है, तो कहीं मुह दिखाने लायक नही रहोगे तब !
दूसरी अपील, कल से हमारे राष्ट्रीय गौरव के लिये कुछ समय पहले तक चुनौती बने कौमनवेल्थ खेलों का कल से दिल्ली मे शुभारम्भ है! भूतकाल मे जो हुआ सो हुआ, लेकिन अब यह संतोष की बात है कि कुछ दिनो से सब कुछ ठीक चल रहा है! किसी विदेशी खिलाडी के किसी तरह की शिकायत के कोई संकेत नही है ! आईये, हम सभी मिलकर इसे एक सफ़ल आयोजन बनने का अपने व्यक्तिगत स्तर पर जो हो सके प्रयास करे ! कल जब उद्धघाटन समारोह हो तो दिल्ली ही नही बल्कि पूरा देश इस जश्न से सरागोश मिले ! घर, सड्क, शहर सभी कौमनवेल्थ के रंग मे रंगा मिले ! और मिलकर हम भारतवासी इस खेल के एक सफ़ल आयोजन बनने की भगवान से प्रार्थना करें !
एक बार पुन: गांधी जयंति की हार्दिक शुभकामनाये !