Monday, June 6, 2011

हे राम ! (देव)

देश के भीतर और बाहर हर क्षेत्र में सिर के ऊपर तक निकल चुके भ्रष्टाचार के दलदल की तरफ समूचे देश का ध्यान आकर्षित करने और निकृष्ट और भ्रष्ट सरकार को इस पर लगाम लगाने हेतु मजबूर करने के लिए एक सार्थक पहल शुरू की गई थी ! मगर , जैसा की इस देश का इतिहास(दुर्भाग्य) रहा है कि राज सत्ता पर काबिज कौरवों ने शकुनी और जयचंदों की मदद से इसे राजनीति और व्यवसाय, जाति और धर्म, हिन्दू और मुस्लिम, आर एस एस और धर्मनिरपेक्ष तथा अन्ना हाजरे और बाबा रामदेव के पांसों के बीच कुशलता से उलझाकर रख दिया है! कुछ दिनों से अधिकाश पब्लिक फोरमों पर लोगो की इस बारे में राय जानने के लिए नजर रखे हुए था, और यह बात थोड़ा अखरी कि वजाए भ्रष्टाचार और कालेधन की विकराल समस्या पर ध्यान केन्द्रित करने के हमारे अल्पसंखयक वर्ग के लोग इसे सिर्फ एक राजनैतिक और धार्मिक मुद्दे के तौर पर ले रहे है!

 
अफ़सोस तब और बढ़ जाता है, जब देखता हूँ कि उच्च शिक्षित कहे जाने वाले हमारे प्रबुद्ध समाज के लोग भी इसे एक राजनैतिक फायदे के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश करने लगते है, और बाबा रामदेव को उनके योग के क्रियाकलापों तक सीमित रहने की सलाह देने में ज़रा भी देरी नहीं करते ! इन  मति-भ्रष्टों को तब इतना भी ध्यान नहीं रहता कि डाकू वाल्या, जो जन्मजात डाकू थे, उन्हें भी इनकी ही तरह तत्कालीन ऋषी-मुनियों ने यह सलाह दी होती कि तुम्हारा पेशा चोरी और उठाईगिरी है, तुम सिर्फ और सिर्फ उस पर ही अपना ध्यान केन्द्रित रखो, तो हम लोग महिर्षी वाल्मिकी रचित महान ग्रन्थ रामायण कहाँ से पढ़ते ? गांधी जी को उनके घर और देश वालों ने उस समय यह सलाह दी होती कि तुम एक वैरिस्टर हो, कानूनी दांव-पेंचों तक ही अपने को सीमित रखो तो उन्हें महात्मा और राष्ट्रपिता की उपाधि कहाँ से हासिल होती ?

 
खैर, बाबा रामदेव और अन्ना हजारे लाख भ्रष्ट हो, और अपनी प्रसिद्धि के लिए यह सब पहल कर रहे हो, मगर किसी ने तो पहल की और उनकी पहल है तो देश हित में! वाल्मिकी ने रामायण लिखते वक्त कहीं तो इस बात से प्रोत्साहन लिया होगा कि इतना महान ग्रन्थ अगर वह लिखने में कामयाव हो गए तो दुनिया में उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो जाएगा ! ३० से ४५ लाख हजार करोड़ रूपये का काला धन अगर देश में आ गया तो यह देश कहाँ होगा, देश के किसी भी नागरिक के पास किसी चीज का अभाव नहीं होगा ! मगर इन जयचंदों को डर  तो यही सताता है कि अगर ऐसा हो गया तो देश में नक्सलवाद की हांडी, और धार्मिक कट्टरवाद की भट्टी पर रोटी सेंकना तो इनके लिए दूर की कौड़ी हो जायेगी , और तो और कुत्ता भी इन्हें एक लैम्पपोस्ट की तरह इस्तेमाल करेगा ! आज कौंग्रेस को आचार्य बाल-कृष्णा एक अपराधी नजर आने लगे है, कलतक ये क्या सो रहे थे ? नहीं, मकसद शायद कुछ और है ! बाबा रामदेव के मुह पर ताला लगाने के लिए बाल-कृष्णा के आपराधिक चरित्र की दुहाई देकर पंतजली पर छापा मारने का बहाना तैयार करना ! अगर बाबा इतना ही डूवियस चरित्र का था तो इनके चार मंत्री एयरपोर्ट पर झख मारने गए थे ?

 
रामलीला मैदान में इकट्ठा हजारों की भीड़ एक नेक इरादे से एकत्रित हुई थी, इसलिए ऊपरवाले ने भी उनका पूरा साथ दिया और कोई अनहोनी नहीं हुई ! मगर इस सरकार ने जिस तरह आधी रात को पांच हजार पुलिस वाले बिना यह देखे कि वहां बड़ी तादात में बच्चे और स्त्रियाँ मौजूद थी जो भगदड़ की शिकार हो सकती थी, आंसू गैस के गोले छोड़ते वक्त टेंट में आग लग सकती थी और हजारों लोग आधी रात के वक्त वहाँ सो रहे थे, कुछ भी हो सकता था, भेजे वह सर्वथा निंदनीय है  ! इस देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि वोट बैंक के खातिर यहाँ साधू, साध्वियों को तो आधी रात को भी प्रताड़ित किया जाता है, मगर दुश्मन देश के राक्षसों, अफजल गुरु और कसाब को करोड़ों रुपये खर्च कर जवाई (सन-इन-लौ ) की तरह रखा जाता है ! वैसे भी इनका यह इतिहास रहा है कि they dont need excuses to divide and rule... they create excuses.

देश भगवान् भरोसे है, इधर भ्रष्टाचार के विरुद्ध यह आग सुलग रही है और उधर हमारे प्रधानमंत्री जी एक वक्तव्य देने से भी कतराते है ! गुजरात दंगो के बाद इस देश के स्वार्थी, भ्रष्ट, कायर और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष माफिया ने दुनियाभर की कहानियाँ गडकर, देश के कानूनों की दुहाई देकर इस बिनाह पर कि गुजरात का मुख्यमंत्री होने के नाते गोधरा के बाद नरेंद्र मोदी का समय पर उचित कार्यवाही न करना उनपर गुजरात दंगो को भड़काने और होने देने का नैतिक दायित्व बनता है, ये लोग जमीन-आसमान एक करके, चिल्ला-चिल्लाकर उन्हें गिरफ्तार कर उनपर कानूनी कार्यवाही करने की मांग करते रहे है लेकिन, अगर इनके इसी विचार को उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाया जाए तो हमें यह भी स्वीकार कर लेना चाहिए कि प्रधानमंत्री होने के नाते मनमोहन सिंह और पार्टी अध्यक्ष होने के नाते सोनिया गांधी 2G और राष्ट्रमंडल घोटालों के लिए जिम्मेदार है, क्योंकि यह सब कुछ इन्ही की छत्र-छाया में घटित हुआ है! एक ज़माने में इनके मंत्रालय के साफ सुथरी छवि के कहे जाने वाले मारन  ताज़ा  उदहारण है ! अगर मामला मीडिया में न उछलता और सुप्रीम कोर्ट सीधे हस्त:क्षेप न करता तो सब कुछ ज्यों का त्यों ही चल रहा था! यहाँ तक कि दिल्ली में तो इन्होने सुंग्लू कमेटी की रिपोर्ट को भी दरकिनार कर दिया ! अगर ये भ्रष्ट यह सोचते है कि मुख्यमंत्री होने के नाते नरेंद्र मोदी जिम्मेदार है और उन्हें सलाखों के पीछे होना चाहिए तो इन अरबों-खरबों  के घोटालों के लिए एक प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी की अध्यक्ष होने के नाते मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी पर भी वही नियम लागू होना चाहिए था !

प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।