धसगी जोशीमठ, हे खाली करा झठ,
भागा सरपट, हे धसगी जोशीमठ।
नी रै अपणु वू, ज्यूंरा कु ह्वैगि घौर,
नी खोण ज्यू-जान, तै कूड़ा का भौर,
जिंदगी का खातिर, छोडिद्यावा हठ,
भागा सरपट, हे धसगी जोशीमठ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
धसगी जोशीमठ, हे खाली करा झठ,
भागा सरपट, हे धसगी जोशीमठ।
नी रै अपणु वू, ज्यूंरा कु ह्वैगि घौर,
नी खोण ज्यू-जान, तै कूड़ा का भौर,
जिंदगी का खातिर, छोडिद्यावा हठ,
भागा सरपट, हे धसगी जोशीमठ।
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।