ना ही अभिमान करती, ना स्व:गुणगान गाती,
ना ही कोई घोटाला करती, न हराम का खाती,
स्वाभिमानी है, खुदगर्ज है, खुल्ले में न नहाती,
इसीलिए हमारी भैंस, कभी पानी में नहीं जाती।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
ना ही अभिमान करती, ना स्व:गुणगान गाती,
ना ही कोई घोटाला करती, न हराम का खाती,
स्वाभिमानी है, खुदगर्ज है, खुल्ले में न नहाती,
इसीलिए हमारी भैंस, कभी पानी में नहीं जाती।
कोटि-कोटि हम सबका नमन तुमको,
आज,बढ़ा दिया है देश का मान तूने।
पहुंचा के विक्रम को 'चंद्र-दक्षिण ध्रुव',
ऐ हमारे 'इसरो' के प्यारे, 'चंद्रयान' तूने।।🙏🙏
धसगी जोशीमठ, हे खाली करा झठ,
भागा सरपट, हे धसगी जोशीमठ।
नी रै अपणु वू, ज्यूंरा कु ह्वैगि घौर,
नी खोण ज्यू-जान, तै कूड़ा का भौर,
जिंदगी का खातिर, छोडिद्यावा हठ,
भागा सरपट, हे धसगी जोशीमठ।
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...