बस, आज
कुछ नहीं कहने का
क्योंकि आज अवसर है
शूरवीरो की पावन सरजमीं के
बंदीगृह के बंदियों से,
कुछ सीख लेने का ।
कुछ नहीं कहने का
क्योंकि आज अवसर है
शूरवीरो की पावन सरजमीं के
बंदीगृह के बंदियों से,
कुछ सीख लेने का ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
कोटि-कोटि हम सबका नमन तुमको, आज,बढ़ा दिया है देश का मान तूने। पहुंचा के विक्रम को 'चंद्र-दक्षिण ध्रुव', ऐ हमारे 'इसरो' के प्...