बस, आज
कुछ नहीं कहने का
क्योंकि आज अवसर है
शूरवीरो की पावन सरजमीं के
बंदीगृह के बंदियों से,
कुछ सीख लेने का ।
कुछ नहीं कहने का
क्योंकि आज अवसर है
शूरवीरो की पावन सरजमीं के
बंदीगृह के बंदियों से,
कुछ सीख लेने का ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
लगे है दिल्ली दानव सी, उन्हें जन्नत लगे कराची है, तवायफ बनकर लेखनी जिनकी, भरे दरवारों में नाची है। हैं साहित्य मनीषी या फिर वो अपने हित के ...
एकदम सटीक
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना....
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