बस, आज
कुछ नहीं कहने का
क्योंकि आज अवसर है
शूरवीरो की पावन सरजमीं के
बंदीगृह के बंदियों से,
कुछ सीख लेने का ।
कुछ नहीं कहने का
क्योंकि आज अवसर है
शूरवीरो की पावन सरजमीं के
बंदीगृह के बंदियों से,
कुछ सीख लेने का ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
बडी शिद्दत से उछाला था हमने दिल अपना उनके घर की तरफ, लगा,जाहिर कर देंगे वो अपनी मर्जी, तड़पकर उछले हुए दिल पर हमारे। रात भर ताकते रहे यही स...
एकदम सटीक
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना....
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