Thursday, January 31, 2013

नेता चालीसा


देशवासियों तुम हमें सत्ता देंगे
तो हम तुम्हें गुजारा भत्ता देंगे।

सारे भूखे-नंगों की जमात को, 
बिजली-पानी,कपड़ा-लत्ता देंगे। 


विकास के वादे पे शक करलो,  
विनाश,भ्रष्टाचार अलबत्ता देंगे।  

तुम हमको शहद खिलाओ,हम  
तुम्हें मधुमक्खी का छत्ता देंगे।  

नक़द रक़म मुंतक़ली सियासी,                      मुंतक़ली =अंतरण  
इंतिख़ाबात तुरुफ का पत्ता देंगे।                   इंतिख़ाबात =चुनाव 

टहलुआ बन हमारे तलवे चाटो,                   टहलुआ=गुलाम 
वरना बता तुम्हें हम धत्ता देंगे।    

12 comments:

  1. क्या बात है, बहुत खूब
    सटीक व्यंग्य ..

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  2. यह तो है ही गोदियाल साहब.

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  3. करारा व्यंग्य |
    पहला शब्द "तुम" के जगह "आप" हो जाए तो पंक्ति सही लगेगी |

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  4. अरे,आपने तो सारी पोल खोल दी !

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  5. सर्वप्रथम टिपण्णी के लिए आप सभी का आभार! @ ई. प्रदीप कुमार साहनी जी, कविता के भावो में "आप" जैसे शब्द को डालने की गुंजाइश नहीं थी इसलिए तुम शब्द इस्तेमाल किया है। दूसरे शब्दों में राज सत्ता वाले अपने गुलामों को "आप" शब्द शायद ही इस्तेमाल करते हो ! :) खैर, सजेशन आपका अच्छा था।

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  6. मुस्कुराते हुए आपने लगाया जोर का चाटा
    इसमें किसी को कोई नहीं है घाटा.
    New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
    New post तुम ही हो दामिनी।

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  7. बहुत खूब तंज किया है सर आज के राजनीतिक प्रबंध पर .

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  8. तुम हमको शहद खिलाओ,हम
    तुम्हें मधुमक्खी का छत्ता देंगे।


    :):) बहुत बढ़िया ... यही होता है ।

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  9. राजनीति का सही रूप रंग ढांचा खींच दिया ...

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  10. बहुत भिगो भिगोकर मारा है. वैसे जरूरत भी इसी की की है.

    रामराम.

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।