फिर से सत्ता हथियाने के .जो देख रहे हैं ख्वाब,
लादेन उनके "जी" हुए, हाफिज सईद हुए "सहाब"।
हाफिज सईद हुए सहाब, हिन्दू हो गए हैं आतंकी,
ऊपर वाला ही जाने कब खत्म होगी यह नौटंकी।।
फूक में जो सपूत चढ़ाया, बोल गया कुछ यूं धाँसू,
सुनके उसके बोल, माँ की आँखों में आ गए आंसू।
माँ की आँखों में आये आंसू, चिंतन खत्म हुआ सारा,
मुझे मिला क्या इसी चिंतन में है आमजन बेचारा।।
स्वार्थसिद्धि को अगर हमने, गधे बनाए बाप न होते,
भाग्य-विधाता मंत्री बने, आज अंगूठा-छाप न होते।
आज अंगूठा-छाप न होते, किया धरा सब अपना है,
लोकतंत्र में सच्चा स्वराज पाना, बन गया सपना है।।
वाह वाह, बिल्कुल खरी खरी.
ReplyDeleteरामराम.
शुक्रिया ताऊ जी इस हौंसला अफजाई के लिए ! Honest people don't know how to mince the word.
ReplyDeleteवाकई जबरदस्त !!
ReplyDeleteवाह रे वाह..
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteलाजबाब,सार्थक प्रस्तुति,,,!
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,
माधौ संघी करें ट्विट, दिग्गी करें कमेन्ट ।
ReplyDeleteसाहब हाफिज सईद जी, ईष्ट सेंट-पर-सेंट ।
ईष्ट सेंट-पर-सेंट, हमारे स्वामी आका ।
पार्टी लाइन यही, खींचते जाएँ खाका ।
शहनवाज-गडकरी, पार्टी यह आतंकी ।
प्यादे ऊंट वजीर, करे रानी नौटंकी ।।
तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
ReplyDeleteकाबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे ।
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।।
भावनात्मक अभिव्यक्ति करें अभिनन्दन आगे बढ़कर जब वह समक्ष उपस्थित हो . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
ReplyDeleteपरचेत जी ये परिंदे जो हवा में सनसनी घोले हुए हैं एक और पाकिस्तान बनवाना चाहते हैं .ये सब ताली बजाने वाले चापलूस हैं .इसनकी साजिशें नाकाम करनी होंगी .
ReplyDeleteपरचेत जी ये परिंदे जो हवा में सनसनी घोले हुए हैं एक और पाकिस्तान बनवाना चाहते हैं .ये सब ताली बजाने वाले चापलूस हैं .इसनकी साजिशें नाकाम करनी होंगी .
ReplyDeleteram ram bhai
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सोमवार, 21 जनवरी 2013
चिंतन शिविर का ढोंग
http://veerubhai1947.blogspot.in/
प्रभावशाली ,
ReplyDeleteजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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एक तरह से देखा जाये तो ये हितचिन्तक हैं, लेकिन तब जब हमारी आँखें खुलें. अन्यथा गुलामी के कीटाणु हमें कुछ सोचने दें तब न.
ReplyDeleteजब पाकिस्तानियों ने दो सैनिकों को अंग-भंग कर दिया तो देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई, कुछ विद्वान लोग ऐसे व्यक्तियों को वारमांगर कहने लगे. ऐसे में अगर क्रान्तिकारियों को कोई आतंकवादी कहने लगे तो आश्चर्य कैसा.
धो धो के लपेटा है ...
ReplyDeleteक्या बात क्या बात ... क्या बात ...
"मजबूरी में ठीक कहूंगा ,
ReplyDeleteकैसे हैं हालात न पूछो .
देने वाला अपना ही था ,
किसने दी सौगात न पूछो ."
-प्रसन्न वदन चतुर्वेदी
शिंदे -,दिग्विजयों की ,अब औकात न पूछो ,
बद्जातों की कौम न पूछों
पुरखों का इनके इतिहास न पूछों .
आभार
ReplyDeleteआपकी महत्वपूर्ण टिप्पणियों का .
वाह जी वाह
ReplyDeleteवाह जी वाह ...
ReplyDeleteएकदम सटीक अभिव्यक्ति।।।।
:-)
बहुत खूब..
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