Saturday, January 5, 2013

एक खोती की अभिलाषा !



मुझे चाहिए इक ऐसा खोता, 
जब मैं चांहू तब उसे जोता।

ढेंचू-ढेंचू करता वो दौड़ा आये,
जब दूं समीप आने का न्योता।

    मुझे चाहिए इक ऐसा खोता.....  

कूल रहे  हमेशा, जहां तक हो, 
किसी बड़े स्कूल से स्नातक हो, 
बोल न बोले कोई दिल चुभोता, 
मुझे चाहिए  इक ऐसा खोता.....   

ऋतु मुताबिक गाना गाना जाने,
हर व्यंजन,पकवान पकाना जाने,
कभी भी ऐन वक्त पे मिले न सोता, 
मुझे चाहिए  इक ऐसा खोता.....  

11 comments:

  1. आपने तो कुछ पंक्तियों में सब कुछ बखान कर दिया !!

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  2. सबको इस तरह का ही खोता मिले..

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  3. आये-हाय हाय ... बहुत खूब मज़ा आ गया ..

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  4. दुआ है आपकी इच्छा पूरी हो..

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  5. काश सारे ऐसे ही खोते हो जायें. बहुत जोरदार.

    रामराम.

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  6. आत्म निरीक्षण करने पर मजबूर कर दिया। :)

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  7. और देश को चाहिए कैसा "खोता"?

    हा हा हा .....मजेदार!.... शुक्रिया।

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  8. ऐसे अभिलाषित खोते आदर्श गृहस्थ माने जाते हैं:)

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  9. ढेंचू-ढेंचू कर दौड़ा-दौड़ा आये,
    जब दूं उसे आने का न्योता ...

    बहुत खूब ... मज़ा आ गया ... काश की सब खोते ऐसे ही होते ...

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  10. सही बात है, खोते जैसा कुछ भी नहीं

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  11. सुन्दर प्रस्तुति। सुप्रभात...!

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।