मुझे चाहिए इक ऐसा खोता,
जब मैं चांहू तब उसे जोता।
ढेंचू-ढेंचू करता वो दौड़ा आये,
जब दूं समीप आने का न्योता।
जब दूं समीप आने का न्योता।
मुझे चाहिए इक ऐसा खोता.....
कूल रहे हमेशा, जहां तक हो,
किसी बड़े स्कूल से स्नातक हो,
बोल न बोले कोई दिल चुभोता,
मुझे चाहिए इक ऐसा खोता.....
ऋतु मुताबिक गाना गाना जाने,
ऋतु मुताबिक गाना गाना जाने,
हर व्यंजन,पकवान पकाना जाने,
कभी भी ऐन वक्त पे मिले न सोता,
मुझे चाहिए इक ऐसा खोता.....
कभी भी ऐन वक्त पे मिले न सोता,
मुझे चाहिए इक ऐसा खोता.....
आपने तो कुछ पंक्तियों में सब कुछ बखान कर दिया !!
ReplyDeleteसबको इस तरह का ही खोता मिले..
ReplyDeleteआये-हाय हाय ... बहुत खूब मज़ा आ गया ..
ReplyDeleteदुआ है आपकी इच्छा पूरी हो..
ReplyDeleteकाश सारे ऐसे ही खोते हो जायें. बहुत जोरदार.
ReplyDeleteरामराम.
आत्म निरीक्षण करने पर मजबूर कर दिया। :)
ReplyDeleteऔर देश को चाहिए कैसा "खोता"?
ReplyDeleteहा हा हा .....मजेदार!.... शुक्रिया।
ऐसे अभिलाषित खोते आदर्श गृहस्थ माने जाते हैं:)
ReplyDeleteढेंचू-ढेंचू कर दौड़ा-दौड़ा आये,
ReplyDeleteजब दूं उसे आने का न्योता ...
बहुत खूब ... मज़ा आ गया ... काश की सब खोते ऐसे ही होते ...
सही बात है, खोते जैसा कुछ भी नहीं
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति। सुप्रभात...!
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