बाजुओं में अपनी, तू बल जगा ,
किसान का वंशज है, हल लगा।
फटकने न दे तन्द्रा पास अपने,
आलस्य निज तन से पल भगा।
किसान का वंशज है, हल लगा।।
चिराग उपज का न कभी बुझे,
पुकारती है खेत की माटी तुझे,
अंकुरित आशा का वो बीज हो,
जिसे दे न पाये कभी जल दगा।
किसान का वंशज है, हल लगा।।
समर्थ है शख्शियत,ये सिद्ध कर ,
परिश्रम से खुद को समृद्ध कर ,
तन नजर आये न मलीन झगा,
सीस पे चमके सदा शीतल पगा ,
किसान का वंशज है, हल लगा।।
जोत का ध्येय दिल में पाले रख,
अन्न-कण श्रेष्ट को संभाले रख,
कर बंजरों में भी वो प्रजननक्षम,
बने जो तेरा खुद वसुधा तल सगा।
किसान का वंशज है, हल लगा।।