इस मानसून की विदाई पर,
जो कुछ मौसमी प्रेम बीज तू ,
मेरे दिल के दरीचे मे बोएगी,
यूं तो खास मालूम नहीं , मगर
यदि वो अंकुरित न हुए तो
इतना पता है कि तू बिजली बुझाकर,
अ़ंधेरे मे फूट-फूट के रोएगी।
#बरसातीप्यार 😀😀
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
इस मानसून की विदाई पर,
जो कुछ मौसमी प्रेम बीज तू ,
मेरे दिल के दरीचे मे बोएगी,
यूं तो खास मालूम नहीं , मगर
यदि वो अंकुरित न हुए तो
इतना पता है कि तू बिजली बुझाकर,
अ़ंधेरे मे फूट-फूट के रोएगी।
#बरसातीप्यार 😀😀
कुछ प्यार के इजहार मे हैं
कुछ पाने के इंतजार मे हैं,
फर्क बस इतना है,ऐ दोस्त!
कि तुम इस दयार मे हो,
और हम उस दयार मे हैं।
मुहब्बत मे डूबे हुए को,
बीमार कहती है ये दुनिया,
कुछ स्वस्थ होकर जहां से गये,
कुछ अभी उपचार मैं हैं।
इस जद्दोजहद मे शिरकत
सिर्फ़, तुम्हारी ही नहीं है,
मंजिल पाने को सिद्दत से,
हम भी कतार मे हैं।
हमें नसीब हुआ ही कब था,
वक्त गैरों से विरक्त होने का?
एहसानों के सारे बोझ,
बस, यूं कहें कि उलार मे हैं।
बेरहमी से ठुकराई गई,जबकि
सच्ची थी उलफ़त हमारी ,
और नफरतों के सौदागर,
अब उनके दुलार मे हैं।
ऐसे अनगिनत महानुभावों से,
हम खुद भी रुबरु हुए जिन्होंने,
पहले सिर्फ़ अपना भला किया,
और अब शामिल परोपकार मे हैं।
'उसूल' तो कुछ थे ही नहीं,
जिनके दूर हो जाने का डर सताता,
सिर्फ़, मेरे ख्वाबों का अनुसरण ही,
बता सकता है, मुझे रास्ता।
इतना तो न बहक पप्पू , बहरे ख़फ़ीफ़ की बहर बनकर, ४ जून कहीं बरपा न दें तुझपे, नादानियां तेरी, कहर बनकर।