Saturday, August 20, 2022

बादल फटे पहाड पर...

 

पहाड़ों की खुशनुमा, 

घुमावदार सडक किनारे,

ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का 

मसाला मिलाकर,

'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' 

मजदूरों के सहयोग से, 

उसने वो जो घर बनाया था कभी,

सुना है कि आज, उस घर पर इंद्रदेव 

इतने मुग्ध हुए कि उन्होंने 

बादलों से जाकर कहा कि फटो 

और उस मकां को बहाकर

 मेरे पास ले आओ।

8 comments:

  1. ओह, ये तो ज्यादती है इंद्रदेव की ।।

    ReplyDelete

  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२२-०८ -२०२२ ) को 'साँझ ढलती कह रही है'(चर्चा अंक-१५२९) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    ReplyDelete
  3. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  5. बहुत शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाएं पठनीय सुंदर।
    Free Download Diwali Image

    ReplyDelete

सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...