ना ही अभिमान करती, ना स्व:गुणगान गाती,
ना ही कोई घोटाला करती, न हराम का खाती,
स्वाभिमानी है, खुदगर्ज है, खुल्ले में न नहाती,
इसीलिए हमारी भैंस, कभी पानी में नहीं जाती।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
समझ पाओ तो यूं समझिए कि तुम्हारा आई कार्ड, निष्कृयता नाजुक, और निष्पादन हार्ड। ( यह चार लाइनें पितृपक्ष के दरमियां लिखी थी पोस्ट करना भू...
वाह
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDelete