तमाम जंगल के बीहड़ों में जो कुछ घटित हो रहा हो, उससे क्या उस जंगल का राजा अंविज्ञ रह सकता है? या फिर यूं कहा जाए कि यदि उसे उसके राज्य में अन्याय होता दिखाई न दे, तो फिर क्या ऐसे नजरों से लाचार प्रतिनिधि को राजा बने रहने का कोई हक़ है? यदि उसे हमेशा किसी तीसरे ने ही आकर जगाना है, तो पूरे जंगलात के लिये यह निश्चिततौर पर एक बड़ी चिंता का विषय है। और इससे भी महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या उसे जगाने वाला भी वाकई ईमानदार प्रयास कर रहा है, या सिर्फ खानापूर्ति, ताकि सिर्फ सुहानुभूति बटोरने के लिए जंगल की तमाम वादी की आँखों मे धूल झोंक सके ?
और ठीक इसी सन्दर्भ में श्रीमती सोनिया गांधी के उस पत्र को भी रखा जा सकता है, जो उन्होंने कल इस देश के प्रधानमन्त्री श्री मनमोहन सिंह को लिखा और जिसमे उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि आईएएस अधिकारी सुश्री दुर्गा शक्ति के साथ कोई अन्याय न हो। उत्तर प्रदेश में बैठे चालाक लोग तो मानो इसका पहले से ही सटीक जबाब तैयार रखे बैठे थे, और उन्होंने भी तुरंत ही पूछ लिया कि क्या श्रीमती गांधी ने ऐसे ही आदेश अपने दामाद के जमीनी विवाद के सिलसिले में उस वक्त भी प्रधानमंत्री को दिए थे जब हरियाणा के एक आईएएस अधिकारी श्री खेमका के साथ अन्याय हो रहा था? और उससे भी अहम् सवाल यह कि मान लीजिये कि यूपी सरकार केंद्र की नहीं सुनती तो क्या केंद्र, मुलायम सिंह से बैर मोल ले सकती है ?
नोएडा में एक ख़ास सम्प्रदाय के लोग सुश्री दुर्गा शक्ति के खिलाफ नारे लगाते और प्रदर्शन करते हुए ! |
खैर, इस देश के राजनेताओं की तो बात ही कुछ और है, और देखा जाए तो सही मायने में आजादी सिर्फ चंद उन बेशर्म , कुटिल और धूर्त समाजविरोधी तत्वों को ही मिली है, जिनका स्थान किसी जागरूक जनता और न्यायसंगत शासन के तहत सिर्फ और सिर्फ जेल होता है। लेकिन ताज्जुब तो मुझे इस मूर्ख जनता पर होता है, जो यह भी नहीं समझ पाती कि ऐसे तुच्छ लोगों का साथ देकर वे आखिरकार हासिल क्या कर रहे है, बुरा किसका कर रहे है, गड्डे किसके लिए खोद रहे है? मान लीजिये कि कोई एक छोटा सा राज्य है जहां की जनता गरीब है, और दो संप्रदायों में बंटी है। एक सम्प्रदाय के लोग नौकरीपेशा और व्यवसायी हैं और दूसरे सम्प्रदाय के लोग कृषक और ठेलियों में सब्जी इत्यादि बेचने वाले है। परिणामत: नौकरीपेशा समुदाय की क्रय-शक्ति भी कमजोर है और वे मुश्किल से सिर्फ बहुत आवश्यक सामान ही खरीद पाते है, इससे कृषक और ठेलियों पर कारोबार करने वाले समुदाय की बिक्री भी सीमित है। अब अचानक एक अच्छा शासन होने की वजह से वह राज्य प्रगति करने लगता है, व्यवसायियों का व्यापार बढने लगता है और नौकरीपेशा लोगो की तनख्वाह में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी हो जाती है। तो निश्चिततौर पर उनकी क्रय-शक्ति बढ़ने से वे अधिक मात्रा में और भिन्न-भिन्न प्रकार की सब्जियां और फल खरीदने लगेंगे। इसके परिणामस्वरूप बिक्री बढ़ने से उन कृषको, छोटे फल और सब्जी बिक्रेताओं की आय और रहन-सहन भी निश्चित तौर पर बढ़ेगा, जो अबतक बड़ी मुश्किल से ही दो जून की रोटी जुटा पाते थे।
कुल मिलाकर बात यह कि बजाये चोर-गुंडे-मवालियों का साथ देने के, उन बातों का साथ दे जिससे देश प्रगति करेगा, तो प्रत्यक्ष हो अथवा परोक्ष, भला तो सभी का होना है। लेकिन ऐसी बाते तो सिर्फ बुद्धिमान लोगो को ही समझाई जा सकती है, बेवकूफों को नहीं। हमारी धार्मिक किताबें हमें बहुत अच्छी-अच्छी बाते सिखाती है कि झूठ मत बोलो, स्त्री पर अत्याचार मत करो, इन्साफ का साथ दो, किसी जबरन कब्जाई भूमि पर कोई धार्मिक-स्थल मत बनाओ, हिंसा मत फैलाओ इत्यादि-इत्यादि। लेकिन कहते तो हम लोग अपने को इन पवित्र ग्रंथों का अनुयाई है और करते इनके ठीक विपरीत है, वह भी एक पवित्र महीने में। जबकि सारे सबूत, गवाह, यहाँ का क़ानून यह कह रहा है कि दुर्गा शक्ति के साथ अन्याय हुआ है। और यह बात आपको-हमको अखबारों, ख़बरिया टीवी चैनलों से पल-पल मालूम भी हो रही है, उसके बावजूद भी ये हाल है, हम अन्याय का साथ दे रहे हैं !!??
हमारे इन अज्ञानी भाई-बन्धो को समझना होगा कि छद्म-धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा लगाए आज के ये तमाम राजनेता सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए हमारा इस्तेमाल कर रहे है, अपना तो घर भर रहे है किन्तु हमारी भावी पीढ़ियों के लिए गड्डे खोद रहे है। जो ये भ्रष्ट गिरगिट अपने धर्म, अपने लोगो, अपने देश के नहीं हुए, वे तुम्हारे क्या हो पायेंगे भला ? सोचो-सोचो, अभी भी वक्त को पकड़ा जा सकता है !!
sonia gandhi ye himmat karti hain to aur kyoon nahi karte jab ve sahi kam ke liye kah sakti hain to ye anya kyoon nahi kah sakte .is desh me sonia ji va rahul ji ko to gherne kee jaise bimari hi lag gayi hai .
ReplyDeleteये बात तो आपको सोनिया गांधी से पूछनी चाहिए कि जो तथाकथित "हिम्मत" वो कर सकती हैं, वो उनके जो लोग सर्कार चला रहे हैं वो क्यों नहीं कर सकते ? रही बात जनता मीडिया विपक्ष की तो वह तो मुद्दे को जोर शोर से उठा ही रहे है और विपक्ष संसद सत्र में उठाने की कोशिश करेगा तो यही सोनिया जी के भक्त कहेंगे कि ताकि कोई बिल पास न हो, संसद सत्र ठीक से न चले , इसलिए ये विपक्ष वाले ऐसे मुद्दे उठ रहे है !
DeleteBY THE WAY; Where is your Rahul "ji", now a days ?
aur bhi gam hain zamane me rajneeti ke siwa .
Deleteजी, वही तो आपको कह रहा था कि आप क्यों पड़ते हैं इन राजनीति के ग़मों में !
DeleteShe loves doing politics in Blogworld only....Smiles...
Deleteखामखाँ लिख चिट्ठियाँ, करते इंक खराब |
ReplyDeleteलहरायें जब मुट्ठियाँ, देना तभी जवाब |
देना तभी जवाब, नहीं दुर्गा बेचारी |
यू पी राजस्थान, आज फिर किसकी बारी |
कल खेमका अशोक, स्वाद ऐसा ही चक्खा |
रहो आप चुपचाप, लिखो मत आज खामखाँ |
सही लिखा है आपनें !!
ReplyDeleteजब हर बात राजनीति से प्रेरित हो तो सही गलत का क्या अर्थ?
ReplyDeleteऔर देखा जाए तो सही मायने में आजादी सिर्फ चंद उन बेशर्म , कुटिल और धूर्त समाजविरोधी तत्वों को ही मिली है, जिनका स्थान किसी जागरूक जनता और न्यायसंगत शासन के तहत सिर्फ और सिर्फ जेल होता है।................देख तमाशा हिन्दुस्तान या धर्मनिरपेक्षस्तान का।
ReplyDeleteइस खेल ने ही राज करने वालों के स्वार्थ साध रखे हैं ....
ReplyDeleteधार्मिक भावनाएं एक धोखा है जिसका फायदा नेता लोग बेशर्मी से उठाते हैं.
ReplyDeleteजनता भी बेवक़ूफ़ बनने को तैयार रहती है.
आपकी बात बिल्कुल सही है पर हालात कैसे बना दिये गये हैं कि आम आदमी बेचारा क्या करे?
ReplyDeleteरामराम.
सच कहा है आपने ... इन नेताओं को अपने और अपने परिवार से आगे कुछ नज़र नहीं आता है ... हर किसी को कीड़े की तरह समझते हैं ... कुछ नज़र नहीं आता ...
ReplyDeleteHope the coward Hindu lot will read, see and understand this post.
ReplyDeleteभाई जी ...आजकल ये ग़म ही सब से बड़ा है ? जिसका इलाज भी हमारे पास है और हम ढूंढते हैं किसी और के पास ..कितने नादान है हम ..काश! अब भी समझ जाएँ!
ReplyDeleteदुनिया में धर्म ने जितना नुक्सान हिंदुस्तान को किया है शायद किसी और मुल्क को नहीं किया .इसी धार्मिक भावना का फैदा नेता और धार्मिक नेता उठाते हैं
ReplyDeletelatest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
latest post,नेताजी कहीन है।
सिर्फ और सिर्फ एक राजनीतिक मुखौटा है...देश की सबसे ताकवतर शख्सियत चिट्ठी लिखकर अन्याय न होने देने की दरख्वास्त कर रही है..हैरत है....मुलायम की जरुरत कांग्रेस को केंद्र में है..मुलायम जी को जरुरत संप्रदाय विशेष के वोट की है...वरना पहले जिस मंदिर की दीवार गिराई गई थी तो उसपर कार्रवाई क्यों नहीं की गई थी किसी अफसर पर।
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