Saturday, August 17, 2013

आज यह पोस्ट अपने देश की युवा-शक्ति को समर्पित है !


यह एक सर्वविदित तथ्य है कि किसी भी देश की वास्तविक शक्ति उस देश का युवा-वर्ग होता है। और इसकी एक हल्की सी झलक इस देश ने गत वर्ष १६ दिसंबर को घटित एक शर्मनाक घटना के विरोध स्वरुप दिल्ली और देश के अन्य भागों में देखी।   कुछ कर गुजरने का जो जज्बा युवा शक्ति के अन्दर होता है, उसकी कोई बराबरी नहीं हो सकती, उसका कोई तोड़ नहीं। बस, जरुरत होती है तो सिर्फ उस युवा-शक्ति के सही मार्ग निर्देशन की। वह एक तपता हुआ लोहा है, जिसे, जिस रूप में ढालना चाहो, ढाल सकते हो।

युवा शक्ति के मार्ग-दर्शन अथवा मार्ग-निर्देशन की जरुरत की जब हम बात करते है तो उस दर्शन अथवा निर्देशन  का तात्पर्य यह कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि हम उन्हें ज्ञान बाँट रहे है। उनके पास पहले से ही कहीं अधिक मात्रा में वह ज्ञान मौजूद होता है, जिसे हम उन्हें बांटने की कोशिश कर रहे होते हैं।  बहुत लम्बा न खीचते हुए यही कहूँगा कि हालांकि मैं भी भला अपने देश के इन तमाम होनहार युवाओं को क्या सलाह दे सकता हूँ, किन्तु उनसे इतना जरूर कहूंगा कि वे हमेशा विवेक से काम लें और जोश में होश न गंवाएं। इस दुनिया में बहुत से कुटिल लोग भरे पड़े है जो अपने नि:हितार्थ और स्वार्थपूर्ति के लिए आपको भटका सकते है, बहका सकते है।  मसलन, मुल्ला उमर और जवाहिरी को ही ले लीजिये, लादेन की ही तरह ये कायर भी खुद तो कहीं छुपकर चार-चार बीवियों संग गुलछर्रे उड़ा रहे होंगे, और पथभ्रष्ट युवाओं को मानव बम में तब्दील कर रहे हैं।  देश हित में क्या सही है और कौन सी कुर्बानी मानवता के हित के लिए है, इसकी परख हमारे भारतीय युवाओं को मुझसे भी अधिक होगी , इसकी मुझे पूर्ण उम्मीद है।               

अब तनिक ज़रा नीचे के चित्र पर गौर फरमाइए। हालांकि स्पष्ट कर दूं कि मुझे मिस्र के वर्तमान हालात से कुछ भी नहीं लेना देना और मैं यह चित्र सिर्फ अपने देश के युवाओं की जानकारी के लिए यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ;

     


अब ज़रा नीचे के लिंक पर जाकर वीडियों  में खुद देख लीजिये कि जोश में होश गवाने वाले कैसे कुर्बानी देते है और उनमे कुर्बानी  का जोश भरने वाले, ऐन वक्त पर जब अपनी जान पे बन आती है तो कैसे भाग खड़े होते है; 
http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=AK1fP-n9qtc

इसलिए आप से आग्रह करूंगा कि कभी भी किसी के उकसावे में आकर होश खोने से पहले हर बात को नाप-तोलकर परखें और फिर कदम आगे बढाये !

9 comments:

  1. पहले तो होश बनाये रखें, एक बार डट जाने के बाद जोश बनाये रखें।

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को
    हिंदी ब्लॉग समूह
    पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी {सोमवार} (19-08-2013) को पधारें, सादर .... Darshan jangra

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  3. काश यह समझ यहाँ के लोगों आ जाये

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  4. जोश और होश दोनों का तालमेल हो यह तो जरुरी है !!

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  5. आपने बिल्कुल सही और सटीक सलाह दी है, आभार.

    रामराम.

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  6. सहमत आपकी इस बात से ... अपनी सोच समझ के साथ फैंसले लें ... बहकावे में न आएं ... सही निर्णय लें ...

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  7. आजकल मार्गदर्शक भी नकली होते हैं.

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  8. निश्चित रुप से इस बारे में भी सोच-समझ की जरुरत है।

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  9. सही सलाह .... सार्थक लेख ।

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।