जबाब देने लगे जब तन,
वो भी साथ लिए हुए
इक आहत मन,
सवालों के जबाब देते-देते,
जिन्दगी भी खुद इक
सवाल बनकर रह जाती है।
फर्क बस इतना है कि
लड़कपन में वालिद अक्सर
जीवन का मकसद पूछा करते थे
और बुढ़ापे में औलाद
जीने का मकसद पूछती है।
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
दामन में पसरे हुए
खुश्क, बेवफा मौसम को
जब हैरत से तकने लगते है
कुछ उमंगों के फूल,
कुछ अहसास कराती है भूल,
और तब समझ में आता है
कि क्यों तुम कहा करते थे,
वफ़ा की दुनिया
सितारों से भी बहुत आगे है।
तुम तोड़कर चले गए
तमाम दिल की सलाइयों को ,
और जब सर्द-अहसासों के
खुश्क मौसम आए ,
हम कोई हसीं ख्वाब न बुन पाए ।
वो भी साथ लिए हुए
इक आहत मन,
सवालों के जबाब देते-देते,
जिन्दगी भी खुद इक
सवाल बनकर रह जाती है।
फर्क बस इतना है कि
लड़कपन में वालिद अक्सर
जीवन का मकसद पूछा करते थे
और बुढ़ापे में औलाद
जीने का मकसद पूछती है।
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दामन में पसरे हुए
खुश्क, बेवफा मौसम को
जब हैरत से तकने लगते है
कुछ उमंगों के फूल,
कुछ अहसास कराती है भूल,
और तब समझ में आता है
कि क्यों तुम कहा करते थे,
वफ़ा की दुनिया
सितारों से भी बहुत आगे है।
तुम तोड़कर चले गए
तमाम दिल की सलाइयों को ,
और जब सर्द-अहसासों के
खुश्क मौसम आए ,
हम कोई हसीं ख्वाब न बुन पाए ।
प्रश्नों की परिधि से बाहर आना चाहा पर प्रश्नों की रोकता ने बाहर आने ही नहीं दिया।
ReplyDeleteउद्द्वेलित करती रचना ||
ReplyDeleteजीना बन देता चढ़ा, दस मंजिल मजबूत |
है जीना किस हेतु तब, प्रश्न पूछता पूत |
प्रश्न पूछता पूत, पिता जी मकसद भूला |
भूल गया वह सीख, आज हूँ लंगडा लूला |
बढ़ी विश्व रफ़्तार, जाय दुत्कार सही ना |
अंधड़ गया उजाड़, कठिन है ऐसे जीना ||
जीना= सीढ़ी
लड़कियों को बचपन से ही आत्मरक्षा की ट्रेनिंग अनिवार्य रूप से दी जाये। हर जगह पुलिस का पहरा नहीं लगाया जा सकता .
ReplyDeletebadhiya soch.
जीवन की इस डगर में
ReplyDeleteअब हमारे लिए
बाकी बची न कोई उलझन है,
क्योंकि
जिस चाहत के खातिर
मोल ली थी तमाम उलझने,
वही अब हमारी दुल्हन है ...
हा हा ... मुझे तो लगता है उलझनों की शुरुआत है ये ... बहुत खूब गौदियाल जी ...
बहुत अच्छी !!
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteभाई जी ! नमस्कार , सब के सवालों के जवाब भी दे डाले आपने इन सर्द अहसासों में ...,,
ReplyDeleteसवालों के जबाब देते-देते,
यहाँ जिन्दगी
खुद इक सवाल बनकर रह गई ,
फर्क बस इतना है,
जवानी में वालिद
जीवन का मकसद पूछते थे,
अब औलाद
जीने का मकसद पूछती है।
बहुत सुंदर, बेहतरीन।
ReplyDeleteवाह वाह ! क्या बात है !
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