धसगी जोशीमठ, हे खाली करा झठ,
भागा सरपट, हे धसगी जोशीमठ।
नी रै अपणु वू, ज्यूंरा कु ह्वैगि घौर,
नी खोण ज्यू-जान, तै कूड़ा का भौर,
जिंदगी का खातिर, छोडिद्यावा हठ,
भागा सरपट, हे धसगी जोशीमठ।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
समझ पाओ तो यूं समझिए कि तुम्हारा आई कार्ड, निष्कृयता नाजुक, और निष्पादन हार्ड। ( यह चार लाइनें पितृपक्ष के दरमियां लिखी थी पोस्ट करना भू...
दुखद
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