देश के भीतर और बाहर हर क्षेत्र में सिर के ऊपर तक निकल चुके भ्रष्टाचार के दलदल की तरफ समूचे देश का ध्यान आकर्षित करने और निकृष्ट और भ्रष्ट सरकार को इस पर लगाम लगाने हेतु मजबूर करने के लिए एक सार्थक पहल शुरू की गई थी ! मगर , जैसा की इस देश का इतिहास(दुर्भाग्य) रहा है कि राज सत्ता पर काबिज कौरवों ने शकुनी और जयचंदों की मदद से इसे राजनीति और व्यवसाय, जाति और धर्म, हिन्दू और मुस्लिम, आर एस एस और धर्मनिरपेक्ष तथा अन्ना हाजरे और बाबा रामदेव के पांसों के बीच कुशलता से उलझाकर रख दिया है! कुछ दिनों से अधिकाश पब्लिक फोरमों पर लोगो की इस बारे में राय जानने के लिए नजर रखे हुए था, और यह बात थोड़ा अखरी कि वजाए भ्रष्टाचार और कालेधन की विकराल समस्या पर ध्यान केन्द्रित करने के हमारे अल्पसंखयक वर्ग के लोग इसे सिर्फ एक राजनैतिक और धार्मिक मुद्दे के तौर पर ले रहे है!
अफ़सोस तब और बढ़ जाता है, जब देखता हूँ कि उच्च शिक्षित कहे जाने वाले हमारे प्रबुद्ध समाज के लोग भी इसे एक राजनैतिक फायदे के तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश करने लगते है, और बाबा रामदेव को उनके योग के क्रियाकलापों तक सीमित रहने की सलाह देने में ज़रा भी देरी नहीं करते ! इन मति-भ्रष्टों को तब इतना भी ध्यान नहीं रहता कि डाकू वाल्या, जो जन्मजात डाकू थे, उन्हें भी इनकी ही तरह तत्कालीन ऋषी-मुनियों ने यह सलाह दी होती कि तुम्हारा पेशा चोरी और उठाईगिरी है, तुम सिर्फ और सिर्फ उस पर ही अपना ध्यान केन्द्रित रखो, तो हम लोग महिर्षी वाल्मिकी रचित महान ग्रन्थ रामायण कहाँ से पढ़ते ? गांधी जी को उनके घर और देश वालों ने उस समय यह सलाह दी होती कि तुम एक वैरिस्टर हो, कानूनी दांव-पेंचों तक ही अपने को सीमित रखो तो उन्हें महात्मा और राष्ट्रपिता की उपाधि कहाँ से हासिल होती ?
खैर, बाबा रामदेव और अन्ना हजारे लाख भ्रष्ट हो, और अपनी प्रसिद्धि के लिए यह सब पहल कर रहे हो, मगर किसी ने तो पहल की और उनकी पहल है तो देश हित में! वाल्मिकी ने रामायण लिखते वक्त कहीं तो इस बात से प्रोत्साहन लिया होगा कि इतना महान ग्रन्थ अगर वह लिखने में कामयाव हो गए तो दुनिया में उनका नाम हमेशा के लिए अमर हो जाएगा ! ३० से ४५ लाख हजार करोड़ रूपये का काला धन अगर देश में आ गया तो यह देश कहाँ होगा, देश के किसी भी नागरिक के पास किसी चीज का अभाव नहीं होगा ! मगर इन जयचंदों को डर तो यही सताता है कि अगर ऐसा हो गया तो देश में नक्सलवाद की हांडी, और धार्मिक कट्टरवाद की भट्टी पर रोटी सेंकना तो इनके लिए दूर की कौड़ी हो जायेगी , और तो और कुत्ता भी इन्हें एक लैम्पपोस्ट की तरह इस्तेमाल करेगा ! आज कौंग्रेस को आचार्य बाल-कृष्णा एक अपराधी नजर आने लगे है, कलतक ये क्या सो रहे थे ? नहीं, मकसद शायद कुछ और है ! बाबा रामदेव के मुह पर ताला लगाने के लिए बाल-कृष्णा के आपराधिक चरित्र की दुहाई देकर पंतजली पर छापा मारने का बहाना तैयार करना ! अगर बाबा इतना ही डूवियस चरित्र का था तो इनके चार मंत्री एयरपोर्ट पर झख मारने गए थे ?
रामलीला मैदान में इकट्ठा हजारों की भीड़ एक नेक इरादे से एकत्रित हुई थी, इसलिए ऊपरवाले ने भी उनका पूरा साथ दिया और कोई अनहोनी नहीं हुई ! मगर इस सरकार ने जिस तरह आधी रात को पांच हजार पुलिस वाले बिना यह देखे कि वहां बड़ी तादात में बच्चे और स्त्रियाँ मौजूद थी जो भगदड़ की शिकार हो सकती थी, आंसू गैस के गोले छोड़ते वक्त टेंट में आग लग सकती थी और हजारों लोग आधी रात के वक्त वहाँ सो रहे थे, कुछ भी हो सकता था, भेजे वह सर्वथा निंदनीय है ! इस देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि वोट बैंक के खातिर यहाँ साधू, साध्वियों को तो आधी रात को भी प्रताड़ित किया जाता है, मगर दुश्मन देश के राक्षसों, अफजल गुरु और कसाब को करोड़ों रुपये खर्च कर जवाई (सन-इन-लौ ) की तरह रखा जाता है ! वैसे भी इनका यह इतिहास रहा है कि they dont need excuses to divide and rule... they create excuses.
``बाबा रामदेव को उनके योग के क्रियाकलापों तक सीमित रहने की सलाह देने में ज़रा भी देरी नहीं करते '
ReplyDeleteयही बात सिब्बल से क्यों नहीं कहते कि वे वकालत करें या मनमोहन सिंह से अर्थशास्त्र में ध्यान लगाने में अपना समय बिताएं!!!!!!
jordaar...satik...
ReplyDeletebhai waah ! sahi kaha............aabhar !
ReplyDeleteकौन अब विरोध करे सभी तो हैं डरे डरे
ReplyDeleteहरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे।
लादेन जी और रामदेव ठग में अंतर तो रहेगा ही।
ReplyDeleteनिर्दोष और आम जन पर हुई इस बर्बर कार्यवाही की घोर निंदा होनी चाहिए और इस सरकार को सबक सिखाने की कवायद शुरू कर देनी चाहिए...वोट की शक्ति का इस्तेमाल करना अब जरूरी हो गया है...
ReplyDeleteबहुत प्रेरक और सार्थक आलेख!
ReplyDeleteआपने कभी नादिरशाह को याद ? नहीं तो उसको याद दिलाने के लिए सरकार का आभार.....
ReplyDeleteऔर तो और कुत्ता भी इन्हें एक लैम्पपोस्ट की तरह इस्तेमाल करेगा !
ReplyDeleteवाह! क्या बात है ...सारा लेख इस में बोलता है |
जियो जी भर के ....
अल्पसंखयक वर्ग के लोग इसे सिर्फ एक राजनैतिक और धार्मिक मुद्दे के तौर पर ले रहे है!
ReplyDelete@ मुझे तो एक बात समझ नहीं आ रही ,कांग्रेस की जिस भेदभावपूर्ण नीति के चलते इस समुदाय को कांग्रेस छोड़ अपना दल बनाना पड़ा उसके बाद अपना अलग देश बनाना पड़ा फिर भी जो रह गए वे कांग्रेस की गोद में जाकर क्यों बैठ गए ?
kitne sachche aur sarthak sabd hai
ReplyDeleteआज पैंतालीस कम्पनी और चार पासपोर्ट मालूम चल रहे हैं, क्या इससे पहले पता नहीं था और पता था तो कार्रवाई क्यों नहीं की. जानते हुये भी कार्रवाई न करना भी तो अपराध है...
ReplyDeleteधन सब मन का मूल,
ReplyDeleteधन की बात करी ज्यों तैनें,
हालन ल्यागो चूल।
भ्रष्टाचार और दमन दोनों ही प्रासंगिक मुद्दे हैं। सरकार ने दोनों ही जगह अपनी ज़िम्मेदारी में कोताही की है।
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDeleteआज के खास चिट्ठे ...
जो लोग भी रामदेव जी को यह कह रहे हैं कि वे केवल योग तक ही सीमित रहे, उनका काम राजनीति नहीं हैं। वे राजशाही की भाषा बोल रहे हैं, लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को राजनीति के लिए बोलने का अधिकार नहीं है। राजाशाही में ही होता था कि केवल एक परिवार को यह हक होता था और सभी के कार्य क्षेत्र बंधे हुए थे। यदि आज भी ऐसा होने लगे तो फिर इस बात पर बहस होनी चाहिए कि इस क्षेत्र में कौन जाने के योग्य है और कौन नहीं। क्योंकि फिर तो केवल राजनीति शास्त्र का विद्यार्थी ही राजनीति में जा सकता है। ना कोई वकील, ना अर्थशास्त्री ना फिल्मी हस्ती और ना ही खिलाड़ी। या फिर डॉक्टर, इंजिनीयर, वैज्ञानिक कोई भी नहीं। बस इस मुद्दे पर अब तो यही कहना है कि सारे ही भ्रष्टाचारी एकत्र हो रहे हैं और अपनी अपनी तरह से इस आंदोलन का विरोध या आलोचना कर रहे हैं।
ReplyDeleteसटीक और सार्थक आलेख्।
ReplyDeletevery true
ReplyDeleteloktantrik desh mein aisaa julm ????
kashmir ke algaaw waadi netaa kuchh bhi bol kar chale jaate hain , tab sarkaar chup rahatee hai
@ रतन सिंह शेखावत जी:
ReplyDeleteअल्पसंखयक वर्ग के लोग?
अल्पसंख्यक की जगह धर्मनिरपेक्ष\प्रगतिशील\विवेकशील\जागरूक ... शायद ज्यादा उपयुक्त रहता।
आप के लेख के एक एक शव्द से सहमत हुं, आज यह चोर ही एक सच्चे साधू को रास्ता बता रहे हे, बाबा या अन्ना तो इन्ही के कर्मो को जनता के सामने लाना चाहते थे, ओर हे, अब इन संतो ने बिगुल बजा दिया, देखे यह सोई हुयी जनता अब क्या करती हे.. अगर अब भी ना जागी तो कब जागेगी..... धन्यवाद इस अति सुंदर लेख के लिये
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट,
ReplyDeleteबधाई हो आपको - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
यह कुतर्क मुझे भी नहीं पचता है की वो योग गुरु हैं तो सिर्फ योग सिखाएं... अरे भाई वो इस देश के नागरिक भी हैं और अव्यवस्थाओं पर बोलने का हक हर किसी को है... प्रधानमंत्री मूलतः अर्थशास्त्री हैं तो उन्हें अर्थ का काम ही करना चाहिए क्यों नेतागिरी करने आये...
ReplyDeleteगोंदियाल जी प्रणाम,
ReplyDeleteआपकी एक बात ने मुझे आपकी इस पोस्ट पर कमेन्ट देने के लिए मजबूर किया.
आप कहते हैं की "बाबा रामदेव और अन्ना हजारे लाख भ्रष्ट हो, और अपनी प्रसिद्धि के लिए यह सब पहल कर रहे हो, मगर किसी ने तो पहल की और उनकी पहल है तो देश हित में!"
ठीक इसी तरह की मानसिकता का विरोध मैं गिरिजेश राव जी के ब्लॉग पर कर चूका हूँ. मैं इस मानसिकता को बिलकुल भी हज़म नहीं कर पा रहा की भ्रष्टाचार का विरोध हम लोग उनके नेतृत्व में करें जो खुद भ्रष्ट हैं. ये क्या बात हुयी. कल कलमाड़ी या राजा भी यूँ ही भ्रष्टाचार के विरोध में अनशन पर बैठे तो क्या आप उनका नेतृत्व भी स्वीकार कर लेंगे ?
चार जून की रात्रि को रामलीला मैदान में जो कुछ हुआ वो बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए पर इस सरकारी गलती का फायदा बाबा रामदेव को देकर उन्हें शहीद का दर्जा नहीं दिया जा सकता. उनके दामन में अनेकों दाग हैं जिससे वो झूट और भ्रष्टाचार में कांग्रेस के नेताओं से कहीं कम नज़र नहीं आते हैं. भ्रष्टाचार का मतलब सिर्फ रिश्वत लेना ही नहीं होता बल्कि आम जनता को बरगलाना भी भ्रष्टाचार ही है जिसमे स्वामी रामदेव उन नेताओं से बिलकुल भी पीछे नहीं हैं जिनके विरुद्ध ये सारा का सारा आन्दोलन चल रहा है.
अगर हम लोग भ्रष्टाचार और ऐसी ही दूसरी बुराइयों को जड़ से ख़त्म करना चाहते हैं तो हमें कम से कम एक वाल्मीकि तो ऐसा ढूँढना होगा जो वर्तमान में अपनी बुरी आदतों को त्याग चूका हो अन्यथा मेरी नज़र में तो ये पूरा का पूरा भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन ही बेमानी है.
गोंदियल जी आपके माध्यम से एक बात और कहना चाहता हूँ क्योंकि जहाँ कहना चाह रहा था वहा टिप्पणी सुविधा बंद है. आशा है आप बुरा नहीं मानेगें और अगर बुरा लगे तो मेरी टिप्पणी को हटा दें.
ReplyDeleteरचना जी ने नारी ब्लॉग पर अपनी पोस्ट में बताया था की बाबा रामदेव के आमरण अनशन में भाग ले रहे सभी लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ था और उन्हें दो दिनों का पैसा दिए जाने की बात हुयी थी.लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ था इस बात का खुलासा कल की प्रेस कांफेरेंस में खुद बाल कृष्ण जी ने किया है. पर सभी लोगों को पैसा दिए जाने की बात भी हुयी थी इस बात का खुलासा शायद अब कभी नहीं हो पायेगा. अब कोई नहीं जानेगा की ४ जून की रात को रामलीला मैदान में पिटने वाले लोग पतंजलि योग पीठ के वैतनिक/अवैतनिक कर्मचारी थे और आम जनता तो अपने घर बैठ कर ही कौन सही है और कौन गलत इस बात पर बहस कर रही थी.
"मैं इस मानसिकता को बिलकुल भी हज़म नहीं कर पा रहा की भ्रष्टाचार का विरोध हम लोग उनके नेतृत्व में करें जो खुद भ्रष्ट हैं. ये क्या बात हुयी. कल कलमाड़ी या राजा भी यूँ ही भ्रष्टाचार के विरोध में अनशन पर बैठे तो क्या आप उनका नेतृत्व भी स्वीकार कर लेंगे ?"
ReplyDeletexxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
"रचना जी ने नारी ब्लॉग पर अपनी पोस्ट में बताया था की बाबा रामदेव के आमरण अनशन में भाग ले रहे सभी लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ था और उन्हें दो दिनों का पैसा दिए जाने की बात हुयी थी.लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ था इस बात का खुलासा कल की प्रेस कांफेरेंस में खुद बाल कृष्ण जी ने किया है. पर सभी लोगों को पैसा दिए जाने की बात भी हुयी थी इस बात का खुलासा शायद अब कभी नहीं हो पायेगा. अब कोई नहीं जानेगा की ४ जून की रात को रामलीला मैदान में पिटने वाले लोग पतंजलि योग पीठ के वैतनिक/अवैतनिक कर्मचारी थे
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"भ्रष्टाचार का मतलब सिर्फ रिश्वत लेना ही नहीं होता बल्कि आम जनता को बरगलाना भी भ्रष्टाचार ही है"
पांडेय साहब ;
टिपण्णी के लिए सर्वप्रथम आपका आभार !
तर्क तो देने को बहुत थे, मगर सोचता हूँ शायद फायदा नहीं ! आपने ठीक कहा कि "अगर हम लोग भ्रष्टाचार और ऐसी ही दूसरी बुराइयों को जड़ से ख़त्म करना चाहते हैं तो हमें कम से कम एक वाल्मीकि तो ऐसा ढूँढना होगा जो वर्तमान में अपनी बुरी आदतों को त्याग चूका हो" मगर हमारे गढ़वाली में एक कहावत है " न बुबन ब्याण, न भुला होण " अर्थात न तो पिताजी गर्भवती/गर्भवान होंगे, और न छोटा भाई पैदा होगा ! हिन्दी में यह मुहावरा कुछ इस तरह है कि "न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेगी ...." !
भ्रष्ट सरकार और उसके चाटुकार मीडिया की ख़बरों से आप दिग्भर्मित मत होइए ! चाहे वह रामदेव हो या फिर अन्ना हजारे, व्यक्तित्व अप्रासंगिक और महत्वहीन हैं ! मुख्य मुद्दा है. भ्रष्टाचार और इसके उन्मूलन का जो भी इसे कर सके ! अब उसको चाहे स्वर्ग दूतों का कोई समूह करे या फिर शैतान का गुट या फिर दोनों का सयोजन.....it does not matter. As long as they can find effective ways and means to root out from the country this established nexus of corruption. . As the late Chinese leader Deng Xia Peng said - "IT DOES NOT MATTER IF THE CAT IS BLACK OR WHITE, AS LONG AS IT CAN CATCH THE RAT "
"अब कोई नहीं जानेगा की ४ जून की रात को रामलीला मैदान में पिटने वाले लोग पतंजलि योग पीठ के वैतनिक/अवैतनिक कर्मचारी थे
ReplyDeletexxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
"भ्रष्टाचार का मतलब सिर्फ रिश्वत लेना ही नहीं होता बल्कि आम जनता को बरगलाना भी भ्रष्टाचार ही है""
पाण्डेय साहब,
६५००० से ७५००० वैतनिक और अवैतनिक कर्मी रखने की औकात तो बड़े-बड़े बिजनेस घरानों की भी नहीं होती ! सेक्युलर माफिया कैसे ख़बरों की तिल का ताड़ बनाता है यहाँ देखिये :
One news:
Baba Ramdev was hiding in a saree: PillaiThe Baba was hiding in a saree of a female devotee when we arrested him at 4.15 am." said G K Plillai, home secretary while talking to rediff.com. He said Baba is on his way to his ashram in Hardwar in police custody, and he is calm and cooperating.
another news:
Limping lady in salwar turns into running yogi- Telegraph- kolkata
IMRAN AHMED SIDDIQUI
New Delhi, June 5: The yogis of legend might have vanished into thin air. But Baba Ramdev decided to do a Bonnie Prince Charlie, who fled a battle zone in a woman’s disguise two-and-a-half centuries ago.
Wearing a white salwar and kameez, his face covered with a white dupatta, Ramdev tried to dodge past police around 4.15am today, after hiding among women supporters at the Ramlila grounds during the three-hour, late-night crackdown.
Great post ............Great comments :)
ReplyDeleteभ्रष्टाचार और दमन दोनों ही प्रासंगिक मुद्दे हैं।
ReplyDeleteमगर किसी ने तो पहल की और उनकी पहल है तो देश हित में.......!sahmat hun aa
ReplyDeleteजो राष्ट्र-हित में सोचने वाले हैं , उन्हें बाबा रामदेव में निष्ठा है । कुतर्कियों का कोई इलाज नहीं है।
ReplyDeleteसटीक और सार्थक आलेख्।
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