Monday, May 16, 2011

दास्ताने टेररिस्तान !


नाम पाक, मंसूबे  नापाक,

लत संत्रास स्वाद की,

सब झूठे,मक्कार, स्तुति करूँ क्या

किसी एक-आद की !        

पिद्दीभर एबटाबाद तो अपना

इनसे सम्भाला न गया,

और कंगले, बात करते फिरते थे

हमारे अहमदाबाद की !!  


बीज जैसा, पौध वैसी,
उसपर खुराक द्वेष-खाद की,  

छीनकर दुनिया का अमन-चैन,

सुख-शांति बर्बाद की !

कांटे खुद बोये,दोष हमें दिया,

अरे कायरों ! हम तुमसा

दाऊद-ओसामा नहीं पालते,

ये भूमि है गांधी, बोष,

राजगुरु, भगतसिंह, आजाद की !!

16 comments:

  1. सही कहा आपने गौदियाल जी ... अपना तो संभलता नही ... दूसरों को बात करते हैं ... नापाकी पाकी ...

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  2. बिल्कुल सही बात कही।

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  3. बहुत ही जोश से भरी रचना।

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  4. और गीदड़ -भपकियाँ देने में सबसे आगे ,
    पता नहीं कब तक धरती पर बोझ-से रहेंगे ये अभागे?

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  5. उनके बारे में उनकी राय पूछ कर देखियेगा गोदियाल साहब, मजा आ जायेगा।

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  6. यह टैरिस्तान की दास्तान तो बिल्कुल खरी उतरती है जनाब!

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  7. पाकिस्तान की मौजूदा हालात पर एक तीखी प्रतिक्रिया...... आपका अंदाज ही कुछ ऐसा है गोदियाल जी कि, ऐबटाबाद क्या पेशावर तक भी आपकी हुंकार सुनाई दे... आभार ! अनेकानेक शुभकामनाओं सहित.

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  8. सच कहा, सच सामने आ गया है।

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  9. एक दम सटीक लिखा आप ने, सहमत हे जी, धन्यवाद

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  10. पर भैया, दाऊद तो इसी खाद की पीक है :)

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  11. Amerika aur China ke sahaare khada hai ye kenchua Pakistan

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  12. आदरणीय गौदियाल जी
    नमस्कार !
    ...सही कहा आपने सहमत है

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  13. कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका

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  14. अरे कायरों ! हम तुमसा

    दाऊद-ओसामा नहीं पालते,

    ये भूमि है गांधी, बोष,

    राजगुरु, भगतसिंह, आजाद की !!
    ...एक दम सटीक बात कही आपने..
    शुभकामनाओं सहित!

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  15. वाह-वाह... सटीक बात कही... लेकिन हमारे देश के नेता भी इन बातों को नहीं जानते..

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  16. वाह! जोश बनायें रखें |

    जो दिल ने कहा ,लिखा वहाँ
    पढिये, आप के लिये;मैंने यहाँ:-
    http://ashokakela.blogspot.com/2011/05/blog-post_1808.html

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।