नाम पाक, मंसूबे नापाक,
लत संत्रास स्वाद की,
सब झूठे,मक्कार, स्तुति करूँ क्या
किसी एक-आद की !
पिद्दीभर एबटाबाद तो अपना
इनसे सम्भाला न गया,
और कंगले, बात करते फिरते थे
हमारे अहमदाबाद की !!
बीज जैसा, पौध वैसी,
उसपर खुराक द्वेष-खाद की,
उसपर खुराक द्वेष-खाद की,
छीनकर दुनिया का अमन-चैन,
सुख-शांति बर्बाद की !
कांटे खुद बोये,दोष हमें दिया,
अरे कायरों ! हम तुमसा
दाऊद-ओसामा नहीं पालते,
ये भूमि है गांधी, बोष,
राजगुरु, भगतसिंह, आजाद की !!
सही कहा आपने गौदियाल जी ... अपना तो संभलता नही ... दूसरों को बात करते हैं ... नापाकी पाकी ...
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात कही।
ReplyDeleteबहुत ही जोश से भरी रचना।
ReplyDeleteऔर गीदड़ -भपकियाँ देने में सबसे आगे ,
ReplyDeleteपता नहीं कब तक धरती पर बोझ-से रहेंगे ये अभागे?
उनके बारे में उनकी राय पूछ कर देखियेगा गोदियाल साहब, मजा आ जायेगा।
ReplyDeleteयह टैरिस्तान की दास्तान तो बिल्कुल खरी उतरती है जनाब!
ReplyDeleteपाकिस्तान की मौजूदा हालात पर एक तीखी प्रतिक्रिया...... आपका अंदाज ही कुछ ऐसा है गोदियाल जी कि, ऐबटाबाद क्या पेशावर तक भी आपकी हुंकार सुनाई दे... आभार ! अनेकानेक शुभकामनाओं सहित.
ReplyDeleteसच कहा, सच सामने आ गया है।
ReplyDeleteएक दम सटीक लिखा आप ने, सहमत हे जी, धन्यवाद
ReplyDeleteपर भैया, दाऊद तो इसी खाद की पीक है :)
ReplyDeleteAmerika aur China ke sahaare khada hai ye kenchua Pakistan
ReplyDeleteआदरणीय गौदियाल जी
ReplyDeleteनमस्कार !
...सही कहा आपने सहमत है
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
ReplyDeleteअरे कायरों ! हम तुमसा
ReplyDeleteदाऊद-ओसामा नहीं पालते,
ये भूमि है गांधी, बोष,
राजगुरु, भगतसिंह, आजाद की !!
...एक दम सटीक बात कही आपने..
शुभकामनाओं सहित!
वाह-वाह... सटीक बात कही... लेकिन हमारे देश के नेता भी इन बातों को नहीं जानते..
ReplyDeleteवाह! जोश बनायें रखें |
ReplyDeleteजो दिल ने कहा ,लिखा वहाँ
पढिये, आप के लिये;मैंने यहाँ:-
http://ashokakela.blogspot.com/2011/05/blog-post_1808.html