Thursday, August 23, 2012

बख्शीश का भूखा न हो जो, कोई ऐसा दरबान देना !


दस्तूर ही कुछ ऐसा  है कि हर महिला की ये दिली ख्वाईश होती है कि उसकी लडकी को उससे भी बढ़कर अच्छा पति मिले ! और साथ ही उसे यह भी पक्का भरोसा होता है कि उसके लड़के को उतनी अच्छी बीबी नहीं मिलेगी, जितनी कि उसके बाप को मिली ! इसलिए ज्ञानी लोग कह गए है कि इस तरह मत चलो, मानो कि तुम दुनिया के बादशाह हो , इस तरह चलो मानो कि तुम्हें इस बात की कोई परवाह ही नहीं कि दुनियां का बादशाह कौन है ! खैर, फिलहाल मेरी इस नज्म का लुत्फ़ उठाइये ;

मांग रही भूमि अपने देश की, तुम मुझे यह दान देना,  
अबके जो तुम दे सको तो, कोई रीढ़वाला प्रधान देना !

गांधी-सुभाष के इस देश में, ये क्लीबों की फ़ौज कैसी,
शान-बान,आत्म-सम्मान हो, कोई ऐसा मर्दान देना !  

सहारे चल नहीं सकती कौमियत,मूक-वधिर रोबोटों के,
रिमोट मत अब और  तुम किसी के हाथ श्रीमान देना !    

भूखे-अशक्तों की भीड़ को, नोच रहे हैं गिद्ध डालियों से, 
अहमियत दे इंसानियत को, इक ऐंसा कदरदान देना ! 

रिपु लांघ हमारी मेंड़ को, आँगन हमारे न जलसा करे,  
बख्शीश  का भूखा न  हो जो, कोई ऐसा दरबान देना ! 

और साथ में यह भी समझ लेना कि वह एक बहुत ही भला इंसान था, जिसने न कभी धुम्रपान किया, न दारू पी, न कभी प्यार-व्यार के चक्कर में पडा ! और जब मरा तो बीमा कम्पनी ने क्लेम यह कहकर खारिज कर दिया कि 
" He who never lived, cannot die  !"

17 comments:

  1. भारत की रीढ़ हीन राजनीतिक व्यवस्था का बड़ा सजीव चित्र प्रस्तुत किया है आपने इस नज्म में लिखी आपने हैं तदानुभूत हम भी हैं .
    जब से पीज़ा पास्ता हुए मूल आहार ,इटली से चलने लगा ,सारा कारोबार .
    कृपया यहाँ भी पधारें -
    "आतंकवादी धर्मनिरपेक्षता "-डॉ .वागीश मेहता ,डी .लिट .,/ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
    ram ram bhai/

    बृहस्पतिवार, 23 अगस्त 2012
    Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle
    Neck Pain And The Chiropractic Lifestyle

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  2. समझदार बीमा कंपनियां.

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  3. समझदार बीमा कंपनियां.

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  4. राजनीति शायद किसी की रीढ़ रहने ही नहीं देती ... बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....बीमा कंपनी के तर्क पर -- :):)

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (25-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  6. फिर सुबह होगी ... यह उम्मीद हम सब को है !


    मेरा रंग दे बसंती चोला - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी ... पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी मे दिये लिंक पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !

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  7. jo socha hai aapne vah sab kuchh poora ho sakta hai yadi aam janta kamar kas le kyonki sabse jyada lalchi janta hi hai aur vahi sabka lalach badhati hai..nice presentation.संघ भाजपा -मुस्लिम हितैषी :विचित्र किन्तु सत्य

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  8. बहुत सुंदर !
    रीढ़ वाला कहाँ से हम लायेंगे
    जब रीढ़ निकाल कर लोग
    अपने घरों पर संभाल जायेंगे
    कोशिश ऎसी करें अबकी बार चलिये
    पहले बनायेंगे बाद में रीढं भी लगवायेंगे !

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  9. मांग रही भूमि अपने देश की, इक मुझे वरदान देना,
    अब के अगर दे सको तो, कोई रीढ़ वाला प्रधान देना ..
    वाह क्या बात है ... पर जब तक कांग्रेस का राज है ऐसा प्रधान मिलना तो मुश्किल है जब तक राहुल बाबा नहीं आते ...

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  10. बहुत सटीक प्रस्तुति...

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  11. सहारे चल नहीं सकती कौमियत,मूक-वधिर रोबोटों के,
    रिमोट जब सौंपों किसी को, श्रीमती नहीं, श्रीमान देना !
    मौन सिंह नहीं मुखर सिंह देना .....बढ़िया व्यंग्य (व्यंजना ) बेहतरीन रूपकों का इस्तेमाल किया गया है रचना में .....क्लिवों की फौज ,इटली का पास्ता नहीं पंजाब का कुलचा देना

    मंगलवार, 4 सितम्बर 2012
    जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें
    जीवन शैली रोग मधुमेह :बुनियादी बातें

    यह वही जीवन शैली रोग है जिससे दो करोड़ अठावन लाख अमरीकी ग्रस्त हैं और भारत जिसकी मान्यता प्राप्त राजधानी बना हुआ है और जिसमें आपके रक्तप्रवाह में ब्लड ग्लूकोस या ब्लड सुगर आम भाषा में कहें तो शक्कर बहुत बढ़ जाती है .इस रोगात्मक स्थिति में या तो आपका अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हारमोन ही नहीं बना पाता या उसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है आपका शरीर .

    पैन्क्रिअस या अग्नाशय उदर के पास स्थित एक शरीर अंग है यह एक ऐसा तत्व (हारमोन )उत्पन्न करता है जो रक्त में शर्करा को नियंत्रित करता है और खाए हुए आहार के पाचन में सहायक होता है .मधुमेह एक मेटाबोलिक विकार है अपचयन सम्बन्धी गडबडी है ,ऑटोइम्यून डिजीज है .

    फिर दोहरा दें इंसुलिन एक हारमोन है जो शर्करा (शक्कर )और स्टार्च (आलू ,चावल ,डबल रोटी जैसे खाद्यों में पाया जाने वाला श्वेत पदार्थ )को ग्लूकोज़ में तबदील कर देता है .यही ग्लूकोज़ ईंधन हैं भोजन है हरेक कोशिका का जो संचरण के ज़रिये उस तक पहुंचता रहता है ..

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  12. शानदार लिखा है गोदियाल जी।

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  13. गोदियाल जी, आपकी इस कविता को देश भर में गूंजने की जरुरत है... ताकि भारत माँ के सोये हुए बच्चे जाग जायें और उसकी पुकार सुन लें....
    कठपुतलियों की जगह उसे रीढ़ वाला प्रधान दे दें

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।