...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
आखिर बाप तो बाप है!
ReplyDeleteकुँवर जी,
हा हा ... सही शिक्षा दे रहे हैं बाप जी ...
ReplyDelete:)
ReplyDelete--- शायद आपको पसंद आये ---
1. Advance Numbered Page Navigation ब्लॉगर पर
2. ग़ुबार साफ़ करो आईने की आँखों से
3. तख़लीक़-ए-नज़र
:-))
ReplyDeleteबिल्कुल सही. अब डर डरकर अपराध करने में क्या मजा?
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
हा हा हा ! बढ़िया मारा है .
ReplyDeleteआपकी ड्राइंग अच्छी है गोदियाल जी .
ड्राइंग तो अच्छी है ही कटाक्ष भी जोरदार है। वाह!
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