...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सहज-अनुभूति!
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
-
पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
-
स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
-
आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
आखिर बाप तो बाप है!
ReplyDeleteकुँवर जी,
हा हा ... सही शिक्षा दे रहे हैं बाप जी ...
ReplyDelete:)
ReplyDelete--- शायद आपको पसंद आये ---
1. Advance Numbered Page Navigation ब्लॉगर पर
2. ग़ुबार साफ़ करो आईने की आँखों से
3. तख़लीक़-ए-नज़र
:-))
ReplyDeleteबिल्कुल सही. अब डर डरकर अपराध करने में क्या मजा?
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
हा हा हा ! बढ़िया मारा है .
ReplyDeleteआपकी ड्राइंग अच्छी है गोदियाल जी .
ड्राइंग तो अच्छी है ही कटाक्ष भी जोरदार है। वाह!
ReplyDelete